जन गण मन इस्लाम पर बहस का औचित्य
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जन गण मन इस्लाम पर बहस का औचित्य

by
Aug 1, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 01 Aug 2016 14:39:19

प्रसिद्व अभिनेता इरफान ने इस्लाम के विभिन्न व्यवहारों पर प्रश्न खड़े करते हुए एक साहसिक कदम उठाया है जिसका स्वागत करना चाहिए और एक स्वस्थ, सकारात्मक बहस को बढ़ावा देना चाहिए। इरफान द्वारा बकरीद पर बकरों व अन्य पशुओं की क्रूर बलि के स्थान पर आत्मचिंतन को बल दिया गया। उन्होंने कहा कि यह कर्मकाण्ड अल्लाह को पहुंचता है या यह वास्तविक हृदय की भावना है? इसके अलावा उन्होंने रोजे रखने के संदर्भ में अपने बचपन की घटना का उल्लेख किया कि जब वे 7 वर्ष के थे तो उनके पिता ने उनका रोजा छुड़वा दिया था और कहा था कि रोजा ख्यालोंे का भी होता है। मन पवित्र रखो। इस्लामी संगठनों द्वारा किए जा रहे आतंकवादी हमलों की भर्त्सना करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान बहुत बड़ी संख्या में आतंकवाद के ऐसे हमलों का विरोध करते हैं क्योंकि मैंने इस्लाम को जैसा समझा है उसका अर्थ शांति और भाईचारा है, आतंकवाद नहीं।
इस्लाम की 1400 वर्ष पुरानी अवधारणाओं को वर्तमान सामाजिक संदर्भों में पुनर्व्याख्यायित करने वाले इरफान संभवत: पहले ऐसे मुसलमान होंगे जिन्होंने साहस और प्रतिबद्धता के साथ अपनी बातें रखीं, इस्लाम के स्वरूप और उसकी पद्धति के बारे में आत्ममंथन को आवश्यकता बताई तथा इस्लाम का ऐसा स्वरूप सामने रखा जो सुधारवादी एवं मानवीयता के मूल्यों से ओत-प्रोत है।
जाहिर है, इससे कट्टरपंथी और रूढि़वादी मुल्लाओं में परेशानी तथा विरोध पैदा हुआ। वे इरफान से कह रहे हैं कि तुम अपने को अभिनय तक सीमित रखो और इस्लाम के बारे में अपनी राय बताने का साहस मत करो। वहीं इरफान का कहना है कि वे केवल अपनी व्यक्तिगत राय बता रहे हंै, जिसका उनको हक है। पढे़-लिखे और आधुनिक सोच वाले मुस्लिम विद्धानों जैसे मौलाना आजाद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री जफर सरेशवाला ने इस्लाम का समर्थन किया है और कुरान की उन आयतों का हवाला दिया है जिनमें अल्लाह कह रहा है कि तुम्हारे द्वारा दिया गया गोश्त और खून मुझ तक नहीं पहंुचता, मुझ तक तुम्हारे दिल के जज्बात पहुंचते हैं।
इसमें क्या गलत है? यदि इरफान जैसे सुशिक्षित और समझदार मुसलमान अपने मजहब के बारे में अपनी वह राय बताना चाहते हैं जिससे इस्लाम का एक मानववादी, शांतिप्रिय चेहरा सामने आता है तो इससे मुल्लाओं को चिढ़ क्यों हो रही है? क्योंकि इससे उनका दहशत भरा एकाधिकार समाप्त हो रहा है? क्योंकि इससे आधुनिक एवं शांतिप्रिय सुधारवादी  सोच रखने वाले मुसलमान नवयुवकों में अपनी बात कहने का साहस बढ़ जाएगा, जो अब तक मुल्ला-मौलवियों के डर से चुप बैठे रहना ज्यादा बेहतर समझते थे? क्योंकि  इससे इस्लाम के बारे मेें अन्य समाजों में धारणाएं बदलने लगेंगी और ईद पर कुर्बानी के खिलाफ इन मुस्लिमों की आवाजें बुलंद होने लगेंगी जो कुर्बानी को अनावश्यक क्रूरता मानते हैं। जब हिन्दुओं में सुधारवादी आवाजों के नाम पर उनकी धार्मिक पद्धतियों या परंपरागत विश्वासों को बदलने की मांग उठायी जाती है तो तमाम सेकुलर जमातें इसे मुद्दा बना लेती हैं। दशहरे व अन्य पर्वों पर पशुबलि की प्रथा बंद करो, हिन्दुओं के लिए पूज्य मां समान गाय का मांस सबको सर्वसुलभ कराओ—उनकी आस्था का हमारे भोजन से संबंध नहीं है। यहां तक कि जे.एन.यू. में बीफ-फेस्टीवल तक का इन सेकुलरों ने उत्साह के साथ समर्थन किया। हिन्दू मंदिरों में सैकड़ों वर्षों की परंपराओं की धज्जियां उड़ाते हुए शनिदेव मंदिर में महिलाओं के प्रवेश, अन्य मंदिरों के गर्भगृहों में महिलाओं को पूजन की अनुमति, के लिए मुस्लिमों सहित ऐसे सेकुलर सायरन बराबर शोर मचाते रहे। हिन्दुओं में इसकी प्रतिक्रिया संयम और स्वीकार्यता की होती रही। सशक्त एवं विराट प्रभाव वाले हिन्दू संगठनों ने सदैव सुधारों और समसामयिक संदर्भों में परिवर्तन का स्वागत ही किया है।
लेकिन जब यही बात मुसलमानों के लिए लागू किए जाने का प्रयास होता है तो 14वीं सदी के अरब समाज के लिए जिन बातों और प्रथाओं का चलन किया गया था, उन्हीं को 2016 में भी सही और स्वीकार्य सिद्ध करने का बेतुका एवं कालवाह्य आग्रह किया जाता है जिसके सामने सेकुलर जमातें मुल्लाओं की तरह सिर झुकाकर सन्नाटा ओढ़ लेती हैं। इनमें 3 बार तलाक कहकर अपनी ब्याहता पत्नी को घर से निकाल देने का भी मसला आता है। इरफान ने कहा है कि जब निकाह के वक्त लिखित करारनामा होता है तो तलाक के वक्त  ऐसा करारनामा क्यों नहीं होना चाहिए?
महिला सशक्तिकरण के युग में मुस्लिम महिलाओं को आज भी सदियों पुराने अंधेरे में धकेले रहने का क्या अर्थ हो सकता है? जो बातें 14वीं सदी के अरब समाज के लिए ठीक थीं भले ही उनका संदर्भ जो भी रहा हो, वही बातें आज के प्रगतिशील युग के लिए  कैसे सही मानी जा सकती हैं। यद्यपि जुबानी तीन बार तलाक से संबंध विच्छेद के विरुद्ध अनेक सुशिक्षित मुस्लिम महिलाओं के भी स्वर उठे लेकन मौलवियों ने कालवाह्य प्रथाओं पर पुनर्विचार की सारी संभावनाओं को अपनी पुरानी सोच के पत्थरों से कुचल दिया। मुसलमानों में जड़बद्धता टूटे, इसके लिए पूर्व में महाराष्ट्र के सुधारवादी मुस्लिम नेता हमीद दलवाई ने भी आवाज उठायी थी। उनके भाई हुसैन दलवाई इन दिनों कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। इरफान के स्वरों में क्या वे अपना स्वर मिलाने का साहस दिखाएंगे!        -तरुण विजय-
    (लेखक राज्यसभा सांसद हैं

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सावन के महीने में भूलकर भी नहीं खाना चाहिए ये फूड्स

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ विश्व हिंदू परिषद का प्रतिनिधिमंडल

विश्व हिंदू परिषद ने कहा— कन्वर्जन के विरुद्ध बने कठोर कानून

एयर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त

Ahmedabad Plane Crash: उड़ान के चंद सेकंड बाद दोनों इंजन बंद, जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

पुलिस की गिरफ्त में अशराफुल

फर्जी आधार कार्ड बनवाने वाला अशराफुल गिरफ्तार

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad plane crash : विमान के दोनों इंजन अचानक हो गए बंद, अहमदाबाद विमान हादसे पर AAIB ने जारी की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपी

उत्तराखंड: 125 क्विंटल विस्फोटक बरामद, हिमाचल ले जाया जा रहा था, जांच शुरू

उत्तराखंड: रामनगर रेलवे की जमीन पर बनी अवैध मजार ध्वस्त, चला बुलडोजर

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies