साख पर सवाल
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

साख पर सवाल

by
Apr 10, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 10 Apr 2017 14:51:53

 

हालिया चुनाव में खेत रहे तमाम विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं। यह न केवल जनादेश का अपमान है बल्कि चुनाव आयोग की साख को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास है। क्योंकि जब वे जीतते हैं तो जनादेश होता है लेकिन हारने पर ईवीएम में गड़बड़ी हो जाती है

 प्रमोद जोशी

चुनाव आयोग और देश के कुछ राजनीतिक दलों के बीच ईवीएम को लेकर विवाद आगे बढ़े, उससे पहले सरकार और सर्वोच्च न्यायालय को पहल करके कुछ बातों को स्पष्ट करना चाहिए। जिस तरह न्याय-व्यवस्था की साख को बनाए रखने की जरूरत है, उसी तरह देश की चुनाव प्रणाली का संचालन करने वाली मशीनरी की साख को बनाए रखने की जरूरत है। उसकी मंशा को ही विवाद का विषय बनाने का मतलब है, लोकतंत्र की बुनियाद पर चोट। इस वक्त यही हो रहा है, जनता के मन में यह बात डाली जा रही है कि मशीनों में कोई खराबी है।

इन संदेहों को दूर करने की जिम्मेदारी तीन संस्थाओं की है- सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग और तीसरा मीडिया। दुर्भाग्य से मीडिया ने ही संदेह के बीज बोये हैं। सरकार की भी जिम्मेदारी है, पर वह विवाद के केंद्र में है। अब कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग सरकारी भाषा बोल रहा है। यानी आयोग को विवादास्पद बनाने की कोशिश है। यह प्रवृत्ति गलत है। राजनीतिक दलों की जो भी शिकायतें हों, उनका निवारण इस तरीके से होना चाहिए जिससे संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा बनी रहे। नब्बे के दशक से अब तक देश के राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग की कोशिशों में अड़ंगे ज्यादा लगाए हैं, सहयोग कम     किया है।

दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार ने चुनाव आयोग के हवाले से खबर छापी है कि आयोग ने उन लोगों को खुली चुनौती देने का फैसला किया है जो कहते हैं कि ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की जा सकती है। आयोग के सूत्रों के अनुसार एक नियत तारीख और समय पर राजनीतिक दलों की उपस्थिति में तकनीकी जानकारों और इन मामलों से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को बुलाकर यह चुनौती पेश की जाएगी। चुनाव आयोग इसके पहले भी ऐसे अवसर देता रहा है। वर्ष 2009 में 3 से 9 अगस्त तक ऐसा अवसर दिया गया था, जिसमें इस मशीन में गड़बड़ी साबित नहीं की जा सकी थी।

इसके बाद वोटर वैरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपैट) प्रणाली को और जोड़ा गया है। पर यह प्रणाली ठीक से लागू हो, उसके पहले ही उसे लेकर संदेह खड़े किए जाने लगे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा है, 'हमें 72 घंटे के लिए मशीन दे दीजिए हम उसका कोड पढ़कर उसे दुबारा लिखकर दिखा भी देंगे।' यह चुनौती और प्रति-चुनौती सुनने में जितनी अच्छी लगती है, उतनी ही खतरनाक है। इसके पीछे चुनाव प्रणाली को पारदर्शी बनाने की कामना से ज्यादा राजनीतिक पॉइंट स्कोर करने की कामना ज्यादा है।

दुर्भाग्य से इतने संजीदा मसलों का फैसला सड़कों पर या टेलीविजन के स्टूडियो में करने की कोशिश हो रही है। शिकायत करने वालों के पास अवसर है कि वे चुनाव परिणामों को अदालत में चुनौती दें। वहां मशीन के गुण-दोषों पर भी विचार सम्भव है। आपके पास ऐसा तकनीकी ज्ञान है तो सर्वोच्च न्यायालय जाकर पूरी चुनाव-व्यवस्था पर पुनर्विचार की अर्जी दीजिए। यह हमारे लोकतांत्रिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा भी होगा। आखिरकार जनता पारदर्शिता चाहती है।

