जटिल नहीं, सरल राह
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जटिल नहीं, सरल राह

by
Jul 10, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 10 Jul 2017 10:56:11

 

जीएसटी लागू होने के बाद सकल घरेलू उत्पाद में दो फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि कारोबारियों का बड़ा हिस्सा अभी तक कर के दायरे में नहीं आ पाया है। नई व्यवस्था के तहत अब उन्हें अपने कारोबार और नकद लेन-देन का रिकॉर्ड रखना पड़ेगा। जनता हित में कायदे से चलने की राह है जीएसटी

 आलोक पुराणिक

एसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर  लागू हुए कुछ दिन हो गए हैं। पहले आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि जीएसटी लागू होने पर कई चीजों के भाव बढ़ जाएंगे या तकनीकी व्यवस्था नाकाफी साबित होगी। फिलहाल ये आशंकाएं सच साबित होती नहीं दिख रहीं हैं।
शुरुआती खबरों के हिसाब से एप्पल फोन, मारुति कारें, महिंद्रा एंड महिंद्रा के वाहन, टाटा मोटर्स के वाहन, हीरो होंडा मोटरसाइकिलें सस्ती हुई हैं। इसके अलावा शेयर बाजार का रुख भी सकारात्मक रहा है। जीएसटी लागू होने के अगले कारोबारी दिन शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक करीब 300 अंक ऊपर चढ़ा। इसका मतलब यह नहीं कि शेयर बाजार की प्रतिक्रिया अंतिम है और इसी आधार पर जीएसटी को कामयाब घोषित कर दिया जाना चाहिए। पर इसका एक मतलब यह है कि पैसे कमाने में जुटे लोगों को समूची अर्थव्यवस्था के लिए जीएसटी सकारात्मक दिख रहा है। यह महत्वपूर्ण है। आर्थिक जगत राय पर नहीं, तथ्यों पर चलता है। जीएसटी के तमाम आयामों का अभी गहन विश्लेषण बाकी है, पर  शुरुआती तौर पर स्पष्ट है कि व्यवस्थागत तैयारियां फिलहाल नाकाफी हैं।
बड़े उद्योग बनाम छोटे उद्योग
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए जीएसटी एक नया विचार है, जो ऊपर से काफी तकनीकी भी दिखता है। कर भुगतान की प्रक्रियाएं कंप्यूटर और तकनीक के चलते पहले जितनी जटिल नहीं रहीं। मोटे तौर पर बड़ी कंपनियां किसी भी बदलाव, तकनीकी बदलाव के लिए ज्यादा बेहतर साधन संपन्न होती हैं। इसलिए वे सहजता से बदलाव के अनुरूप खुद को ढाल लेती हैं। वित्तीय क्षेत्र की नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी के मुताबिक, जीएसटी के लिए कंपनी तो 100 फीसदी तैयार है, लेकिन उसके वितरक, थोक और खुदरा विक्रेता नई व्यवस्था में शामिल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
नरेंद्र मदान मझोले कारोबारियों की एक संस्था से जुड़े हैं और दिल्ली के कश्मीरी गेट में उनका आॅटोमोबाइल का कारोबार भी है। मदान का कहना है कि यह कदम छोटे कारोबारियों को भरोसे में लेकर उठाया जाना चाहिए था, क्योंकि उनकी कई समस्याएं हैं। चांदनी चौक के करोबारियों का हवाला देते हुए मदान कहते हैं कि उनके पास जगह ही नहीं है कि वे कंप्यूटर आदि रख सकें। जीएसटी लागू होने के बाद इन उपकरणों की जरूरत तो पड़ेगी ही। जो बात नरेंद्र मदान कह रहे हैं, कमोबेश नोमुरा का भी वही कहना है कि व्यापारी, खुद व्यापारी अभी पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इसके लिए एक सघन अभियान की जरूरत पड़ेगी। छोटे कारोबारी इस बात से चिंतित हैं कि नई व्यवस्था में रिटर्न भरते-भरते नई परेशानियां और नई लागतें पैदा न हों, जबकि केंद्र सरकार ने कहा है कि हर वक्त नहीं, सिर्फ रिटर्न भरते समय ही कंप्यूटर-इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी। दरअसल, दिक्कत अब दूसरे तरह की हैं, जैसे, अज्ञात का भय।
अज्ञात का  भय
यह विकट भय होता है और कई बार निराधार भी। बहुत साधारण-सी बात है, एक ही घर में सदस्यों के रहने के कमरे बदल दिए जाएं या एक कमरे की आलमारी व टेबल बदल दी जाए तो इस सामान्य बदलाव को भी आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता। जीएसटी तो बहुत बड़ा सुधार है। इसे लेकर एक भय है कि पता नहीं, क्या होगा? नई व्यवस्था कैसे काम करेगी? पुरानी व्यवस्था नाकाफी होते हुए भी ठीक लगती थी। पुराने के प्रति, परिचित के प्रति एक खास परिचय का भाव पैदा हो जाता है, जो उसके प्रति लगाव पैदा कर देता है। अंग्रेजी में एक कहावत है, जिसका आशय है- एक अपरिचित फरिश्ते के मुकाबले परिचित राक्षस ज्यादा अच्छा लगता है। अज्ञात का भय एक समस्या है, पर बहुत बड़ी समस्या नहीं है।
