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सऊदी अरब कट्टर मुस्लिम देश है और वहाबी विचारधारा को बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान देता है। यहीं मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल मक्का-मदीना है। इसके बावजूद उसने योग को शारीरिक स्वस्थता के नजरिए से बेहतर माना और खेलकूद का दर्जा देकर स्वीकार किया। यही नहीं, नोफ मारावी नामक एक महिला को सऊदी अरब की पहली योग शिक्षिका के रूप में मान्यता भी दे दी। सऊदी ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब रांची में मुस्लिम योग शिक्षिका राफिया नाज के घर पर कुछ कट्टरवादियों ने हमला किया है। पुलिस को कई दिनों तक उनके घर के बाहर पहरा लगाना पड़ा। कट्टरवादी राफिया से इस बात पर नाराज हैं कि स्वामी रामदेव के साथ योग करते हुए उनका एक चित्र सामने आया है। काश! भारत के कट्टरवादी सऊदी अरब से कुछ सीख ले पाएं तो देश के साथ-साथ उनका भी भला होगा। वे हज पर तो जाते हैं लेकिन सऊदी अरब की योग को मान्यता उनके गले नहीं उतरती। प्रश्न यह है कि भारत में ऐसी मजहबी कट्टरता क्यों? योग के संदर्भ में सऊदी अरब के विचारों की जितनी तारीफ की जाए, कम होगी। 2014 में जब भारत ने संयुक्त राष्टÑ में 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था, उस समय सऊदी अरब उन 18 देशों के साथ था, जो प्रस्ताव के सह-प्रायोजक नहीं थे। अब उसी सऊदी अरब ने निर्णय लिया है कि वह अपने यहां योग शिक्षकों के लिए लाइसेंस भी जारी करेगा।
सऊदी सरकार के इस मन परिवर्तन के पीछे नोफ मारावी का बड़ा योगदान है। वे 1998 से योग कर रही हैं और पिछले अनेक वर्ष से योग को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं। नोफ ‘अरब योगा फाउंडेशन’ की संस्थापक और संचालिका भी हैं। ज्यादा से ज्यादा लोग योग को जानें और उसका लाभ उठा सकें, इसके लिए उन्होंने 2008 में सऊदी अरब में योग स्कूल भी शुरू किया। वे अब तक 3,000 से अधिक लोगों को योग का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। वे सऊदी अरब में आयुर्वेद को भी बढ़ाने का काम कर रही हैं। उनका कहना है कि योग और मजहब के बीच कोई विवाद नहीं होना चाहिए, क्योंकि योग करने वाला व्यक्ति स्वस्थ और मन से सुदृढ़ रहता है।
सऊदी अरब में नोफ की सफलता से ईरान के फरशाद नजरघई शिराज शायद सबसे अधिक उत्साहित हुए होंगे। वे भी ईरान में वही सब कर रहे हैं, जो नोफ सऊदी अरब में कर रही हैं। हरिद्वार से यौगिक विज्ञान में स्नातक शिराज ईरान में योग और ध्यान की कक्षा लगाते हैं। उनकी भी बड़ी इच्छा है कि ईरान की सरकार भी योग को मान्यता दे।
आज 121 देशों के करोड़ों लोग प्रतिदिन योग कर रहे हैं। भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रतिपादित हजारों साल पुराने योग को इतने बड़े पैमाने पर स्वीकृति दिलाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
बड़ी भूमिका है। नोफ, राफिया, शिराज जैसे योगधर्मियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत के मजहबी कट्टरवादी इससे कितने दिनों तक आंखें चुराते रहेंगे?
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