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गत दिनों मुंबई के कांदिवली स्थित तेरापंथी भवन में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी तथा दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा दो दिवसीय दीनदयाल कथा का आयोजन किया गया। कथाकार थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली के सह प्रांत संघचालक श्री आलोक कुमार। कथा के दूसरे दिन के मुख्य अतिथि थेराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया।
कथा के समापन पर श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि कथाकार श्री आलोक कुमार ने बड़ी ही सहज, सरल भाषा में पं़ दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन का तत्वज्ञान हम सबके बीच रखा है। हम सब जानते हैं कि पंडित जी के विचार शाश्वत हैं। उन विचारों पर चलने की परंपरा जब तक थी, तब तक समाज, देश सुरक्षित रहा। जब उनमें कमी आई, तब देश पर संकट छाया। शाश्वत विचारों पर युगानुकूल चिंतन से परंपरा का परिष्कार होना दीर्घजीवन के लिए आवश्यक होता है। हमें यह अवसर मिला था, जब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई, पर दुर्भाग्य से यह अवसर हमने गंवाया। पंडित जी कहते थे कि मार्क्स का विचार मानव कल्याण का लक्ष्य रखता है, पर वह अपूर्ण चिंतन है, क्योंकि वह केवल संघर्ष का विचार करता है। मानव तथा सृष्टि के परस्परावलंबन को उसने अनदेखा किया। इस अपूर्ण चिंतन को आधार मानकर हमारे तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने अवसर गंवाया। स्वतंत्र समाज के नागरिकों का यह बहुत बड़ा कर्तव्य है कि भारत के शाश्वत चिंतन को अपनी परंपरा का रूप दे कर अपने राष्ट्र के भव्य भवितव्य के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। ल्ल (विसंकें, मुंबई)
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