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हरियाणा को हरि की भूमि माना जाता है। जब भूमि ही हरि की है तो फिर वहां तीर्थों और धर्म-स्थलों की क्या कमी? कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा जाता है। यहीं पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था। कुरुक्षेत्र का सूर्यग्रहण मेला विश्व प्रसिद्ध है। हर वर्ष लाखों लोग कुरुक्षेत्र आते हैं और यहां के ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाकर अपने को धन्य मानते हैं। इनके अतिरिक्त हरियाणा में अनेक पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं
डॉ. महासिंह पूनिया
सां स्कृतिक दृष्टि से हरियाणा एक समृद्ध प्रदेश है। यहां की सांस्कृतिक महत्ता का वर्णन अनेक पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इस प्रदेश की भूमि पर हरि का आना हुआ इसीलिए इस प्रदेश का नामकरण हरियाणा रखा गया। यद्यपि वर्तमान हरियाणा राज्य की स्थापना 1 नवंबर, 1966 को हुई, परंतु इसका उज्जवल इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं गौरवपूर्ण रहा है। संस्कृत के महाकवि बाण ने अपने काव्य ‘हर्षचरित’ में प्राचीन हरियाणा के ऐश्वर्य और समृद्धि का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है, ‘‘जो पोण्डे एवं गन्ने के बाड़ों के ऐसी कतारों से भरपूर है, जिसको क्षीरसागर का जल पीने वाले बादलों से सींचा गया हो, जहां पर समस्त सीमान्त चारों और फसल के ढेरों से जिनको खलिहान में काम करने वाले परिवार विभक्त कर रहे हैं, मानो आश्चर्यजनक पर्वतों से घिरा हुआ है। जो प्रचुर शस्य उत्पन्न करने वाले विशाल धान के खेतों से सुशोभित है। जिसके जंगल ऐसे गो समूहों से श्वेत प्रतीत होते हैं, जिनका दूध टपक रहा है और जो अत्यंत कोमल घास खाकर तृप्त है।’’ प्रसिद्ध लेखक सोमदेव ने भी लिखा है, ‘‘जहां इतना अन्न होता है कि लोग बोएं हुए को काट नहीं सकते और काटे हुए को उगाह नहीं सकते तथा उगाहे हुए को संग्रह नहीं कर सकते।’’ कहना न होगा कि कि वैदिक काल से वर्तमान तक हरियाणा प्रदेश का इतिहास गौरव-मंडित रहा है। वैसे तो भारतीय संस्कृति का उद्गम स्थल यह प्रदेश प्राचीनकाल से ही विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है, परंतु वर्तमान में भी यहां ऐसे असंख्य स्थान हैं, जो पौराणिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अपनी महिमा का गुणगान अपनी ही जुबानी करते हैं। शायद यही कारण है कि आज भी मेलों, पर्वों एवं उत्सवों के अवसरों पर यहां सैलानियों की भीड़ को उमड़ते हुए देखा जा सकता है।
राज्य सरकार के प्रयास
स्वदेश दर्शन योजना के अन्तर्गत कुरुक्षेत्र शहर के पांच प्रमुख स्थानों में सनहित सरोवर, अमीन कुंड, नरकटरी, ब्रह्मसरोवर और ज्योतिसर शामिल है। इनके विकास के लिए भारत सरकार द्वारा 97 करोड़ 34 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। 19 करोड़ 47 लाख रुपए जारी।
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के तीर्थ यात्रियों को प्रोत्साहन देने के लिए स्वर्ण जयन्ती गुरुदर्शन यात्रा के तहत प्रतिवर्ष 50 व्यक्तियों को 6,000 रु. या वास्तविक खर्चे का 50 प्रतिशत प्रति व्यक्ति वित्तीय सहायता देने का निर्णय।
स्वर्ण जयन्ती सिन्धु दर्शन योजना के तहत 10,000 रु. प्रति तीर्थयात्री। अधिकतम 50 यात्रियों तक तथा मानसरोवर यात्रा योजना के तहत 50,000 रु. प्रति तीर्थयात्री। अधिकतम 50 यात्रियों को वार्षिक वित्तीय सहायता देने का प्रावधान।
हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां होटल प्रबंधन से संबंधित पांच संस्थान कुरुक्षेत्र, रोहतक, पानीपत, यमुनानगर और फरीदाबाद में कार्यरत है। पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हुनर से रोजगार स्कीम के तहत सभी संस्थानों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी सौपी गई है। इसके तहत 9042 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘हरियाणा ट्रैवल गाइड’ नामक पुस्तक प्रकाशित।
नारनौल-महेन्द्रगढ़-माधवगढ़-रेवाड़ी को ग्रामीण पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने के लिए 9,9़95 करोड़ रुपए की लागत की एक परियोजना स्वीकृति हेतु भेजी गई है।
1966-67 में पर्यटन स्थल- 1
1917-18 में पर्यटन स्थल -43
2016-17 में पर्यटकों की संख्या
77.38 लाख
गीता की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र का इस प्रदेश में विशिष्ट स्थान है। यहीं पर ज्योतिसर में श्रीकृष्ण ने अस्थिर चित्त अर्जुन को युद्धभूमि में ज्ञान का दीप गीता के संदेश के माध्यम से प्रज्ज्वलित किया था। यह क्षेत्र सदा से ही भारत का सिंहद्वार रहा है। यहां का सूर्यग्रहण मेला देशभर में प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र की 48 कोस की सीमा में 365 प्राचीन तीर्थ बताए गए हैं। सन्निहित सरोवर वह स्थल है जहां कमल की नाभि से भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। इस सरोवर में आस-पास की नदियों एवं झीलों का पानी एकत्रित होने के कारण इसका नाम सन्निहित सरोवर पड़ा। भगवान शिव ने ब्रह्मा के सिर को खंडित किया और जिस स्थल पर जाकर वह गिरा, उस स्थल का नाम ब्रह्मसर, ब्रह्मसिर, ब्रह्मसरोवर के नाम से जाना जाने लगा। वेदों में ब्रह्मसरोवर नामक झील का विवरण शर्यणा झील के नाम से मिलता है। सन्निहित एवं ब्रह्मसरोवर तो सृष्टि के रहस्य को अपने में समेटे हुए हैं। स्थाणु मंदिर, जहां पर महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले श्रीकृष्ण ने शिव की आराधना की थी, के दर्शन के बिना आगन्तुकों की यात्रा अधूरी रहती है। पिहोवा तीर्थस्थल पर हिंदू अपने पितरों के लिए पिण्डदान करने जाते हैं। पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर यहां के सरोवरों में स्नान करने से 1,000 अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। यही वह स्थल है जहां सरस्वती के तट पर वेदों की रचना हुई। सरस्वती के मैदानी स्थल आदिबद्री की भी ऐतिहासिक एवं पौराणिक दृष्टि से विशेष महत्ता है। इतना ही नहीं, गुरु द्रोण के नाम पर गुरुग्राम, कपिल मुनि के नाम पर कपिल वस्तु और कैथल, पाणीप्रस्थ के नाम पर पानीपत, शोणाप्रस्थ के नाम पर सोनीपत, अग्रोहा के नाम पर अग्रवाल धाम, पंचतीर्थ तोशाम, च्यवन ऋषि के नाम पर स्थापित ढोसी, कर्ण के नाम पर करनाल, सर्प मर्दन के नाम पर सफीदों, कार्तिकेय की राजधानी के रूप में रोहतकम, आशीगढ़ के नाम पर हांसी, अभिमन्यु के नाम पर अमीन से अभिमन्युपुर, ऐषुकारिभक्त के नाम पर हिसार, कपालमोचन के नाम पर यमुना नगर, तुषाम के नाम पर तोशाम, तौषायण के नाम पर टोहाना, पंचपुर के नाम पर कालका, शैरीषिक के नाम पर सिरसा, स्थाण्वीश्वर के नाम पर थानेसर, सूर्यकुंड के नाम पर सूरजकुंड आदि अनेक ऐसे पौराणिक स्थल हैं जिनकी महत्ता वेदों एवं पुराणों में देखने को मिलती है।
सारवान के शिलालेख के तीसरे श्लोक में लिखा है, ‘‘देशोअस्ति हरयाणाख्य: पृथ्व्यिां स्वर्गसन्निभ:।’’ यानी हरियाणा वह प्रदेश है जो इस पृथ्वी पर स्वर्ग के समान है। यही कारण है कि हरियाणा के प्रति पर्यटकों का विशेष लगाव रहा है। तभी तो हरियाणा पर्यटन विभाग की ओर से राज्य के अलग-अलग जिलों में 43 पर्यटन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। खास बात यह है कि इन पर्यटन केन्द्रों के नाम पक्षियों के नामों पर रखे गए हैं। इसके पीछे यह मूल धारणा है जिस प्रकार पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान पर उड़कर यात्रा करता रहता है, उसी प्रकार यात्री भी पक्षियों के रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय पक्षियों को आश्रय देने के उद्देश्य से ही यह नामकरण प्रासंगिकता की कसौटी पर खरा उतरता है। हरियाणा का राज्य पक्षी काला तीतर भी इसका परिचायक है। पर्यटन विभाग की ओर से अंबाला में किंगफिशर, भिवानी में बया, फरीदाबाद में अरावली गोल्फ कोर्स, बड़खल झील, राजा नाहर सिंह पैलेस, हर्मिटेज हट, सनबर्ड़, राजहंस, अधेला आदि पर्यटन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। गुरुग्राम में बारबेट, सरस, समा, सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य पर्यटन केन्द्र स्थापित किए गए हैं। हिसार में ब्लू बर्ड, फ्लेमिंगो की स्थापना की गई है। जींद में बुलबुल, कैथल में कोयल, करनाल में कर्ण झील और ओएसिस की स्थापना की गई है, जबकि कुरुक्षेत्र में अंजन, नीलकंठी व पैराकीट स्थापित किए गए हैं। पंचकूला में यादविन्द्र गार्डन, टिकरताल, लालबिशप, जटायु यात्रिका आदि स्थलों की स्थापना की गई है। पानीपत में ब्लूजे, स्काईलार्क पर्यटन के केन्द्र हैं। रोहतक में मैना, तिलियार, सिरसा में सिकारा, सुरखाब, सोनीपत मेंं एथिनिक इंडिया राई, यमुनानगर में ग्रे पेलिकन, रेवाड़ी में जंगल बब्लर, सेंडपाईपर, पलवल में डबचिक, झज्जर में गोरैया, फतेहाबाद में पपीहा आदि ऐसे पर्यटन केन्द्र हैं जो पर्यटकों के लिए सदैव तैयार रहते हैं। इसके साथ ही हरियाणा के पर्यटन विभाग द्वारा सालभर में अनेक मेलों का आयोजन किया जाता है। ये मेले पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं। फरवरी माह में सूरजकुण्ड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सूरजकुण्ड क्राफ्ट मेला विदेशी पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र है। सूरजकुण्ड में 1985 से लेकर अब तक 32 से अधिक क्राफ्ट मेलों का आयोजन हो चुका है। इस मेले में पूरे भारत के शिल्पकार भाग लेते हैं। प्रत्येक वर्ष एक राज्य को विषय बनाकर उसकी लोककला को प्रचारित एवं प्रसारित किया जाता है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के किसी एक देश की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाता है। 20 से अधिक देशों के शिल्पकार इस मेले में भाग लेकर इसे अंतरराष्ट्रीय मेले के फलक तक पहुंचाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। पिछले वर्ष सूरजकुण्ड मेले का आयोजन 15 दिन से बढ़ाकर 18 दिन कर दिया गया और पर्यटकों की संख्या 15,50,000 की सीमा को पार कर गई। हरियाणा सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा चंडीगढ़ के रोज गार्डन में आयोजित मैंगो मेला पूरे भारत के आम उत्पादकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। इस मेले में आमों की विविध किस्मों से पर्यटकों को परिचित कराया जाता है। इस मेले को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों लोग आते हैं। इसके साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित बैसाखी मेला भी आकर्षण का केन्द्र रहता है। पिन्जौर के यादविन्द्र गार्डन में आयोजित हैरिटेज मेला लोक सांस्कृतिक धरोहर के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। हरियाणा सरकार एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता जयन्ती समारोह लाखों की संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर आयोजित लोक सांस्कृतिक परम्पराओं के प्रतीक सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक खेल, सरस मेला तथा प्रदर्शनियां पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र होती हैं। सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर के तट पर आयोजित होने वाला सूर्यग्रहण मेला भी लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके अतिरिक्त कपालमोचन का मेला लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का ऐसा केन्द्र है जहां देशी एवं विदेशी पर्यटक आकर पुण्य की प्राप्ति करते हैं। पशुओं के लिए झज्जर के बेरी गांव में आयोजित होने वाला मेला भी मशहूर है।
हरियाणा में अनेक तीर्थस्थल हैं। यहां पर मंदिरों की भरमार है। इन तीर्थस्थलों एवं मंदिरों में भी समय-समय पर मेलों का आयोजन किया जाता है। इस तरह के ग्रामीण एवं जिला स्तर के मेले भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
