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अपराध और उस पर नियंत्रण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है, मगर पिछले दिनों बुलंदशहर राजमार्ग पर हुई लूट और बलात्कार की घटना ने मानवीयता को शर्मसार कर दिया है। इस घटना ने दिखाया है कि उत्तर प्रदेश में सपा के शासन में महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं और अपराधी कितने बेखौफ। इधर सपा और उधर बसपा, महिलाओं के प्रति उनकी क्या भावनाएं हैं, वे किसी से छिपी नहीं हैं। हाल में बसपा प्रमुख मायावती के समर्थकों ने महिलाओं के प्रति अभद्र बयान दिए, तो समर्थकों ने भद्दी टिप्पणियां कीं। प्रदेश में ऐसे माहौल के बीच इस घटना का होना जाहिर है, प्रदेश की जनता को आहत और आक्रोशित कर गया। इसमें कोई संदेह नहीं कि बुलंदशहर में लूट और बलात्कार की घटना ने सभी हदें पार कर दीं। अपराधियों ने पुरुषों को कार से उतार कर लूटा, बंधक बनाया और उनके सामने ही एक महिला और उसकी बेटी को जबरन ले गए, उनसे बलात्कार किया। घटना के बाद पीडि़ता के पिता ने अपना दर्द मीडिया को सुनाते हुए कहा, ''मेरी बेटी पापा-पापा चिल्ला रही थी। अपराधी मेरी आंखों के सामने से उसे घसीट कर ले गए मगर मंै उसे बचा नहीं सका। मुझे उन्होंने बंधक बना दिया था।''
घटना की खबर जैसे ही लोगों तक पहुंची उनका आक्रोश चरम पर था। जिसने भी इस वीभत्स घटना को सुना, उसनी शासन-प्रशासन को जमकर कोसा। प्रदेश के लोगों का गुस्सा भी जायज था क्योंकि अपराधियों ने वीभत्सता की सभी हदें पार कर दी थीं। रात के अंधेरे में यह घृणित कार्य करीब तीन घंटे तक चला, बलात्कार की घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी नकदी और जेवर लेकर फरार हो गए। पीडि़त परिवार ने अपराधियों के चंगुल से छूटने के बाद कई बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की महत्वाकांक्षी योजना 'डायल 100' पर संपर्क करने की कोशिश की पर कोई जवाब नहीं मिला। पीडि़ता के पिता का कहना है कि उन्होंने करीब 15 मिनट तक लगातार 100 नंबर मिलाया पर संपर्क ही नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने कई करोड़ रुपये खर्च कर के 'डायल 100' को 'अत्याधुनिक' बनाया है। इसके तहत सभी जनपदों में इस सेवा के लिए पुलिस को इनोवा और स्कॉर्पियो जैसी गाडि़यां खरीद कर दी गई हैं। ये गाडि़यां केवल डायल 100 की शिकायत पर ही कार्रवाई करने को तैनात हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहते हैं कि डायल 100 को ऐसा बनाया जाए ताकि अगर कोई दुर्घटना में घायल हुआ है तो डायल 100 की गाड़ी में एम्बुलेंस जैसी व्यवस्था हो और वह एम्बुलेंस घायल को तत्काल अस्पताल पहुंचाए। मगर सारा इंतजाम एक तरफ और उत्तर प्रदेश पुलिस एक तरफ। यहां देखने की बात है कि नोएडा के निठारी कांड के वक्त भी सपा सरकार थी। निठारी कांड ने सरकार की साख को हिला कर रख दिया था। गौरतलब है कि निठारी कांड कोई एक दिन में नहीं हुआ था। लोगों की बच्चियां गायब हो रही थीं, लोग थाने पर शिकायत दर्ज कराने जाते थे, मगर पुलिस ने कभी उस ओर ध्यान नहीं दिया कि आखिर बच्चियां कहां गायब हो रही हैं। अगर पुलिस समय पर जाग जाती तो इतना बड़ा कांड ना होता।
बुलंदशहर की पुलिस को भी घुमंतू गिरोह के बारे में जानकारी थी। यह गिरोह राजमार्ग पर लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देता रहा है। मगर पुलिस ने इस गिरोह को राहजनी करने वाला एक सामान्य गिरोह समझ कर इस ओर कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसका परिणाम यह निकला कि इस गिरोह में शामिल अपराधियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने ऐसी घटना को अंजाम दे दिया। पुलिस हर बार की तरह इस बार भी काफी देर बाद जागी। पहले तो उसने घटना को दबाने की कोशिश की लेकिन मामले को तूल पकड़ते और मीडिया में उठते देख अपनी साख बचाने के लिए उसने कुछ ही घंटे में 200 संदिग्ध लोगों को पकड़ा। पुलिस ने जिन संदिग्धों को पकड़ा था, उसमें से तीन अपराधियों को पीडि़ता ने पहचान लिया है। पकड़े गए आरोपी मुस्लिम हैं। पर घटना में शामिल शेष अपराधी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
