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आरा (बिहार) में 30 सितंबर से 5 अक्तूबर तक स्वामी रामानुजाचार्य की 1000 वीं जयंती पर विश्व धर्म सम्मेलन आयोजित हुआ। इस दौरान अनेक कार्यक्रम हुए और देश-विदेश के अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। 4 अक्तूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। श्री भागवत ने कहा कि व्यक्ति के विकास के लिए आवश्यक है कि वह अपनी श्रद्धा पर दृढ़ रहे। भक्त प्रह्लाद को विश्वास था कि कण-कण में भगवान का निवास है। लाख प्रलोभन और धमकियों के बावजूद वे अपने विश्वास पर कायम रहे और खंभे से भगवान प्रगट हुए। उन्होंने कहा कि रामानुजाचार्य जी ने सबके लिए भक्ति और साधना का द्वार खोल दिया। उन्होंने मंदिर के बुर्ज पर चढ़कर सबको गूढ़ मंत्र सहजता से बता दिया।
जब सबने विजयेंद्र गुरु से शिकायत की तो गुरु नाराज हुए। नरक में जाने तक की बात कही। लेकिन रामानुजाचार्य ने सहजता से कहा कि यदि एक व्यक्ति की गलती से हजारों लोगों को मुक्ति मिलती है तो वे यह गलती बार-बार करने को तैयार हैं। गुरु भक्त उपमन्यु की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि सबने उपमन्यु का उपहास किया, लेकिन उपमन्यु की आस्था दृढ़ थी और आज उपमन्यु का नाम श्रद्धा से लिया जाता है। मुस्लिम आक्रांता ने मंदिर तोड़ा। लेकिन उसकी बेटी देवता के विग्रह पर इतनी आसक्त हुई कि उसने विग्रह को ही अपना सब कुछ बना लिया। स्वामी रामानुजाचार्य ने इस मुस्लिम बाला कनम्मा की समाधि दक्षिण भारत में बनवाई। उन्होंने वर्तमान समय की चर्चा करते हुए कहा कि हमको काल बाह्य विचार छोड़ना चाहिए। अपनी आस्था पर दृढ़ रहना चाहिए। इस दिन सरसंघचालक जी ने आरा के संघ कार्यालय का भूमि पूजन
भी किया। -संजीव
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