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विद्रोही गुटों द्वारा कोकराझार में एक बार फिर उबाल लाने की कोशिश की जा रही है। 5 अगस्त को एनडीएफबी गुट ने एक शांत क्षेत्र में खूनी खेल रचाकर अपनी बदहवासी जाहिर कर दी है
जगदम्बा मल्ल
अगस्त 5, 2016 शुक्रवार को दोपहर 12:30 बजे सामान्य कपड़े पहने मुंह ढककर बोडो स्वायत्तशासी क्षेत्र जिला मुख्यालय-कोकराझार से 12 किमी़ दूर बालाजान तिनिआली पाक्षिक बाजार में विद्रोही गुट एनडीएफबी के 5 आतंकियों ने अपनी ए़ के़ 56 राइफलों से देखते ही देखते 15 मासूमों की हत्या कर दी व 20 अन्य को लहूलुहान कर बुरी तरह से घायल कर दिया। अचानक यह रक्तपात क्यों? असम के नागरिक विद्रोही गुट की हरकत से स्तब्ध रह गये।
घटना के बाद बोडोलैंड स्वायत्तशासी परिषद के प्रमुख हाग्रामा मोहिलारी ने तत्काल राहत सामग्री पहुंचाई और अपराधियों को सजा दिलाने का आश्वासन दिया। असम के पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय ने आशंका व्यक्त की कि यह नरसंहार एनडीएफबी ने ही किया होगा। घटना की जानकारी मिलते ही पास के क्षेत्र में गश्त लगा रहे सेना व सुरक्षाबल के जवान तुरन्त वहां पहंुचे। गोलीबारी में एक आतंकी मारा गया। बाद में उसकी पहचान मंजय इसलारी के रूप में हुई जो एनडीएफबी की 16 वीं बटालियन का स्वयंभू कमांडर था। अगले दिन 6 अगस्त को मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने साफ कहा कि इस आतंकी हमले को एनडीएफबी ने अंजाम दिया है। पुलिस को मृत आतंकी के मोबाइल से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा ने इसकी घोर निन्दा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोेदी तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस नरसंहार की निंदा की तथा राज्य सरकार को यथासंभव मदद का आश्वासन दिया।
बालाजान में जो दिखा, वह दर्दनाक था। घटना के बाद, तेज बरसात ने बालाजान तिनिआली बाजार और उसकी गलियों में बिखरे खून को भले ही धो डाला हो, किन्तु आज भी वहां आतंक छाया हुआ है। लोग भयभीत व अचंभित हैं, वे एक-दूसरे से पूछ रहे हैं, यह क्यों और कैसे हो गया? आतंकियों ने बम धमाके किए, एक दर्जन दुकानों में आग लगा दी थी। घटना के बाद बाजार उजाड़ दिखने लगा था। भय के कारण लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं।
सामान्यत: यह क्षेत्र शान्त रहता था। मई 2012 में जरूर बोडो-मुस्लिम संघर्ष हुआ था जिसमें 76 लोग मारे गये थे, सैकड़ों घर जला दिए गये थे, हजारों लोग राहत शिविरों में चले गए थे। फिर दिसम्बर 2014 के बोडो-जनजातीय दंगों में 31 जानें गई थीं, काफी घर फूंक दिए गये थे। इन दोनों आतंकी उत्पातों के समय भी बालाजान तिनिआली बाजार क्षेत्र में शांति कायम रही थी। किन्तु इस बार 5 अगस्त के नरसंहार ने सबको आहत कर दिया है।
घटनास्थल से कुछ फर्लांग दूर एक छोटी नदी के तट पर बरसात की परवाह न करते हुए ग्रामवासी एकजुट होकर घटना में मारे गये 3 लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे थे। सबकी आंखें नम थीं। इस वारदात में मारे गए 15 लोगों में 6 बोडो समुदाय के थे। नेबारन मोशारी की नाई की दुकान थी। उसकी आंखों के सामने चार लोग ढेर हो गये थे। दुकान में खून ही खून था।
