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हिमाचल प्रदेश में इस बार भाजपा की स्थिति मजबूत दिख रही है। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में भी भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। वहीं, कांग्रेस ने एक बार फिर वीरभद्र सिंह पर दांव लगाया है
हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बिसात बिछ गई है। एक तरफ सत्तारूढ़ कांग्रेस है, जो देश में अपने सिमटते अस्तित्व को बचाने के लिए प्रदेश की सत्ता पर फिर से काबिज होने की जुगत में है, दूसरी ओर भाजपा है, जो कांग्रेस शासित इस राज्य को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस ने एक बार फिर अपने बुजुर्ग नेता और भ्रष्टाचार के अनेक आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा प्रेम कुमार धूमल हैं। इस चुनाव में भीतर से बिखरी हुई कांग्रेस पूरी तरह से वीरभद्र सिंह पर ही निर्भर है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से सरकारें बनाती रही हैं इसलिए माना जा रहा है कि इस बार भाजपा की बारी है। वहीं, चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में इस बार भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना जताई गई है। खास बात यह कि प्रदेश की जनता ने विपक्ष के नोटबंदी के मुद्दे को नकार दिया है। सर्वे में जनता ने नोटबंदी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया है। 59 फीसदी लोगों का कहना है कि नोटबंदी से फायदा हुआ है, जबकि 48 फीसदी ने मोदी के काम को सराहा है। इसके अलावा, परिवारवाद मुद्दे पर भी कांग्रेस घिरी हुई है।
इस बार का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के दो दिग्गज नेताओं, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल इस बार अपनी पारपंरिक सीट छोड़कर दूसरी विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। वीरभद्र सिंह अर्की से तो प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा, भाजपा ने कांग्रेस को एक बड़ा झटका भी दिया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का परिवार कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा में शामिल हो गया है। सुखराम, उनके बेटे अनिल शर्मा और पौत्र आश्रय शर्मा ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। हिमाचल प्रदेश सरकार में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहे अनिल शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में उनके परिवार का अपमान हुआ। कांगे्रस के लिए यह बड़ा झटका है, क्योंकि मंडी जिले में 10 सीटें हैं और कई सीटों पर इस परिवार का प्रभाव है। 1990 के बाद भाजपा मंडी सदर से जीत नहीं दर्ज कर पाई है। उस समय से यह सीट सुखराम के परिवार के पास ही है। अनिल शर्मा इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार होंगे। 1998 में सुखराम हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इसके अलावा, ‘एक परिवार, एक टिकट’ के फॉर्मूले को छोड़ते हुए कांगे्रस ने नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को टिकट दिए हैं। वीरभद्र सिंह के पुत्र एवं युवा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ेंगे। पिता ने यह सीट उनके लिए छोड़ी है। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर को भी टिकट मिला है और वे मंडी से चुनाव लड़ेंगी। पहले उन्होंने मंडी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था।
इस बार चुनाव में भाजपा ने भ्रष्टाचार और माफिया राज को मुख्य मुद्दा बनाया है। पार्टी द्वारा जारी घोषणापत्र में प्रदेश की जनता को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के अलावा भ्रष्टाचार और माफिया राज को खत्म करने का वादा किया गया है। घोषणापत्र को ‘स्वर्णिम हिमाचल दृष्टि पत्र’ नाम दिया गया है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए कदम उठाने, मुख्यमंत्री कार्यालय में होशियार हेल्पलाइन, चोरी, नशे की रोकथाम के लिए मेजर सोमनाथ वाहिनी का गठन, अवैध खनन से निबटने के लिए उच्च स्तरीय संयुक्त कार्य बल के गठन की घोषणाएं आदि शामिल हैं। साथ ही, भाजपा विधायकों द्वारा संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने, स्वच्छ पेयजल, सड़क निर्माण और आपातकालीन परिस्थितियों में हेली एंबुलेंस सेवा, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार समाप्त कर योग्यता के आधार पर नियुक्ति, छात्रों के लिए लैपटॉप, टैबलेट, वाई-फाई और नौकरी दिलाने के लिए वार्षिक मेले, बीपीएल परिवार के छात्रों को स्नातक स्तर तक निशुल्क शिक्षा, 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने और सब्सिडी बढ़ाने, किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाने, भूमि अधिग्रहीत करने पर चार गुना सरकारी मुआवजा देने की भी बात कही गई है। वहीं, महिलाओं की सुरक्षा के लिए गुड़िया योजना के तहत महिला पुलिस थाने और हेल्पलाइन की स्थापना करने, अपना घर योजना के तहत 2022 तक हर गरीब को घर देने और पर्यटन के क्षेत्र में विकास की योजनाएं भी घोषणापत्र में शामिल हैं। दूसरी ओर, सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस ने भी अपने घोषणापत्र में कई लोकलुभावन वादे किए हैं।
कांग्रेस की निगाह किसानों और युवाओं पर है। पार्टी के घोषणापत्र में किसानों को रिझाने के लिए ब्याज मुक्त कर्ज देने और डेढ़ लाख युवाओं को रोजगार तथा मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटॉप देने जैसी घोषणाएं की गई हैं। हालांकि राज्य की लचर कानून व्यवस्था को लेकर पार्टी बैकफुट पर है और उसे इस मुद्दे पर जवाब देते नहीं बन रहा है। जबकि वीरभद्र सिंह राज्य की सत्ता में कांग्रेस की वापसी का खम ठोक रहे हैं। वे यह तर्क दे रहे हैं कि गुजरात में मोदी लहर नहीं चल रही तो हिमाचल में इसका प्रभाव कैसे होगा? लोग नोटबंदी और जीएसटी से पैदा हुई समस्याओं से परेशान हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश की जनता न केवल मोदी के कामकाज से खुश है, बल्कि उसने नोटबंदी को भी अच्छा कदम बताया है।
मंडी के थुनाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि हिमाचल की जनता वीरभद्र सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का हिसाब मांग रही है। उन्होंने कहा, ‘‘आपके दिल में मोदी जी और भाजपा के लिए जो प्यार है, उसके लिए मैं पार्टी की ओर से आपको हाथ जोड़कर नमन करता हूं। रैली में लोगों की भीड़ को देखकर आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि हिमाचल में भाजपा की लहर नहीं, सुनामी चल रही है।’’ केंद्रीय स्वास्थ मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने जीत का विश्वास जताते हुए कहा, ‘‘इस बार हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार का बनना तय है। केंद्र सरकार ने राज्य को विकास की कई सौगातें दीं, जो सालों से रुकी पड़ी थीं।’’
हिमाचल प्रदेश में 68 सीटों के लिए एक ही चरण में चुनाव हो रहे हैं। पिछले चुनावों में ईवीएम पर उठे सवालों से निबटने के लिए इस बार चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में भारी बदलाव किया है। हिमाचल प्रदेश में पहली बार सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपैट का इस्तेमाल किया जाएगा। यानी मशीन पर मतदाता की क्रम संख्या तो दिखेगी ही, उसने किसे वोट दिया, वह यह भी देख सकेगा। वीवीपैट यानी वोटर वेरीफाइड पेपर आॅडिट ट्रेल एक तरह की मशीन है, जिसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाएगा। मतदान 9 नवंबर और मतगणना 18 दिंसबर को होगी। इस बार चुनाव में फोटो वोटर आईडी का प्रयोग किया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 36 और भाजपा को 26 सीटें मिली थीं।
इनपुट : पाञ्चजन्य ब्यूरो
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