हाल में पांच राज्यों में चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने कहा कि हम मशीनों में गड़बड़ी की वजह से हारे। चुनाव परिणामों के रुझान आ रहे थे कि टीवी पर मायावती का बयान आया। बसपा की ओर से उसके महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने चुनाव आयोग को इस आशय का एक पत्र देकर अनुरोध किया कि अंतिम परिणामों की घोषणा करने से रोकें। आयोग ने यह अनुरोध माना नहीं। बाद में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी इन्हीं सुरों में बोलना शुरू कर दिया। 

बसपा के पत्र में यह बात भी कही गई थी कि यह मुद्दा बीजेपी को छोड़कर, लगभग सभी दलों द्वारा 2014 के लोकसभा चुनाव से निरंतर उठाया गया है। इसी प्रकार की आपत्ति हाल में महाराष्ट्र नगरपालिका चुनाव में भी उठाई गई है। बहरहाल आम आदमी पार्टी ने 11 मार्च के परिणामों पर आयोग के सामने 25 मार्च को अपनी शिकायत दर्ज कराई। इस पत्र के उत्तर में आयोग ने यह कहा कि इन मशीनों के साथ छेड़छाड़ सम्भव नहीं है।

गौरतलब है कि सारी आपत्तियां तभी उठाई गई हैं, जब ये दल चुनाव में हार गए। क्योंकि जीतने पर ईवीएम से जनादेश निकलता है। जैसा दिल्ली और बिहार से निकला था। चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है। इसके पदाधिकारियों को लेकर शिकायत समझ में आती है। पर क्या शिकायत पूरी संस्था से है? इस मामले में ज्यादातर पूर्व चुनाव आयुक्त मानते हैं कि मशीनों में खामी नहीं है। हम बूथ कैप्चरिंग और अराजकता के लंबे दौर से अपनी चुनाव व्यवस्था को बाहर निकाल कर लाए हैं। इसमें आयोग की भी भूमिका है। अब इस पर उस वक्त आरोप लगाए जा रहे हैं, जब वह पारदर्शिता की हर कसौटी को पूरा करना चाहता है। आरोप लगाने वालों की मंशा चुनाव सुधार की होती तब भी बात थी। पर यहां केवल राजनीतिक हित-अहित नजर आते हैं।

हाल में भिंड का जो वीडियो वायरल हुआ है वह इस चिंता को बढ़ाता है। इसमें मीडिया की भूमिका भी संशय के घेरे में है। इसलिए इस घटना की जांच जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए और तथ्यों को जनता के सामने लाया जाना चाहिए। मीडिया में इस खबर को सनसनीखेज तरीके से पेश किया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि चुनाव अधिकारी ने पत्रकारों को जेल भेजने की धमकी दी है। अलबत्ता एबीपी चैनल के भोपाल संवाददाता ब्रजेश राजपूत की फेसबुक पोस्ट पढ़ने से लगता है कि मीडिया में बात का बतंगड़ बनाया     गया है। ब्रजेश ने लिखा है, ''भिंड का यह वह वीडियो है जो पूरे देश में चर्चा का विषय बना है। दरअसल ये म.प्र.की मुख्य निर्वाचन अधिकारी सलीना सिंह हैं जो जिले की अटेर विधानसभा उपचुनाव के लिये 9 अप्रैल को होने वाले मतदान की तैयारियों का जायजा लेने गई थीं। यहां पर्ची वाली ईवीएम मशीन का उपयोग होना है। मशीनों के डेमो के लिये जब उन्होंने पहला बटन दबाया तो उसमें से बीजेपी के कमल के फूल वाली पर्ची निकली। बस फिर क्या था सब हंस पड़े। इस पर सलीना सिंह ने कवरेज कर रहे पत्रकारों पर एक लूज जुमला उछाल दिया 'अरे इसे दिखाना नहीं। ये डेमो चल रहा है दिखाया तो थाने में बैठा दूंगी।' बस यही जुमला भारी पड़ गया। बाद में उन्होंने मशीन में दो बटन और दबाये जिस पर कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी की पर्ची निकली, मगर इस घटना ने ईवीएम मशीनों की निष्पक्षता को लेकर चल रही बहस को हवा दे दी है़.़।''

