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पिछले दिनों नई दिल्ली के श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर में स्व.अशोक सिंहल जी की स्मृति में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत उपस्थित थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत एक है और अब वह जाग रहा है। भारत उठेगा और अपना स्थान हासिल करेगा, ऐसी आशाएं पल्लवित हो रही हैं। ज्ञान निधि प्रकट करने का समय आ गया है। हमें अपने आप को पहचानना होगा। वेद हमारी पहचान तो हैं, लेकिन उन्हें एक बार फिर लोगों के लिए आधुनिक युग के हिसाब से समझाना होगा। परमाणु क्षेत्र में हुई खोज का श्रेय भी वैज्ञानिक वेदों को ही देते रहे हैं। वेदों में भौतिक ज्ञान भी है। इसलिए समय के साथ इसे समझा जा सकता है। जरूरत है, तो बस हाथ आगे बढ़ाने की। वेदों को ऐसी भाषाओं में लाना होगा, जिसे दुनिया आसानी से समझ सके और लाभ उठाए।
श्री भागवत ने कहा कि वेदों का संरक्षण करने वालों की मदद के लिये लोगों को आगे आना चाहिये, जो जितनी मदद कर सकता है उसे पूरी क्षमता से करनी चाहिये। दूसरी बात, विज्ञान और अध्यात्म एक साथ हो सकते हैं और यह बात बहुत से लोग मानते भी हैं। अध्यात्म के बिना भौतिक ज्ञान का कोई उपयोग नहीं है, वह मार्ग से भटक जाएगा। विज्ञान और अध्यात्म में संगम होना ही चाहिये। हमें पूर्व संचित वेदों के ज्ञान को एक बार फिर से गुंजाने की आवश्यकता है और यही समय की जरूरत भी है। वेदों के तथ्य वर्तमान युगानुसार समाज के सामने रखें। वेद सनातन हैं और ऋषियों का मंथन हैं। समझाने में हो सकता है समय लगे, लेकिन हमें प्रयास आज से शुरू करना होगा। जनमानस में वेदों की एक बार फिर स्थापना हो। -प्रतिनिधि
शक्ति आराधना का पर्व है विजयादशमी
''आसुरी शक्ति का विनाश करने के लिए देवी दुर्गा ने अवतार लिया और दुष्टों का नाश किया। इसलिए विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।'' उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र कुमार ने रखे। वे गत दिनों भुवनेश्वर में आयोजित विजयादशमी उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सज्जन शक्तियों के संगठित होने पर ही अधर्म पर धर्म की जीत पक्की होगी। व्यक्ति निर्माण और सज्जन शक्ति के जागरण कार्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगा हुआ है। ल्ल प्रतिनिधि
'हिन्दू और हिन्दुत्व ही है भारत की पहचान'
''विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है और यह निरंतर बढ़ती रहेगी। हां, कुछ समस्याओं और देशहित के प्रश्नों पर एकात्म भाव से प्रयास करना होगा। यह भारत को परम वैभवशाली बनाने के लिए आवश्यक होगा।'' उक्त उद्बोधन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेश भैयाजी जोशी ने दिया। वे गत दिनों रायपुर में स्वामी विवेकानंद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में विजयादशमी पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर श्री हरिहरानंद जी सरस्वती, सह प्रांत संघचालक डॉ़ पुर्णेन्दु सक्सेना, महानगर संघचालक श्री उमेश अग्रवाल मंच पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर भैयाजी ने कहा कि विश्व में किसी राष्ट्र को सम्मान तभी मिलता है, जब वह शक्तिशाली होता है। भारत तेजी से विश्व पटल पर शक्तिशाली देश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। भारत की पहचान हिन्दू और हिन्दुत्व है। यही यहां के मूल्य हैं, जिसके तहत हम विश्व और सभी प्राणियों के कल्याण की कामना करते हैं। इतिहास में उल्लेख है कि भारत दुनिया में शस्त्र लेकर नहीं गया, अपितु शास्त्र लेकर गया। भारत का चिंतन प्रासंगिक नहीं, बल्कि सर्वकालिक और सभी के
लिए है। -प्रतिनिधि
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