एनडीएफबी ने सोची-समझी नीति के तहत 6 बोडो लोगों को ढेर कर दिया। मृत आतंकी मंजय इसलारी के मोबाइल से एक नम्बर जांच एजेन्सी के हाथ आया है जो ईसाई बहुल चर्च नियंत्रित एनडीएफबी के किसी सूत्र का है। चेहरे पर मास्क लगाना तथा नागरिक वेश में आतंकी वारदात करना भी यह संकेत देता है कि एनडीएफबी इस नरसंहार को मजहबी जिहादियों का किया बताना चाहता था। किन्तु उसकी यह रणनीति काम नहीं आई।
इंगीं कथार संगबिजित एनडीएफबी का प्रमुख है किन्तु वह बोडो नहीं, कारबी समुदाय का है। गुट का महासचिव बी़ सोराइग्वारा बोडो समुदाय का है और वह संगबिजित को हटाकर खुद प्रमुख बनना चाहता है। ये दोनों ही एनएसआईएन (के) के संरक्षण में म्यांमार में हैं। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने एनडीएफबी की हालत खस्ता कर दी है। 23 दिसम्बर, 2014 की आतंकी वारदात के बाद तो सेना ने उसे चारों तरफ से घेर कर दर्जनों विद्रोहियों को मार गिराया है और संगबिजित को जिन्दा या मुर्दा पकड़वाने के लिए 10 लाख रुपये इनाम की घोषणा कर रखी है। पकड़े गये 86 आतंकवादियों में से 63 के खिलाफ आरोप-पत्र दायर कर दिये गए हैं। दो साल पूर्व इनकी अनुमानित संख्या 300-400 थी जो घटकर अब मात्र 150 रह गई है। वह भी दिन-प्रतिदिन घटती ही जा रही है। इन सबसे ध्यान हटाने के लिए तथा अपनी ताकत दिखाने के लिए ही संगबिजित ने बालाजान तिनिआली मेें 5 अगस्त को यह खूनी खेल खेला है।
एनआइए तथा सुरक्षाबलों ने स्थानीय पुलिस को साथ लेकर इस पूरे क्षेत्र तथा पास के चिरांग जिले में सघन गश्त लगानी शुरू कर दी है। इस कार्य में विशेष प्रशिक्षित दल, खोजी कुत्तों तथा अति आधुनिक उपकरणों की मदद ली जा रही है। असम-बंगाल की अन्तर-प्रान्तीय सीमा तथा भूटान, नेपाल व म्यांमार से लगी अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है ताकि आतंकवादी भाग न सकें। कोकराझार के उपायुक्त ने स्वतंत्रता दिवस को ध्यान में रखते हुए सेना व सुरक्षाबलों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर हालात की समीक्षा की। असम के पुलिस महानिदेशक तथा असम के अतिरिक्त मुख्य सचिव टी़ वाई़ दास ने भी हालात की समीक्षा करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें कीं।
कौन है संगबिजित
संगबिजित कारबी समुदाय से आता है जो बोडो उग्रवादी संगठन एनडीएफबी (रंजन दैमारी गुट) का सैन्य प्रमुख था। रंजन दैमारी इसका प्रमुख था। बाद में इंगी कथार संगबिजित रंजन दैमारी को हटाकर खुद अन्तरिम अध्यक्ष बन गया। यह शोणितपुर का निवासी है। इसके आतंकी सदस्य ए़ के़ राइफलों तथा अति आधुनिक हथियारों का प्रयोग करते हैं। इनका म्यांमार स्थित शिविर इनको यह सुविधा उपलब्ध कराने में काफी सहायक है। वहां उल्फा नेता परेश बरुआ तथा एनएससीएन (के) इनको संरक्षण व सुरक्षा प्रदान करते हैं। संगबिजित तो म्यांमार में है किन्तु इसके शीर्ष आतंकवादी भारत-भूटान सीमा पर स्थित शिविर में रहते हैं।
ऐसे पनपा एनडीएफबी
बोडो सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) नाम से 3 अक्तूबर, 1986 को गठित
ल्ल नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) नाम रखा 25 नवम्बर , 1994 को
असम के बोडो समाज के लिए स्वतंत्र बोडोलैंड की मांग
2005 से केन्द्र से समझौता-वार्ता करने वाले धीरेन बोडो व गोविन्द बसुमतारी के साथ युद्ध-विराम समझौता
समझौता-वार्ता विरोधी रंजन दैमारी तथा इंगी कथार संगबिजित की उल्फा के परेश बरुआ से दोस्ती। अक्तूबर, 2008 में असम के अनेक स्थानों पर क्रमिक विस्फोट का दोषी, जिसमें दर्जनों निदार्ेषों की मौत। अनेक लोग गंभीर रूप से घायल।
ल्ल एनएससीएन (के) तथा मेघालय के आचिक नेशनल वालंटियर काउंसिल (ए एन वीसी) के साथ गठबंधन
प्रभाव क्षेत्र-बोंगाइगांव, कोकराझार, दरंग, बरपेटा, धुबरी, नलबाड़ी और शोणितपुर। मेघालय का गारो पहाड़ी क्षेत्र भी ।
कोकराझार: केन्द्र बिन्दु
बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बी टीसी) यानी बोडोलैंड स्वायत्तशासी परिषद का मुख्यालय
ल्ल 10 फरवरी, 2003 को समझौते पर हस्ताक्षर
ल्ल बीटीसी के कार्य क्षेत्र को बोडोलैैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक (बीटी ए डी) यानी बोडोलैैंड स्वायत्तशासी क्षेत्र जिला नाम दिया गया, जिसमें 4 जिले थे-कोकराझार, चिरांग, बक्सा तथा उदालगुड़ी
ल्ल बोडो, राभा व गारो की सम्मिलित आबादी 35 प्रतिशत
ल्ल मुख्य कार्यकारी सदस्य हैं हाग्रामा मोहिलारी
ल्ल 23 दिसम्बर, 2014 में कोकराझार, शोणितपुर तथा चिरांग के आदिवासी ग्रामों पर एनडीएफबी ने एक साथ आक्रमण कर 76 लोगों की हत्या कर दी थी।
क्या है बोडोलैंड?
भारतीय संविधान के छठे अनुच्छेद के तहत गठित बोडोलैंड एक स्वायत्त प्रशासनिक इकाई है। क्षेत्रफल- 8795 वर्ग किमी। जिले-4, कोकराझार, बक्सा, चिरांग व उदालगुड़ी ।
समस्या व समाधान
गत दशक में असम में हिंसा में काफी कमी आई है किन्तु अपनी विशिष्ट सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों व भौगिलिक स्थिति के कारण कोकराझार सदा आतंकवादियों की निगाह में रहा है। भूमि, कृषि तथा वन सम्पदा के क्षेत्र में कड़ी प्रतियोगिता है। इसलिए यहां विभिन्न कारणों से सामुदायिक तनाव रहता है। इसी कारण आत्मरक्षा तथा सामुदायिक रक्षा के नाम पर एनडीएफबी जैसा घोर समाज विरोधी तथा राष्ट्र विरोधी आतंकवादी संगठन पैदा हुआ जो अब भस्मासुर बनकर समाज का े निगलने पर तुला हुआ है। सेना न हो तो लोगों का जीना दूभर हो जाए। राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय भारत वर्ष विरोधी ताकतों से इसे मदद दे रही हैं। दूसरे, असम में शान्ति स्थापना हेतु अनेक प्रयास हुए हैं। किन्तु जब तक असम तथा पूवार्ेत्तर के सभी लघु राज्यों में बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास व रोजगार देने के लिए छोटे-बड़े उद्योग तथा कल-कारखाने नहीं लगेंगे, कुटीर उद्योग को बढ़ावा नहीं मिल ेंगा , तब तक आतंकवाद का समूल नाश असंभव है। साथ ही राष्ट्र विरोधी ताकतों का जड़ से सफाया करना होगा।
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