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने हंसते हुए जिस तरीके से बात कही है, वह क्या किसी को धमकी लगती है? न बोलने में धमकी का अंदाज है और न माहौल में धमकी का सन्नाटा है। इतनी हंसी-खुशी वाली धमकी? मीडिया में यह खबर मसखरी के अंदाज में पेश हुई। बावजूद इसके राजनीतिक दलों ने इसे संजीदा अंदाज में उठाया। किसी मीडिया हाउस ने इस मसखरी की पड़ताल नहीं की। प्रेस काउंसिल जैसी किसी संस्था को इसकी जांच करनी चाहिए। इन मशीनों में खोट होता तो चुनाव आयोग के भीतर भी असहमतियां होतीं। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एम.एस.गिल, वी. एस. संपत, एस. वाई. कुरैशी और एच. एस. ब्रह्मा ने इन मशीनों का बचाव किया है। एस. वाई. कुरैशी का कहना है कि ईवीएम मशीनों में पर्ची की सुविधा एक बेहतर विकल्प है, जिसके जरिए आरोपों को खत्म किया जा सकता है। ब्रह्मा ने कहा कि मैं इस बात को लेकर काफी चिंतित हूं कि राजनीतिक दल ईवीएम मशीनों पर सवाल उठा रहे हैं। इस मशीन की विश्वसनीयता पर कोर्ट ने भी भरोसा जताया है।  अलबत्ता वोटर वैरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल (वीवीपैट) के जरिए मशीन पर उठने वाले 90 फीसदी आरोपों को खत्म किया जा सकता है। वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि ईवीएम मशीनों में वीवीपैट की सुविधा शुरु की जाए, जिस पर आयोग ने आश्वासन दिया है कि वह 2019 तक इस सुविधा को देशभर में ईवीएम मशीनों पर लागू करेगा। यह व्यवस्था लागू करने के लिए आयोग को जिस रकम की जरूरत है, उसकी व्यवस्था सरकार को करनी है। आयोग ने इस संबंध में कानून मंत्रालय को पत्र भी लिखा है कि उसे 16 लाख वीवीपैट लगाने के लिए 3100 करोड़ रुपए की जरूरत है।

इलेक्ट्रानिक मशीन पर संदेह उठाने के साथ कहा जाता है कि अमेरिका में चुनाव इस मशीन से नहीं होता, तो हमारे यहां क्यों होता है? सच यह है कि अमेरिका में अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग प्रणालियां हैं। वहां तो कई जगह घर में ईमेल से बैलट भेजा जाता है। कहते हैं कि यूरोप के कुछ देशों में इलेक्ट्रानिक मशीन पर रोक है। इस पर एस.वाई.कुरैशी का कहना है कि यूरोप के चार देशों में ईवीएम मशीन बैन है, लेकिन यह फोक्सवैगन की धोखाधड़ी का मामला है। एक देश में ईवीएम मशीन के फेल होने के बाद चारों देशों ने इस मशीन को बैन कर दिया। ये सभी मशीनें नीदरलैंड में बनती हैं। लोग यह भी आरोप लगाते हैं कि जर्मनी के कोर्ट ने ईवीएम मशीन पर रोक लगाई है।

कुरैशी कहते हैं कि किसी ने कोर्ट के फैसले को नहीं पढ़ा है। मैंने फैसले को पढ़ा है, जिसमें कहा गया है कि लोग चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना चाहते हैं। लोगों की मांग है कि जब वे वोट देते हैं तो उन्हें यह नहीं दिखता कि है उनका वोट किसे गया है। कोर्ट ने ईवीएम मशीनों को बैन किया है, लेकिन इसकी तकनीक पर सवाल नहीं उठाया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम पर जर्मन कोर्ट का फैसला नहीं लागू होता, बल्कि हमारे सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लागू होता है। अपने हालात और तकनीक का फैसला  हम करेंगे।

हमारी मशीन दुनिया में नाम कमा रही है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसे 'भारत का गौरव' कहा है। बल्कि नेपाल, भूटान, नामीबिया, केन्या और फिजी जैसे देशों ने भारतीय ईवीएम के इस्तेमाल की पहल की है। अमेरिका सहित कई देशों में भी इस किस्म के सिस्टम का प्रयोग शुरू हो रहा है। अफसोस इस बात का है कि अंगुली ईवीएम पर नहीं, चुनाव आयोग पर उठ रही है।  लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं

 

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies