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छात्र सोच-समझकर ही विकल्प चुनें, दबाव या किसी के प्रभाव में आकर कॅरियर का चुनाव न करें। अगर आप कॅरियर को सही दिशा देना चाहते हैं तो भाषा के चयन को भी प्राथमिकता दें
दसवीं बोर्ड के बाद क्या कॅरियर चुना जाए, इसे लेकर अधिकतर विद्याथियों में दुविधा रहती है। दसवीं के बाद सही कोर्स का चुनाव करना वैसे भी आसान नहीं होता। सफल कॅरियर के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने के साथ उस पर अमल करने की भी जरूरत होती है। साथ ही आप खुद को कितने बेहतर ढंग से समझते हैं, लक्ष्य कितना स्पष्ट है और निर्णय लेने की क्षमता कैसी है, ये सारी बातें भी जरूरी होती हैं। इसलिए पाठ्यक्रम का चुनाव अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार ही करें। इसमें शैक्षिक मेले, कॅरियर मार्गदर्शन देने वाले सेमिनार, शिक्षकों, अभिभावकों या काउंसलर की भी सहायता ले सकते हैं।
दसवीं के बाद 10+2 के लिए विषयों का चुनाव स्नातक और स्नातकोत्तर को ध्यान में रखते हुए करें। सोच-समझकर विकल्प चुनें, दबाव या किसी के प्रभाव में आकर कॅरियर का चुनाव न करें।
झारखंड के धनबाद स्थित कॉलेज टू कैम्पस के सत्य प्रकाश सिंह कहते हैं कि हर व्यक्ति अपनी कुशलता और क्षमता के आधार पर निर्णय लेता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़Þता कि आप कौन-सी नौकरी करते हैं, क्योंकि सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आपने क्या सोच कर या किस बात से प्रेरित होकर कॅरियर का चुनाव किया। दसवीं के बाद विद्यार्थियों और अभिभावकों में दुविधा होना सामान्य बात है। उदाहरण के लिए, 10+2 में विज्ञान लेने के बाद आप वाणिज्य या कला के क्षेत्र में जा सकते हैं। लेकिन कला या वाणिज्य चुनने के बाद विज्ञान के क्षेत्र में नहीं जा सकते।
कॉलेज टू कैम्पस देश-विदेश में शिक्षा मेले का आयोजन करती है, जिसमें वह विद्यार्थियों को कॅरियर से जुड़ी जानकारियां मुफ्त में उपलब्ध कराती है। कॅरियर चयन में निम्नलिखित बुनियादी बातों का ध्यान रखें-
विकल्प की अधिकता: एक-दो दशक पहले कॅरियर का चुनाव सबसे बड़ी समस्या थी। तब यह तय करना मुश्किल होता था कि गणित चुनें या जीव विज्ञान। लेकिन अब कई विकल्प उपलब्ध हैं। कोई भी फैसला करते समय ध्यान रखना चाहिए कि आपने जो चुना है, उसका परिणाम क्या होगा। 10वीं के बाद सिर्फ भविष्य और इच्छित कॅरियर ही नहीं, बल्कि अपनी ताकत व कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए ही फैसला करना चाहिए।
बोर्ड का चुनाव: अब तक की पढ़ाई जिस बोर्ड से की, उसी में आगे की पढ़ाई करनी है या दूसरे बोर्ड में जाना है, यह फैसला भी उस बोर्ड से जुड़ी कठिनाइयों को ध्यान में रख कर करना चाहिए। उदाहरण के लिए, 10वीं राज्य बोर्ड से की है और आईसीजीसीएसई या सीबीएसई बोर्ड से आगे की पढ़ाई करना चाहते हैं तो उसमें आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना होगा।
विकल्प खुले रखें: कॅरियर का चुनाव करते समय विकल्प खुला रखेंं। किसी की सलाह पर विषय चुनने से पहले अपनी क्षमता का आकलन करें। कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर यह बोझ बन जाए और पछताना पड़े। बिना विचार किए फैसला लेने पर समस्या हो सकती है और संभव है कि आगे चलकर आपको अपना फैसला बदलना पड़े। ऐसी स्थिति में प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है, जिसका असर कॅरियर पर भी पड़ सकता है। लेकिन सोच-विचार कर फैसला लिया तो अपने प्रदर्शन को बेहतर कर सकते हैं।
फैसला महत्वपूर्ण: अधिकांश माता-पिता यह कहकर इस महत्वपूर्ण फैसले को टाल देते हैं कि कॅरियर के लिए अभी लंबा समय है। इस पर 10+2 के बाद भी विचार किया जा सकता है। ऐसे अभिभावक यह नहीं समझते कि इससे उनका बच्चा कॅरियर में पिछड़ सकता है। इसलिए 10वीं के बाद ही इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह फैसला आपके बच्चे का भविष्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इस बात को ध्यान में रखें कि हर विद्यार्थी का अपना कौशल, उसकी ताकत और कमजोरियां होती हैं। लिहाजा, शुरुआत में ही इस पर फैसला करना हमेशा बेहतर होता है।
