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भारत मूलत: सांस्कृतिक देश है जिसके कण-कण में सांस्कृतिक संपदा का भंडार समाया है। सदियों की विरासत समेटे यह धरोहर पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनी ऐश्वर्य गाथा को हम तक पहुंचा रही है। पर्यटन की दृष्टि से यदि देश के सांस्कृतिक स्थलों का सर्वेक्षण किया जाए तो शायद ही ऐसा कोई प्रांत या जिला होगी, जहां सांस्कृतिक निधि अज्ञात रूप से छिपी न हो।
दरअसल, यह सांस्कृतिक विरासत एक सेतु के समान है जो न केवल पूरे देश, बल्कि विभिन्न भावनाओं को एक साथ मिलाता है। साथ ही, स्थान विशेष से जुड़ी सांस्कृतिक एवं वैचारिक ज्ञान की जिज्ञासा को भी संतुष्ट करता है। इसी जिज्ञासा के वशीभूत अतीत में अनेक विदेशी यहां आए और आज भी आ रहे हैं। बुंदेलकालीन कला-संस्कृति, जल संरक्षण तकनीक और पश्चिम बंगाल में मल्लयुगीन टेराकोटा मंदिर देश के समृद्ध अतीत को दर्शाते हैं। वहीं, चित्तौड़गढ़ का किला राजपूताना शौर्य का प्रतीक है, जबकि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और कश्मीर में पौराणिक महत्व वाली विरासत की भरमार है।
कर्नाटक के मुरुडेश्वर स्थित शिव मंदिर की भव्यता देखते बनती है। तीन तरफ से अरब सागर से घिरे इस नगर में दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची (123 फुट) भगवान शिव की प्रतिमा है। (आवरण चित्र कंडुका पहाड़ी पर स्थित इसी मुरुडेश्वर मंदिर का है।) अंदमान एवं निकोबार द्वीप समूह अपनी विविधताओं के लिए खासतौर से पर्यटन के नए केंद्र के रूप में उभरा है। ये ऐसे स्थल हैं जो पर्यटकों को शांति और सुकून तो देते ही हैं, उन्हें संतुष्ट भी करते हैं। … तो तैयार हो जाइए आपको ले चलते हैं ऐसे सफर पर जहां परंपरा, सभ्यता, उत्सव-मेले और कलात्मक अभिव्यक्ति के साथ भरपूर रोमांच है।
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