पीडि़त परिवार नोएडा में रहता है और मूलत: शाहजहांपुर जिले से है। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन उनके मूल निवास पर परिवार के किसी व्यक्ति का तेरहवीं संस्कार होना था, जिसमें शामिल होने के लिए कार से दो भाई, एक महिला और उनकी 14 वर्षीय बेटी नोएडा से चले थे। जब वे बुलंदशहर जिले से करीब दो किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पहुंचे तो रात के करीब साढ़े बारह बजे थे। रास्ते में पुल से गुजरते हुए कार पर किसी के द्वारा कुछ फेंकने की आवाज सुनायी दी। मगर ड्राइवर ने कार नहीं रोकी। कुछ ही देर बाद फिर आवाज हुई। इस बार ड्राइवर को लगा कि कार में कोई खराबी आ गई है। उसने कार रोक दी। कार रुकते ही करीब आधा दर्जन बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और कार को पुल से नीचे उतारने के लिए कहा। कार जैसे ही नीचे उतरी बदमाशों ने पिस्तौल की नोंक पर पुरुषांे को बंधक बनाया। उसके बाद कार में बैठी दोनों भाइयों की पत्नियों और बच्ची को घसीटते हुए खेत की तरफ ले गए।
बुलंदशहर की देहात कोतवाली के दोस्तपुर गांव से सटे पुल के नीचे इन आधा दर्जन बदमाशों ने दोनों महिलाओं और बच्ची के साथ बलात्कार किया। करीब तीन घंटे बाद सुबह के साढ़े तीन बजे अपराधी नकदी और जेवर लेकर फरार हो गए। घटना के बाद पीडि़त बेटी के पिता जब 100 नंबर डायल करत—करते थक गए तो अपने मित्र को घटना की जानकारी दी। उनके मित्र ने तत्काल पुलिस को सूचित किया। घटना के बाद पुलिस ने बड़ी लापरवाही भरे अंदाज में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।
30 जुलाई की सुबह, इस घटना की खबर जंगल की आग की तरह फैल गयी। प्रदेश में चुनाव नजदीक होने के कारण मामले ने एक दम तूल पकड़ लिया। समाजवादी पार्टी ने अपने को घिरता देख मामले की जानकारी ली। सभी राजनीतिक दलों और देश के लोगों के आक्रोश को शांत करने के लिए अखिलेश की मातहत पुलिस ने इलाके के सिपाही, दो दरोगा, एक इन्स्पेक्टर, एक उपाधीक्षक और पुलिस अधीक्षक, शहर को एक साथ निलंबित कर दिया। मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रमुख सचिव, गृह देवाशीष पांडा और पुलिस महानिदेशक एस.जाविद अहमद ने घटना स्थल का निरीक्षण किया और पीडि़त लोगों से मिलकर कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है। भाजपा ने तत्काल इस मुद्दे को संसद में उठाया और कहा कि यह घटना पूरी तरह से सपा सरकार की कानून-व्यवस्था की पोल खोलती है। बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की खराब स्थिति का उल्लेख किया और कहा सपा सरकार में महिलाओं के सम्मान का कोई मूल्य नहीं रह गया है। मायवती ने अखिलेश से पूछा कि क्या राहत राशि से पीडि़ता का सम्मान लौटाया जा सकता है? बुलंदशहर से भाजपा सांसद भोला सिंह ने शून्यकाल में लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में कानून से लोगों का विश्वास उठ गया है, अखिलेश यादव को तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
बहरहाल पुलिस ने इस घटना के लिए जिन तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया हैं उन्हें जेल भेजा जा चुका है। अन्य अपराधियों की सरगर्मी से तलाश हो रही है। लेकिन इस घटना ने सपा सरकार की कानून-व्यवस्था की पूरी पोल खोल कर रख दी है। पीडि़ता का पूरा परिवार घटना के बाद सदमे में है। पीडि़त बच्ची के पिता का कहना है कि अगर जल्द ही सभी अपराधी नहीं पकडे़ गए और उन्हें सजा नहीं मिल पायी तो वे लोग आत्महत्या करने पर विवश हो जायेंगे। -सुनील राय-
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