हरियाणा की सभ्यता एवं संस्कृति को विकसित करने के लिए हरियाणा के अलग-अलग स्थानों पर संग्रहालयों की स्थापना की गई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में स्थापित धरोहर हरियाणा संग्रहालय हरियाणवी संस्कृति का ऐसा संग्रहालय है जो पूरे देश में अनूठा है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा स्थापित श्रीकृष्ण संग्रहालय कुरुक्षेत्र एवं श्री कृष्ण से जुड़े हुए इतिहास को समेटे हुए है। विज्ञान केन्द्र द्वारा स्थापित पैनोरमा संग्रहालय विज्ञान एवं संस्कृति का ऐसा केन्द्र है जिसे अब तक करोड़ों पर्यटक देख चुके हैं। कल्पना चावला तारामंडल स्कूली छात्रों एवं पर्यटकों के आकर्षण का विशेष केन्द्र है। शेख चिल्ली के मकबरे पर स्थापित पुरातात्विक संग्रहालय भी पर्यटकों को ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक जानकारी देता है। झज्जर में आचार्य भगवान देव द्वारा स्थापित संग्रहालय अत्यन्त प्रसिद्ध है। पानीपत में स्थापित संग्रहालय पानीपत में हुई। सभी लड़ाइयों एवं लोक सांस्कृतिक विषय-वस्तुओं का संकलन केन्द्र है। इसके साथ ही पंचकूला में भीमा देवी मन्दिर में स्थापित संग्रहालय भी पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। आदिबद्री में सरस्वती नदी से जुड़ा संग्रहालय ऐतिहासिक एवं पौराणिक तथ्यों को अपने अंदर समेटे हुए है। इतना ही नहीं, सिरसा एवं रोहतक जिलों में भी स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं।
हरियाणा की झीलें भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। करनाल झील पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध हैं। बड़खल झील में भी दोबारा से पानी भर दिया गया है। यह झील भी पर्यटकों को अनायास ही लुभा लेती है। सुलतानपुर झील पक्षियों का ऐसा केन्द्र है जहां पर विदेशी पर्यटक भी आते हैं। सोहना में गर्म पानी का चश्मा विशेष रूप से धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इतना ही नहीं, हरियाणा में कलेसर जंगल, यमुना के तट तथा हिसार और फतेहाबाद जिलों में स्थापित किए गए नैसर्गिक जंगल हिरण और अन्य पशु-पक्षियों के आश्रय-स्थल हैं जो पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं।हरियाणा में अनेक पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्थल विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं जिनमें पानीपत का काला आम्ब, घरौंडा की सराय, कुरुक्षेत्र का शेख चिल्ली का मकबरा, कलायत का पौराणिक मन्दिर, पिहोबा और कुरुक्षेत्र के मन्दिर, हिसार और हांसी का किला, बुडिया का किला, जींद के राजा का किला, राजा नाहर सिंह का किला, महारानी किशोरी का महल आदि अनेक ऐसे पुरातात्विक स्थल हैं जो हरियाणा की ऐतिहासिक धरोहर को समेटे हुए हैं। पर्यटक इन्हें देखने के लिए जाते हैं और हरियाणा के विषय में ऐतिहासिक ज्ञान अर्जित करते हैं।
लोक सांस्कृतिक दृष्टि से हरियाणा पर्यटकों का प्रिय स्थल है। यही कारण है कि यहां हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं और हरियाणा के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक जानकारी हासिल कर अपना ज्ञानवर्धन करते हैं। हरियाणा पर्यटन विभाग के मुख्य सचिव विजय वर्धन कहते हैं, ‘‘आने वाले दिनों में हरियाणा में पर्यटन की अपार संभावनाओं को विदेशी पर्यटकों के साथ जोड़ा जाएगा ताकि हरियाणा की सांस्कृतिक समृद्धता का संदेश वैश्विक फलक पर पहुंचाया जा सके।’’
उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा शीघ्र ही अपना राज्य स्तरीय संग्रहालय स्थापित करने जा रहा है। इससे भी पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी। आने वाले दिनों में हरियाणा फिल्म सिटी की स्थापना कर मुंबई के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित किया जा सकता है और गांवों में स्थापित हवेलियों को सुधार कर ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। खेती को पर्यटन के साथ जोड़कर खेती पर्यटन विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है। हरियाणा में जीटी रोड पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसके माध्यम से भी पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित किया जा सकता है। इसके साथ ही हरियाणा की पर्यटन एवं संस्कृति नीति और हेरिटेज बोर्ड बनाकर पर्यटन के क्षेत्र में काफी कुछ नया किया जा सकता है।
(लेखक यूनिवर्सिटी कॉलेज, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष हैं)
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