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मणिपुर में नागा विद्रोही गुटों की साजिश के चलते जनजीवन एक बार फिर अनिश्चितकालीन गतिरोध झेलने पर विवश है। मणिपुर की कांग्रेस सरकार के 7 नए जिले बनाने की घोषणा आग में घी डालने का काम कर रही है। विद्रोही गुटों की मनमानी चरम पर है
जगदम्बा मल्ल
मणिपुर के सेनापति जिले को काटकर सदर हिल्स जिला तथा इम्फाल पूर्व जिले में से जिरीबाम जिला बनाने की मांग एक दशक पूर्व से चली आ रही थी। इन दोनों क्षेत्रों में नागाओं का वर्चस्व है। सदर हिल्स में कुकी, नेपाली तथा हिंदी भाषी लोग काफी संख्या में रहते हैं। जिरीबाम में भी बंगाली तथा अन्य समुदाय के लोगों की काफी संख्या है, किन्तु नागाओं द्वारा उनके अधिकारों का हनन करने के कारण इन दोनों जगहों पर अलग जिले की मांग चल रही थी। इस सामूहिक मांग के विरोध में तथा नागा वर्चस्व को कायम रखने के लिए यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने 1 नवंबर, 2016 से अनिश्चितकालीन अवरोध की घोषणा करते हुए मणिपुर जाने वाले दोनों राजमार्गों-एनएच 37 (सिल्वर जिरीबाम-इम्फाल), और एन.एच. 2 (दीमापुर-कोहिमा-माओ-इम्फाल; पहले एन.एच. 39) को जाम कर दिया जो अभी तक जारी है। इस कारण केवल इम्फाल घाटी में ही नहीं वरन् पहाड़ी अंचल में भी जनजीवन त्रस्त है।
नोटबंदी के कारण अस्थायी तौर पर इन समस्याओं में वृद्धि हुई है। इस कारण सामान्य जन समुदाय में क्रोध बढ़ता जा रहा है, जो ज्वालामुखी बनकर सामुदायिक नर-संहार के रूप में भड़क सकता है। यहां प्राय: प्रत्येक परिवार किसी न किसी संगठन से जुड़ा हुआ है। इसमें भारत-विरोधी तथा समाज विरोधी तत्व भी हैं, जिनकी आस्था राष्ट्र से बाहर है। ये देशद्रोही तत्व केन्द्र सरकार के विरोध तथा मणिपुर के राष्ट्रीय समाज को कमजोर करने के लिए खुलकर काम कर रहे हैं। उनको राज्य सरकार से तो कोई भय है ही नहीं, उनमें केंद्र सरकार के सैन्य बलों का भी डर नहीं हैं।
भय का माहौल
मणिपुर की जनता में यह भय व आशंका व्याप्त है कि कहीं मणिपुर के टुकड़े न हो जाएं। इस भय व आशंका के पर्याप्त कारण हैं। यह कोई अनायास ही नहीं हुआ है। दिल्ली में रहीं कांग्रेसी सरकारों ने मणिपुर को धोखा दिया ही था। यह धोखा आगे भी जारी रहा। इस कारण मणिपुरी समाज अब चौकन्ना रहता है, धीरे-धीरे उसके अंदर विश्वास कम होता जा रहा है।
मणिपुर में विधानसभा चुनाव फरवरी 2017 में होने हैं, इस परिप्रेक्ष्य में नीफू रियो के लिए एनएससीएन-आईएम व एनपीएफ का गुप्त गठबंधन महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में वे भाजपा को हटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। मणिपुर की यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) एक ऐसा संगठन है जिसे एनएससीएन-आईएम द्वारा शह प्राप्त है। एनएससीएन-आईएम का आज के परिप्रेक्ष्य में मतलब है नागा विद्रोहियों, चर्च और नीफू रियो सहित राष्ट्रविरोधी राजनीतिक नेताओं (यूएनसी सहित) का गोपनीय गठबंधन। ये शक्तियां मणिपुर के टुकड़े कर देने पर आमादा हैं। दुर्भाग्य से मणिपुर के कुछ विद्रोही तत्व विदेशी शक्तियों के निर्देश पर यही करने पर तुले हैं।
सात नए जिलों की घोषणा
मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। आतंकवादी अपने-अपने क्षेत्र में समानांतर सरकारें चला रहे हैं। यूएनसी के आह्वान पर 1 नवंबर से एनएच 37 तथा एनएच 2 पर अनिश्चितकालीन गतिरोध जारी है। विधानसभा चुनाव फरवरी, 2017 में होने वाले हैं। लोग कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की सभाओं में उमड़ रहे हैं। इसी बीच 1 दिसंबर की रात 2 बजे इबोबी सिंह ने 7 नए जिलों की घोषणा कर दी। इससे सभी अचंभित हो गए। इस फैसले से पहाड़ी क्षेत्र की 20 सीटों पर इन्होंने अपनी बढ़त बना ली है। घाटी की 40 सीटों पर भी कांग्रेस अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। इन जिलों के निर्माण के विरोध में 5 दिसंबर को एनएसईएन-आईएम ने मणिपुर पुलिस पर दो जगह आक्रमण करके 3 जवानों को मार डाला, 11 जवान घायल हुए। 17 दिसंबर को सुबह 6 मणिपुर रायफल्स तथा 7 इंडियन रिजर्व बटालियन के नोने जिले की लंगकाओं पोस्ट पर एनएससीएन-आईएम के 50 बंदूकधारियों ने आक्रमण कर पुलिस के हथियार छीन लिए। आश्चर्य इस बात का है कि दोनों तरफ एक भी गोली नहीं चली। इधर केन्द्र की तरफ से भी अर्द्धसैनिक बल के 4,000 जवान भेजे गए हैं।
यूसीएम की चेतावनी
यूसीएम ने चेतावनी दी है कि मणिपुर के दोनों राजमार्गों (एनएस 37 तथा एनएच 2) से यूएनसी के गतिरोध को तुरंत हटाकर तथा राज्य के हालात को सामान्य बनाया जाय। इस बीच यूएनसी के गतिरोध के विरोध में यूसीएम ने अपना ही प्रति-गतिरोध लगा दिया है। आज एक तरह ये यूएनसी और यूसीएम आमने-सामने आ गए हैं। यह टकराव किसी भी समय हिंसक रूप ले सकता है।
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