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आॅस्ट्रेलिया में हिंदू बना रहे हैं अपनी पहचान

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Oct 2, 2017, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Oct 2017 11:56:11

गत दिनों आॅस्ट्रेलिया में छठी आॅस्ट्रेलियन नेशनल हिंदू कॉन्फें्रस आयोजित हुई। इसका मूल मंत्र था ‘मजबूत समुदाय, मजबूत आॅस्ट्रेलिया’। कॉन्फें्रस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए दक्षिण आॅस्ट्रेलिया के गवर्नर ह्यूवेन ली ने कहा कि हमारे समाज के निर्माण में यहां रह रहे हिंदू समुदाय का बड़ा योगदान हो रहा है। वहीं दक्षिण एशिया के प्रीमियर जे. मेडरिल ने अपने एक संदेश में कहा कि यह कार्यक्रम हिंदू समाज को एक नई दिशा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समुदाय अपने लोगों के साथ अपने सांस्कृतिक उपहारों को उदारतापूर्वक साझा करके हमारे राज्य को समृद्ध करता है। विश्व हिंदू परिषद, दक्षिण आॅस्टेÑलिया के अध्यक्ष राजेंद्र पांडे ने कहा कि आॅस्ट्रेलिया की आबादी का सिर्फ 1.9 प्रतिशत हिंदू हैं, लेकिन इसके विकास में ये लोग बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आॅस्ट्रेलिया के पेशेवरों में 2.4 प्रतिशत हिंदू हैं। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्टÑीय संयोजक और संयुक्त महासचिव स्वामी विज्ञानानंद जी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि कई देशों से हिंदू आॅस्ट्रेलिया आते हैं और अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाते हैं। समारोह को मंत्री जे. बेटीसन, विश्व हिंदू परिषद, आॅस्ट्रेलिया के अध्यक्ष आर. सुब्रह्मण्यम सहित अनेक लोगों ने भी संबोधित किया।
      प्रतिनिधि

दुर्गावाहिनी का पथ संचलन
पिछले दिनों दुर्गावाहिनी के स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली के अनेक स्थानों पर पथ संचलन एवं शस्त्र पूजन के कार्यक्रम हुए। दुर्गावाहिनी की कार्यकर्ता अपने साथ शस्त्र लेकर कार्यक्रम में पहुंचीं और शस्त्रों का पूजन करने के उपरांत शहर के अनेक  स्थानों से होते हुए जय श्रीराम के घोष के बीच संचलन किया। इस दौरान विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। दुर्गा वाहिनी की राष्टÑीय संयोजिका दीदी माला रावल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी कार्यकर्ता शक्ति की उपासक हैं और वे हमेशा धर्म और गो-माता की रक्षा के लिए शस्त्र उठाती हैं।
प्रांत मंत्री बचन सिंह ने कहा कि दुर्गा वाहिनी भारतीय नारियों में आत्मचेतना और संबल तथा मातृशक्ति संस्कारों को जगाने के साथ देशप्रेम, शोषण और अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करती है। इसी योजना के तहत अब दिल्ली में भी दुर्गा वाहिनी की कार्यकर्ता महिलाओं को सबल करने का प्रयास कर रही हैं। समारोह को अन्य गणमान्य लोगों ने भी संबोधित किया।     प्रतिनिधि

