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गुजरात के खेड़ा जिले के किसान अपनी बुद्धिमता के सहारे न केवल बिजली की खेती कर रहे हैं बल्कि पैसा भी कमा रहे हैं
आपने आलू, मटर, बैंगन, गेंहू की खेती के बारे में तो खूब सुना होगा लेकिन कभी सौर ऊर्जा की खेती के बारे में सुना… चौंक गए न! हमारे देश में ऐसे किसान भी हैं जो न केवल सौर ऊर्जा से खेती कर रहे हैं बल्कि धनोपार्जन करने में सफल हो रहे हैं। गुजरात के खेड़ा जिले का धुंदी गांव इसका उदाहरण है। कुछ वर्ष पहले यहां के छोटी जोत वाले छह किसानों ने साथ आकर सिंचाई के लिए एक सोलर स्टेशन स्थापित किया था। इसका फायदा यह हुआ कि किसानों ने सोलर स्टेशन से अपना सिंचाई पंप तो चलाया ही बल्कि जो अतिरिक्त बिजली बची उसे गुजरात के बिजली विभाग को बेचना शुरू कर दिया। इससे प्रति किसान को 4,000 रुपये की अतिरिक्ति कमाई होने लगी। यानी किसान को डीजल पंप पर होने वाले खर्चे की बचत तो होती ही है, साथ ही ग्रिड को बेची गई बिजली से अतिरिक्त कमाई हो जाती है।
किसानों की इस अभिनव पहल की कहानी बड़ी दिलचस्प है। यह सब शुरू हुआ इन छह में से एक किसान रमन परमार की बुद्धि और चतुराई से। कुछ समय पहले जब रमन का सिंचाई पंप खराब हो गया तो उन्होंने बाजार में उपलब्ध अन्य विकल्पों को तलाशने की प्रक्रिया शुरू की और सोलर पंप का ज्ञान बटोरा। इसी दौरान उन्हें अंतरराष्टÑीय जल प्रबंधन संस्थान का सहयोग मिला और इस संस्था ने किसानों की मदद की। नतीजा ये हुआ कि जो रमन अपने 12 बीघा खेत में सिंचाई के लिए पहले रोज 500 रुपए डीजल पर खर्च करते थे, उन्हें सोलर पंप लगने के बाद खर्च तो दूर हर महीने उल्टे 4,500 रुपए अतिरिक्त कमाई होने लगी है। कमाई इसलिए शुरू हो पाई क्योंकि रमन परमार ने अपने सोलर पैनल की एक सप्लाई सरकारी खंबे से मीटर के साथ जोड़ दी। इससे होता यह है कि जब उनका सिंचाई का काम खत्म हो जाता तो वह बनने वाली अतिरिक्त बिजली को सरकारी खंभे में भेज देते हैं। कितनी बिजली सरकार को गई, यह मीटर से पता चल जाता है और प्रति यूनिट के हिसाब से सरकार द्वारा उन्हें भुगतान मिल जाता है। इससे प्रभावित होकर ही रमन के गांव के पांच अन्य किसान साथ आए और उन्होंने संस्था की मदद से 56़ 4 किलोवाट का एक बड़ा सोलर पैनल स्टेशन लगवाया और अपनी सिंचाई के साथ ही अतिरिक्त बिजली सरकार को बेचने लगे।
हाल ही में किसान सौर सहकारी संघ ने मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड के साथ एक समझौता किया। इसके मुताबिक कंपनी, सहकारी संघ से 4़ 63 प्रति यूनिट रुपए की दर पर बिजली खरीदेगी। इन छोटी जोत वाले किसानों के सौर प्लांट रोजाना करीब 40-45 यूनिट बिजली का उत्पादन कर लेते हैं। किसानों की इस अभिनव पहल के लिए गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने सम्मानित भी किया। रमन परमार कहते हैं,‘‘हमें खुशी है कि हमारे इस नए विचार को राज्य सरकार ने मान्यता दी। हमने जो प्रयोग किया, आज वह सफल हुआ है और इससे हम सभी लाभान्वित हो रहे हैं।’’ वे कहते हैं कि इस तरह के प्रयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है। बस का उसमें कुछ करने जज्बा हो। रमन परमार की बात में दम है। क्योंकि उन्होंने अपनी बुद्धि और लगन के दम पर एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसने कइयों को रास्ता दिखाया। अश्वनी मिश्र
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