नगद में रुकावटें
देसी कारोबारियों का बड़ा हिस्सा नकद कारोबार में विश्वास करता रहा है। यानी लेन-देन का हिसाब-किताब रखने की परंपरा नहीं है। काफी हद तक यह काम आदतन पुराने तौर-तरीकों से होता रहा है। एक वजह यह भी है नकद का रिकॉर्ड नहीं रखने पर वह किसी भी सरकार के कर दायरे की पकड़ में नहीं आता। नकद सौदे अर्थव्यवस्था में कालाधन घोलने की बड़ी वजह रहे हैं। इनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। नोटबंदी के बाद नकद सौदों पर एक हद तक रोक लगी। अब जीएसटी के चलते हर कारोबारी के लिए अपने धंधे का, हर सौदे का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य हो जाएगा। निश्चय ही रिकॉर्ड नहीं रखने वाले लोगों के लिए यह एक अलग तरह की परेशानी है। कारोबारी जगत के एक धड़े की यह कड़वी सच्चाई है, जिसमें नियमानुसार कर देने देने की कोई प्रणाली ही नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश आंकड़ों के हिसाब से 2015-16 में केवल 76 लाख लोगों ने अपनी आय 5 लाख रुपये से ज्यादा दिखाई। इनमें 56 लाख वेतनभोगी थे, जो अपनी कमाई छिपा ही नहीं सकते, क्योंकि उन्हें वेतन व्यवस्थित तरीके से मिलता है और उसका रिकॉर्ड भी होता है। वहीं, केवल 24 लाख लोग ऐसे थे जिन्होंने अपनी सालाना आया 10 लाख के ऊपर दिखाई। ये आंकड़े भारत को अत्यंत गरीब देश की श्रेणी में रखने के लिए काफी हैं। इसके इतर पांच वर्षों के दौरान देश में 1.25 करोड़ से ज्यादा कारें बेची गर्इं और 2015 में दो करोड़ लोग विदेश भी गए। मतलब यह कि जितनी आय हो रही है, उतनी दिखाई नहीं जा रही है। अगर वास्तविक आय रिकॉर्ड में आ जाए तो देश के सकल घरेलू उत्पाद की रफ्तार काफी तेज हो जाएगी। जीएसटी के आने के बाद अर्थव्यवस्था में दो फीसदी की वृद्धि हो सकती है। यानी विकास दर 7.5 फीसदी से बढ़कर 9.5 फीसदी हो सकती है। कर के दायरे में आने के डर के चलते ही आर्थिक गतिविधियां अभी तक रिकॉर्ड में नहीं आ सकी हैं।
नए तौर-तरीके
जीएसटी के तहत ऐसी व्यवस्था की गई है कि जो कारोबारी अपनी आर्थिक गतिविधियों को दर्ज नहीं कराएंगे, वे घाटे में रहेंगे। घाटे में कोई भी नहीं रहना चाहता, इसलिए जीएसटी के विरोध की एक वजह यह भी है। लेकिन देर-सवेर सभी को नई तकनीक और नए तौर-तरीके अपनाने ही होंगे। महत्वपूर्ण बात यह कि अभी तक उपभोक्ताओं ने जीएसटी का विरोध नहीं किया है। हालांकि सेवा कर 15 से बढ़कर 18 फीसदी हो गया है। यानी सौ रुपये के मोबाइल फोन बिल पर तीन रुपये अधिक देने होंगे।  बच्चों को आईआईटी, आईएएस की कोचिंग कराने वालों को पहले एक लाख रुपये पर 15,000 रुपये सेवा कर देना पड़ता था जो अब 18,000 रुपये हो गया है। फिर भी विरोध उपभोक्ता नहीं, कारोबारी कर रहे हैं। कैश आधारित कारोबार से रिकॉर्ड आधारित कारोबार की आदत डालने में कारोबारियों को वक्त लग सकता है।
जीएसटी-शिक्षा अभियान
समझने की बात यह है कि जिस विषय के बारे में अज्ञान होता है, उसके बारे में भ्रम फैलाना आसान होता है। इसलिए केंद्र सरकार को जीएसटी-शिक्षा अभियान चलाना चाहिए। हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि जीएसटी वास्तव में है क्या। अभी रिपोर्ट आई कि जीएसटी का हवाला देकर कई कारोबारी सामान पर दर्ज अधिकतम कीमत से भी ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं। बाद में सरकार को कहना पड़ा कि अधिकतम खुदरा कीमत से ज्यादा कीमत नहीं वसूली जा सकती। इसी तरह किसी ट्रेन में जीएसटी के नाम पर एक टीटीई यात्रियों से बीस रुपये अधिक टिकट शुल्क वसूलता पाया गया। आम जनता को इस तरह की ठगी से बचाने के लिए जरूरी है कि इश्तहारों, शिक्षा अभियानों के जरिये जीएसटी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाई जाए।
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies