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12 नवंबर, 2017
आवरण कथा ‘हवा केसरिया’ से जाहिर होता है कि हिमाचल और गुजरात चुनाव में जनता का रुझान भारतीय जनता पार्टी की तरफ है। हाल में आए सर्वेक्षण इस बात की पुष्टि भी करते हैं। हिमाचल में भ्रष्ट व्यवस्था से परेशान जनता खुले तौर पर कांग्रेस के विरोध में है और ऐसी सरकार चाहती है जो भ्रष्टाचार मुक्त और जनसरोकारों से जुड़ी हो। भारतीय जनता पार्टी इस पैमाने पर खरी बैठती है।
—नारायण सिंह, देहरादून (उत्तराखंड)
कांग्रेस ने दोनों राज्यों में जीएसटी और नोटबंदी को मुद्दा बनाया, लेकिन जनता ने उनको गंभीरता से नहीं लिया। कांग्रेस ने इन राज्यों के लोगों को दिग्भ्रमित करने की पूरी कोशिश की। पर जनता है कि सब जानती है। उसे कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल के बारे में सब पता है और जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां का भी उसे आकलन है। ऐसे में यह चुनाव पूरी तरह से विकास पर केंद्रित रहा।
—अनूप कुमार, फरीदाबाद (उ.प्र.)
गुजरात चुनाव में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने आरक्षण की आड़ में जनता को भ्रमित करने की चाल चली और अपनी रैलियों में पाटीदार समाज को आरक्षण दिलाने की बात की। कांग्रेस ने भी उनके सुर में सुर मिलाया और इसे हवा दी। क्योंकि उन्हें पता है कि यही एक ऐसा मुद्दा है जिसके कारण वे कुछ वोट बटोर सकते हैं। लेकिन ये लोग यह क्यों नहीं बताते कि वह आरक्षण की वैसाखी समाज को क्यों थमाना चाहते हैं? देश और जनता के विकास की बात क्यों
नहीं करते?
—विमल नारायण खन्ना, कानुपर (उ.प्र.)
गलत परिपाटी
लेख ‘राजनीति की बिसात पर अर्थशास्त्र’ अच्छा लगा। कुछ राजनीतिक दलों का एक ही काम है सरकार के प्रत्येक कार्य की निंदा करना। राजनीति में यह ठीक नहीं होता। मेरा मानना है कि सरकार किसी की भी हो पर अच्छे कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए और गलत कार्यों की आलोचना। पर आज की राजनीति में ऐसा नहीं हो रहा है। हर निर्णय पर कांग्रेस और सेकुलर नेता एक स्वर में आलोचना करने में जुट जाते हैं, जो गलत परिपाटी है।
—राममोहन चंद्रवंशी, हरदा (म.प्र.)
हिन्दू विरोधी चेहरा
रपट ‘हिन्दू विरोध ही कांग्रेस का एजेंडा (12 नवबंर, 2017)’ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक को केंद्र में रखकर कांग्रेस के हिन्दू विरोधी एजेंडे को उजागर करती है। कांग्रेस का चाल-चरित्र और चेहरा ही हिन्दुत्व विरोध का रहा है। उसने साम्प्रदायिक शक्तियों को बढ़ावा दिया और हिन्दुत्व को देश-दुनिया में ‘भगवा आतंकी’ कहकर दुष्प्रचारित किया। उसका परिणाम भी उसने देख लिया और अगर यही रवैया आगे भी बरकरार रहा तो और ‘अच्छे दिन’ देखेंगे।
—मनोहर मजुंल, प.निमाड़ (म.प्र.)
विचारों का प्रभाव
लेख ‘सेवा की भागीरथी भगिनी (5 नवंबर, 2017)’ भगिनी निवेदिता के व्यक्तित्व व कृतित्व को सामने रखता है। स्वामी विवेकानंद का प्रभाव था कि उन्होंने अपने ओजपूर्ण विचारों से एलिजाबेथ मार्गरेट को भगिनी निवेदिता बनाकर सेवा क्षेत्र की ओर उन्मुख कर दिया। और भगिनी ने भी पूरी तन्मयता से कार्य करके सदा के लिए अपने नाम को अमर कर लिया।
—रामदास गुप्ता, जनतामिल (जम्मू-कश्मीर)
माहौल बनाते सेकुलर
‘हत्या पर राजनीति के पैंतरे’ लेख उन सेकुलर पत्रकार और नेताओं के चेहरों को बेनकाब करता है जो गौरी लंकेश की हत्या में राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता को देख रहे थे। ये वे लोग थे जो एक भी शब्द बिना तथ्यों के नहीं बोलते। पर गौरी लंकेश के मामले में उन्होंने बिना तथ्य जुटाये राष्ट्रभावी कार्यकर्ताओं को दोषी ठहरा दिया और मोदी सरकार को निशाने पर ले लिया। कई दिनों तक देश में ऐसा माहौल बनाया गया जैसे पत्रकार असुरक्षित हों और मोदी सरकार में तथाकथित एक खास वर्ग को निशाना बनाया जा रहा हो। पर अब स्थिति साफ हो गई। अपराधी पकड़े गए हैं। लेकिन अब न वे पत्रकार दिखाई दे रहे हैं और न सेकुलर नेता, जो गौरी लंकेश की हत्या पर मोदी सरकार को पानी पी-पी कर कोस रहे थे।
—अरुण मित्र, रामनगर (दिल्ली)
केजरी मंत्र
हमीं दूध के हैं धुले, बाकी सब हैं चोर
यही केजरी मंत्र है, पूछो मत कुछ और।
पूछो मत कुछ और, मगर फूटा गुब्बारा
जो थे दोस्त पुराने, करने लगे किनारा।
कह ‘प्रशांत’ चंदा लेकर क्या खूब छिपाये
मगर आयकर वाले, आफत बनकर आये॥
— ‘प्रशांत’
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