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एक पहलवान को विश्वस्तरीय खिलाड़ी बनाने के लिए जितनी मेहनत करनी होती है, कमोबेश उतनी ही मेहनत उसकी कर्मभूमि यानी अखाड़े को तैयार करने में लगती है। अखाड़े को तैयार करने से पहले जमीन को करीब पांच फीट खोद कर उसमें नर्म मिट्टी डाली जाती है। खिलाड़ी चोटिल न हों इसके लिए अखाड़े की मिट्टी को हर रोज ऊपर-नीचे किया जाता है। इसके बाद मिट्टी में घी मिलाया जाता है ताकि उसकी नर्माहट बनी रहे। फिर मिट्टी को समतल किया जाता है ताकि पहलवान अभ्यास या मुकाबले के दौरान चोटिल न हो। हर दिन अभ्यास से पहले अखाड़े की इसी तरह से तैयारी की जाती है ताकि वह सालोंसाल चल सके। अखाड़े को इतना पावन माना जाता है कि हर पहलवान अखाड़े की पूजा करता है, उसको प्रणाम करने के बाद ही उस पर अभ्यास शुरू करता है।
पहलवानों की दिनचर्या
एक अखाड़े में आमतौर पर 50-60 पहलवान तैयार किए जाते हैं। पहलवानों की दिनचर्या प्रात: 4 बजे शुरू हो जाती है। सबसे पहले पहलवान दो से चार किलोमीटर तक दौड़ लगाते हैं। वार्मअप हो जाने के बाद वे हाथ, पैर, जांघों, पसलियों और मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करते हैं। इसके बाद उनका अभ्यास का दौर शुरू होता है जहां वे अपने दांव-पेंच मांजते हैं। फिर कुछ समय विश्राम करने के बाद वे पेड़ों पर बंधी मोटी रस्सी और मल्लखंभ पर चढ़ने-उतरने का अभ्यास करते हैं जिससे मुकाबले के दौरान प्रतिद्वंद्वियों पर उनकी पकड़ ढीली न पड़े। इससे हाथों और पैरों को मजबूती मिलती है। पहलवानों के अभ्यास का यह दौर कोई चार घंटे तक चलता है। इसी प्रक्रिया को वे दूसरे सत्र में भी अपनाते हैं।
शाकाहार में है दम
भारतीय पहलवान आमतौर पर शाकाहारी आहार लेना पसंद करते हैं। उनकी खुराक मुख्यत: दूध, दही, घी, मट्ठा, सूखे मेवे, फल, हरी सब्जी और दाल-रोटी पर आधारित होती है। प्रात:काल दौड़ लगाने और शारीरिक व्यायाम के बाद पहलवान चाय या जूस पीते हैं। फिर अखाड़े पर अभ्यास करने के बाद वे जूस या बादाम, अखरोट व पिस्ते के बने पेस्ट को दूध में मिलाकर पीते हैं। कुछ पहलवान फल या दलिया लेना पसंद करते हैं। इसके बाद दोपहर का भोजन करते हैं, जबकि सायंकाल में उनका इसी तरह का क्रम रहता है। एक पहलवान एक दिन में आमतौर पर दो से चार किलो दूध, करीबन 250 ग्राम सूखे मेवे, 10-12 रोटियां, करीब 200 ग्राम दाल सहित हरी सब्जियां खाता है।
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