भारतीय संस्कृति में ही सर्व मंगल की कामना
भारत बोध संवाद व्याख्यान शृंखला के अंतर्गत 21 सितंबर को नई दिल्ली में एक गोष्ठी का आयोजन हुआ। विषय था- ‘भारतीय संस्कृति का वैश्विक अवदान’। गोष्ठी के मुख्य वक्ता और भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि एकात्मता और परिवार भाव ही भारतीय संस्कृति का वैश्विक अवदान है। भारतीय शब्द हमारी संस्कृति का परिचायक है। आजादी के समय कुछ लोगों ने देश का नाम आधिकारिक रूप से ‘भारत’ रखने के लिए कई प्रयत्न किए लेकिन अंग्रेजपरस्त लोगों ने साथ नहीं दिया।
हमारे यहां सांस्कृतिक परंपराओं के पीछे जो भी दृष्टि है, उसका संदर्भ सदैव वैश्विक ही रहा है। उन्होंने कहा कि आज भी भारत में सुबह-शाम की पूजा के समय जो प्रार्थना की जाती है, उसमें ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की कामना की जाती है। केवल भारतीय संस्कृति ही ऐसी कामना करती है। हम यह नहीं कहते कि ‘सर्वे हिन्दू भवन्तु सुखिन:’, न ही हम यह कहते हैं कि ‘सर्वे भारतीया: भवन्तु सुखिन:’, हमने ये भी नहीं कहा कि सर्वे मानवा: भवन्तु सुखिन: अपितु हमारी प्रार्थना समस्त सृष्टि के लिए है जिसमें चर-अचर, जड़-चेतन, सभी प्रकार के भेदों से परे जाकर जो कुछ भी अस्तित्व में है, हमने
सबके सुख की कामना ही नहीं अपितु उसके लिए कर्म करने की पहल की है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने कहा कि भारत के आत्म-गौरव को नष्ट करने के लिए अंग्रेजों ने इस देश की शिक्षा व्यवस्था को बदला। बिना आत्मगौरव के राष्टÑ गौरव नहीं हो सकता। विशिष्ट अतिथि और इंदिरा गांधी राष्टÑीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार ने कहा कि परिवार संस्था के अति प्राचीन पुरातात्विक प्रमाण हमें उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर एवं मध्य प्रदेश के भोपाल के पास स्थित भीमबेटका से प्राप्त हुए हैं, जिसकी तिथि लगभग 80,000 वर्ष पूर्व के आसपास की है।        प्रतिनिधि

   ह्यूस्टन में सेवा इंटरनेशनल के राहत कार्य

पिछले दिनों अमेरिका के ग्रेटर ह्यूस्टन में हार्वे नामक तूफान आया। यह अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा थी। इससे लाखों मकान ध्वस्त हो गए, शहर तहस-नहस हो गया। इस हालत में लोगों पर क्या बीती होगी, इसका अंदाजा भी लगाना मुश्किल है। लोगों की मदद के लिए अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संगठन आगे आए। इनमें एक प्रमुख संगठन है सेवा इंटरनेशनल।
 सेवा इंटरनेशनल के कार्यकर्ताओं ने तूफान थमने के बाद ही राहत कार्य शुरू कर दिया। 800 से अधिक स्वयंसेवकों ने राहत के अलग-अलग कार्यों को संभाला। इन लोगों ने तूफान से प्रभावित घरों की सफाई से लेकर दवाई और भोजन तक पीड़ितों को उपलब्ध कराया। उन्होंने राहत राशि के रूप में 10 दिन में ही 2,50,000 डॉलर जुटाए। स्वयंसेवकों ने ह्यूस्टन के चारों ओर पांच अलग-अलग उपनगरों में सक्रिय रूप से काम किया। उन्होंने विभिन्न स्थानीय संगठनों की मदद से 5,000 तूफान पीड़ितों के लिए भोजन उपलब्ध कराया। ह्यूस्टन और आसपास के छोटे शहरों में पानी और खाद्य आपूर्ति के दस ट्रक भेजे गए। कार्यकर्ताओं को पीड़ितों की जानकारी तुरंत देने और उन तक मदद पहुंचाने के लिए उपग्रह आधारित पांच सेवा समूह बनाए गए। इसके अलावा व्हाट्सएप का भी इस्तेमाल किया गया। इन समूहों से 1,000 कार्यकर्ता जुड़े हैं। मदद के इस कार्य में भारतीय समुदाय के लोगों ने दिल खोलकर सहयोग किया। उल्लेखनीय है कि सेवा इंटरनेशनल के कार्यकर्ता दुनिया के अनेक देशों में कार्य कर रहे हैं।   प्रतिनिधि

वनवासियों के द्वार पहुंचा कम्प्यूटर
आजकल डिजिटल भारत पर जोर दिया जा रहा है। इसकी बड़ी आवश्यकता भी है। लेकिन देश के अनेक हिस्सों में, खासकर वनवासी गांवों में डिजिटल क्या है, इसकी जानकारी तक नहीं है। अभाव में जी रहा वनवासी समाज अपने बच्चों को शहर भेजकर प्रशिक्षण नहीं दिलवा सकता। इसी को देखते हुए एकल अभियान ने गांवों के बच्चों को कम्प्यूटर और इंटरनेट की जानकारी देने के लिए एकल कम्प्यूटर लैब की शुरुआत की है। एकल अभियान ग्रामोत्थान योजना के अंतर्गत इन दिनों पूरे भारत में छह एकल कम्प्यूटर लैब काम कर रही हैं।
पहली लैब झारखंड के चक्रधरपुर, करंजो में अक्तूबर, 2015 में शुरू हुई। लैब एक बस के अंदर बनी हुई है। वह बस गांवों में जाती है और एक निश्चित अवधि तक वहां रहती है। इस दौरान वहां के बच्चों को बेसिक कोर्स, हिंदी-अंग्रेजी टाइपिंग, एम़ एस़ आॅफिस एवं आॅफिस वर्क आदि की जानकारी के साथ इंटरनेट चलाने में निपुण बनाया जाता है। इसके बाद इनकी आॅनलाईन परीक्षा होती है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत प्रशिक्षार्थी उत्तीर्ण हो रहे हैं। इन प्रशिक्षणार्थियों को ग्रामोत्थान संसाधन केंद्र के द्वारा प्रमाणपत्र दिया जाता है।     
अब तक 168 गांवों के 7,369 बच्चे प्रशिक्षित हो चुके हैं। इनमें से कई बच्चों को स्थानीय डाकघरों में काम मिल गया है, तो कइयों ने स्वरोजगार के साधन जुटा लिए हैं। एकल अभियान के इस प्रयास की हर ओर सराहना हो रही है। जिन गांवों में यह लैब अभी नहीं जा रही है, वहां के लोग इसकी मांग कर रहे हैं।     
     कुबेर सिंह  

वृत्तचित्र ‘गयाधाम पिंडदान’ का लोकार्पण
गत दिनों गया (बिहार) में पाटलिपुत्र सिने सोसाइटी द्वारा निर्मित वृत्तचित्र ‘गयाधाम पिंडदान’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पणकर्ता थे राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख श्री स्वांत रंजन। इस अवसर पर विधान पार्षद श्री कृष्ण कुमार सिंह भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में श्री स्वांत रंजन ने कहा कि सेकुलर मीडिया सनातन संस्कृति से जुड़ी बातों को विकृत कर परोस रहा है। ऐसे में वृत्तचित्र के माध्यम से सनातन संस्कृति के तथ्यों को प्रचारित-प्रसारित करने की जरूरत है। इससे नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से अवगत होगी। उन्होंने कहा कि पिंडदान की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है और विश्व के किसी भी कोने में रहने वाले हिंदू पिंडदान करते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस वृत्तचित्र के माध्यम से पिंडदान प्रक्रिया और इसका महत्व अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचेगा। श्री कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि गया विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है। भारत सरकार ने बनारस के साथ-साथ गया को धरोहर नगरी घोषित किया है। उन्होंने कहा कि पिंडदान पर वृत्तचित्र बनने से इस विषय में जानना-समझना और भी सरल हो गया है।
मंच संचालन विश्व संवाद केंद्र, पटना के संपादक संजीव कुमार ने किया। वृत्तचित्र की विषय-वस्तु की जानकारी इसके निर्देशक प्रशांत रंजन ने दी। इस अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण बिहार के प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश पांडेय, केंद्रीय विश्वविद्यालय के सनत शर्मा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
     प्रतिनिधि

कट्टरता को पोस रहे हामिद
पूर्व उपराष्टÑपति हामिद अंसारी द्वारा केरल में पॉपुलर फ्रंट के कार्यक्रम में भाग लेने पर विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विहिप के अंतरराष्टÑीय संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन ने 24 सितंबर को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि कट्टरपंथ मजहबी तत्वों के पक्षधर हामिद अंसारी अब अपने असली रंग में खुलकर सामने आ गए हैं। हालांकि पद पर रहते हुए भी वे अपने भाषणों से मुस्लिम समाज में असंतोष पैदा करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से अलगाववादी एजेंडे को ही लागू कर रहे थे। अब वे कट्टर उन्मादी संगठनों के संरक्षक के रूप में काम करते दिखाई दे रहे हैं। यह पूरा देश जानता है कि पॉपुलर फ्रंट सिमी का नया रूप ही है। यह जिहादी और आतंकी काम तो करता ही है, केरल में देशभक्तों की निर्मम हत्या में इसके कार्यकर्ता आरोपित भी हैं। राष्टÑीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके लव जिहाद के कारनामों में इसकी भूमिका की सुरक्षा एजेंसियां जांच कर ही रही हैं। विहिप ने सरकार से मांग की है कि पद पर रहते हुए हामिद अंसारी के ऐसे संगठनों के साथ संबंधों की तो विस्तृत जांच होनी ही चाहिए, साथ ही इस बात का भी पता लगाया जाना चाहिए कि देश के इस अति महत्वपूर्ण पद का कथित दुरुपयोग कर उन्होंने किन-किन संगठनों और विचारधाराओं को प्रोत्साहन दिया। प्रतिनिधि

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