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''पत्रकारों का लक्ष्य आजीविका नहीं है। खबरों को प्रसारित करना भी उनका लक्ष्य नहीं है और अखबारों की शृंखलाएं शुरू करना भी उनका उद्देश्य नहीं है बल्कि पत्रकारिता का लक्ष्य समाज में सकारात्मक विचारों को जगाने का है।''उक्त बातें प्रख्यात साहित्यकार श्री नरेंद्र कोहली ने कहीं। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में प्रख्यात पत्रकार उमेश उपाध्याय को वर्ष 2014 के लिये और वरिष्ठ पत्रकार विजय मनोहर तिवारी को वर्ष 2015 के लिए पत्रकारिता में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान प्रदान किया गया। समारोह के मुख्य वक्ता एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री नंदकुमार साय ने 'वंचित वर्ग के समग्र विकास के लिए व्यवहारिक उपाय' विषय पर विचार व्यक्त किए। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो़ बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हमें ऐसा बौद्धिक कार्य प्रारंभ करना है, जिसमें पलायन ने हो। पत्रकारों को मात्र सूचनाओं का डाकिया नहीं बनना है, बल्कि उन्हें बौद्धिक योद्धा बनाना चाहिए। ल्ल
अच्छा करने की सोच रखे समाज
''राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए मीडिया को सकारात्मकता के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ना चाहिए। यही गुणवत्ता और राष्ट्रभक्ति का मापक भी है। शब्दों से लोग आशान्वित होकर कुछ अच्छा करने की सोच बनाएं। यह संदेश लोगों के बीच में जाएगा तो निश्चित तौर पर बदलाव आएगा।'' उक्त बातें पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेश शंकर ने कहीं। वे गत दिनों उत्तर प्रदेश के कोसीकलां में आयोजित पाञ्चजन्य के पाठक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। प्रसार भारती के सलाहकार व वरिष्ठ पत्रकार श्री ज्ञानेंद्र बरतरिया ने कहा कि कलम के सिपाही देश में सकारात्मक विचारों की पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रसेवा कर सकते हैं। मीडिया में ऐसा भाव धीरे-धीरे आ भी रहा है। इस अवसर पर पाञ्चजन्य के पाठक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। ल्ल
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