असमंजस ठीक नहींं: अमूमन कॅरियर चयन को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों में असमंजस की स्थिति रहती है। इसकी सबसे बड़ी वजह बच्चों से अपेक्षा है। अक्सर माता-पिता तय करते हैं कि बच्चे क्या करें। इसके अलावा, शिक्षक, दोस्त या अन्य लोगों की सलाह भी बच्चों को प्रभावित करती है। मान लिया कि कोई बच्चा शिक्षक बनना चाहता है। लेकिन माता-पिता चाहते हैं कि वह इंजीनियर बने। शिक्षक कहते हैं कि डॉक्टर बनो, जबकि दोस्त कम्प्यूटर साइंस और पड़ोसी एमबीए की सलाह देते हैं। लिहाजा, विद्यार्थी को ही अपनी क्षमता के अनुसार कॅरियर चुनने दें और इसमें उसका सहयोग करें।
अपनी क्षमता को पहचानें
सच तो यह है कि आपके बारे में दूसरा कोई आकलन नहीं कर सकता। लिहाजा आपको अपनी ताकत, कमजोरियों और कौशल को खुद ही पहचानना होगा, तभी आप बेहतर फैसला कर सकते हैं। सो सामने जो विकल्प मौजूद हैं, उसी में से सबसे बेहतर कॅरियर
को चुनें।
यदि आप अपने गुणों को नहीं पहचान सकते तो योग्यता परीक्षण से इसे जान सकते हैं। इसका फायदा यह होगा कि आपके सामने चुनिंदा विकल्प ही बचेंगे। इस स्थिति में आप अपने माता-पिता, मार्गदर्शक काउंसलर या किसी रिश्तेदार की मदद ले सकते हैं कि कौन-सा विकल्प आपके लिए सही रहेगा। सही विकल्प के चयन के बाद अपनी आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अच्छे संस्थान का चुनाव करें। इस तरह, हर पहलू पर ध्यान देने के बाद आपको आगे के रास्ते आसान लगने लगेंगे और आप आसानी से अपने लक्ष्य तक पहुंच नई ऊंचाइयों की ओर आसानी से बढ़ सकेंगे।
प्रस्तुति : नागार्जुन
कैसे करें विषयों का चुनाव
दसवीं के बाद 10+2 के लिए मुख्यत: तीन विषय हैं- विज्ञान, वाणिज्य और कला। इन सभी विषयों में ढेरों संभावनाएं हैं। 12वीं की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इंजीनियरिंग, मेडिकल, कम्प्यूटर विज्ञान सहित अन्य क्षेत्रों और ग्रेजुएशन के लिए रास्ते खुलेंगे।
विज्ञान: 10+2 के लिए विज्ञान सबसे चुनिंदा विषय है, क्योंकि इस क्षेत्र में इंजीनियरिंग और चिकित्सा सहित कॅरियर के कई आकर्षक विकल्प उपलब्ध हैं। विज्ञान में एक अनिवार्य भाषा के साथ कम से कम छह विषय लेने होंगे। इस वर्ग में गणित, जीव विज्ञान, भौतिकी विज्ञान, रसायन विज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विषयों में विकल्प मौजूद हैं। विज्ञान के सबसे अधिक चुनिंदा विषय होने के पीछे एक वजह यह भी है कि बाद में इसे छोड़कर दूसरे वर्ग में जाने की छूट रहती है। मतलब यह है कि विज्ञान से 12वीं पास करने के बाद विद्यार्थी कला या वाणिज्य में आगे की पढ़ाई कर सकते हैं।
वाणिज्य: देश में विज्ञान के बाद विद्यार्थियों में वाणिज्य दूसरा सबसे लोकप्रिय विकल्प है। इसमें विद्यार्थियों को तीन प्रमुख विषयों- अर्थशास्त्र, लेखा और व्यवसाय कानून या व्यवसायिक अध्ययन, की पढ़ाई करनी पड़ती है। अधिकतर वाणिज्य कॉलेजों में बिजनेस इकॉनोमिक्स, बिजनेस लॉ, अकाउंटेन्सी, आॅडिटिंग, इनकम टैक्स, मार्केटिंग आदि विषयों की पढ़ाई होती है। वाणिज्य में भी एक अनिवार्य भाषा सहित छह विषय चुनने पड़ते हैं। इस क्षेत्र में निवेश, बैंकिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव और वित्तीय सलाहकार जैसे आकर्षक कॅरियर हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में धन और सम्मान,
दोनों है।
कला: छात्र तीसरी प्राथमिकता कला को देते हैं। हालांकि इसमें रोमांचक कॅरियर के क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं।
इसके अलावा, इसकी एक और खासियत यह है कि इसमें विकल्प बहुत हैं। इसमें चार विषयों का चयन करने के लिए समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, इतिहास, दर्शन, साहित्य, मनोविज्ञान जैसे विकल्प मौजूद हैं। इसके अलावा, कला वर्ग में पत्रकारिता, सामाजिक कार्य, शिक्षण जैसे कॅरियर के अन्य विकल्प भी हैं। विज्ञान और वाणिज्य की तरह कला में भी एक अनिवार्य भाषा के साथ छह विषयों का चुनाव करना पड़ता है।
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