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उपलब्धियों से दबाव नहीं, मनोबल बढ़ता है : श्रीकांत

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Jul 10, 2017, 12:00 am IST
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दिंनाक: 10 Jul 2017 11:37:38

 

सिंगापुर से जकार्ता और फिर…. सिडनी। हर जगह एक खिलाड़ी का जादू चला। भारतीय बैडमिंटन इतिहास में पहली बार लगातार तीन सुपर सीरीज में जगह बनाने में सफल रहे हैं 24 वर्षीय किदाम्बी श्रीकांत। कोई डेढ़ दशक पहले नटखट श्रीकांत में नैसर्गिक प्रतिभा को पहचान उनके पिता के. वी. श्रीकांत ने उन्हें बैडमिंटन खिलाड़ी बनाने का सपना देखा था। इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज और आस्ट्रेलियाई सुपर सीरीज जीतने के बाद श्रीकांत रातोंरात करोड़ों भारतीयों की आंखों का तारा बन गया। बधाइयों का तांता और स्वागत समारोहों की व्यस्तताओं के बीच श्रीकांत ने अपनी सफलताओं और एक साधारण खिलाड़ी से सफल खिलाड़ी बनने तक के सफर की चर्चा की, जिसके प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :

श्रीकांत के विश्व बैडमिंटन जगत में एक धूमकेतु के रूप में उभरने का क्या राज है?
कोई बड़ा रहस्य नहीं है। मैंने अपने खेल की मजबूती पर ध्यान दिया, कड़ी मेहनत की, अपनी थोड़ी सी रणनीति बदली। पहले मैं आक्रामकता पर ज्यादा जोर देता था। गोपी सर ने मुझे विपक्षी खिलाड़ी की कमजोरी को पकड़ने और स्मार्ट गेम खेलने को प्रेरित किया। आज मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब गोपी सर और टीम के साथी खिलाड़ियों व कोचिंग स्टाफ की वजह से मिला।

 स्मार्ट गेम का क्या मतलब है ?
पहले मैं आक्रामक खेल पर ज्यादा ध्यान देता था। अब मैं पहले लंबी-लंबी रैलियां खेलता हूं। जब शटल पर नजरें जम जाती हैं तो बैक कोर्ट से स्मैश भी मारता हूं, लेकिन कभी विपक्षी को भ्रम में डालने के लिए ताकत कम और प्लेसमेंट का ज्यादा ध्यान रखता हूं। इसके अलावा ड्रॉप शॉट और नेट पर पकड़ बनाए रखने के लिए मैं काफी मेहनत करता हूं।

क्या विश्व के शीर्षस्थ खिलाड़ियों के खिलाफ घबराहट महसूस करते हैं?
कतई नहीं। 2014 में बीजिंग व लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता चीन के लिन डैन को हराकर चाइना ओपना सुपर सीरीज खिताब जीतना मेरे करिअर का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था। उसे जैसे विश्व चैंपियन को हराना कतई आसान नहीं था। उसके बाद मैंने टॉमी सुगियार्तो, केंटो मोमोटो, विक्टर एक्सेलसन सहित रियो ओलंपिक में विश्व के नंबर पांच खिलाड़ी जोर्गेनसन, हेनरी हर्सकीनेन और लिनो मुनोज जैसे खिलाड़ियों को हराया।

बड़े-बड़े खिलाड़ियों को हराने में आप कैसे सफल हो जाते हैं ?
स्मार्ट गेम की रणनीति मेरे लिए कारगर साबित हुई। सिंगापुर ओपन और आस्ट्रेलिया सुपर सीरीज विश्व के नंबर 4 खिलाड़ी युकी शी को मैंने परास्त किया। मैं चेन लोंग को सबसे कठिन प्रतिद्वंद्वी मानता हूं। उन्हें मात देना आसान नहीं है और मैं पिछले पांच मुकाबले उनसे हार चुका था। उस समय मेरे साथी खिलाड़ी एच.एस. प्रणय ने मदद की जिन्होंने इंडोनेशिया ओपन में महान खिलाड़ी ली चोंग वेई और चेन लोंग को हराकर मेरे खिताब जीतने की राह आसान कर दी थी।

 आप सुपर सीरीज जीतने वाले और लगातार तीन सुपर सीरीज के फाइनल में जगह बनाने वाले देश के पहले पुरुष खिलाड़ी हैं, क्या आगे बेहतर करने का दबाव रहेगा?
ये उपलब्धियां दबाव नहीं बढ़ाती हैं, बल्कि मेरा मनोबल और बढ़ता है। मैंने अपने खेल में करीब10 प्रतिशत का बदलाव किया है। मैं अपने खेल में और सुधार करने में लगा रहूंगा। निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए हर खिलाड़ी को कुछ नया व बेहतर करना होता है।

भविष्य की योजनाएं क्या हैं?    
अगले माह ग्लासगो में होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए तैयारी करनी है। वहां मुझे शायद सबसे कड़े मुकाबले मिलेंगे। मुझे पूरी मेहनत और गंभीरता के साथ अपनी तैयारियों पर ध्यान देना होगा।

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