विविध - महाकाल की नगरी में श्रावणोत्सव
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विविध – महाकाल की नगरी में श्रावणोत्सव

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Aug 1, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Aug 2016 12:39:43

उज्जैन। विश्व प्रसिद्घ महाकालेश्वर मन्दिर में नटराज शिव की उपासना के विशिष्ट मास 'श्रावण' में प्रति सप्ताह होने वाले सांस्कृतिक आयोजन की पहली शाम रिमझिम फुहारों के बीच ख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना और अभिनेत्री सुधा चन्द्रन ने अपनी मनोहारी प्रस्तुति से पहली शाम को ही एक माह से अधिक चलने वाले श्रावण महोत्सव का चरमोत्कर्ष बना दिया।
बारह वर्ष पहले जब श्रावण महोत्सव की शुरुआत की गई थी तो प्राथमिक उद्देश्य श्रावण मास में महाकालेश्वर के दर्शन करने और प्रति सोमवार निकलने वाली महाकाल की सवारी देखने उज्जैन आने वाले श्रद्घालुओं को कला-संस्कृति का रसास्वादन कराना था। साथ ही वाराणसी के संकटमोचन मन्दिर में शास्त्रीय संगीत के प्रतिष्ठित समारोह का उदाहरण भी सामने था इसलिए प्रयास किए गए कि महाकालेश्वर मन्दिर में होने वाले श्रावण महोत्सव की उसी तरह प्रतिष्ठा बने। महोत्सव के स्तर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक सप्ताह पं. जसराज का गायन तो दूसरे सप्ताह पं़ बिरजू महाराज का नृत्य, फिर पं़ रोनू मजूमदार का बांसुरी वादन तो अगले ही सप्ताह पं़ भजन सोपोरी का संतूर वादन। इस वर्ष 24 जुलाई से 28 अगस्त तक प्रति रविवार होने वाले महोत्सव में सुधा चन्द्रन ही देश-विदेश में ख्याति प्राप्त कलाकार हैं, दूसरा नाम प्रसिद्घ शास्त्रीय गायिका अश्विनी भिड़े देशपांडे का है जिनकी प्रस्तुति 24 जुलाई को ही थी। इनके अलावा कला जगत के शीर्षस्थ नाम नदारद हैं, यह अब हर साल होने लगा है। उपशास्त्रीय और भजन गायन में अनुराधा पौड़वाल हैं जो 14 अगस्त को अपनी प्रस्तुति देंगी।
वैसे रविवार को मूल रूप से उज्जैन के रहने वाले और इन दिनों बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में तबले में एसोसिएट प्रोफेसर प्रवीण उद्घव का वादन भी था। उन्होंने बनारस घराने के साथ ही दिल्ली आदि छह घरानों के कायदे और गत के माध्यम से श्रोताओं को मुग्ध कर सिद्घ कर दिया कि श्रावण महोत्सव में मंचासीन होने का कारण उनका उज्जैन मूल का होना नहीं बल्कि कलागत अधिकार था। उनके किशोर पुत्र श्रुतिशील ने भी अपने पिता का बखूबी साथ देते हुए अपने उज्ज्वल भविष्य का आभास कराया।
शाम की दूसरी प्रस्तुति शास्त्रीय गायन की थी जिसमें अश्विनी भिड़े देशपांडे ने राग मारवा में लिंगाष्टक स्त्रोत, राग यमन में शिव स्तुति के अलावा तराना और झूला की मोहक प्रस्तुति दी। शाम की अंतिम प्रस्तुति कृत्रिम पैर से दर्शनीय नृत्य करने वाली सुधा चन्द्रन की थी। सुधा चन्द्रन अपनी जीवटता से लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हैं। तीव्र गति से नृत्य करने वाली सुधा चन्द्रन ऐसी कुशल अभिनेत्री भी हैं जो नृत्य के दौरान अपनी भावभंगिमाओं से प्रस्तुति में प्राण फूंक देती हैं। गणेश वन्दना से आरंभ कर उन्होंने अपने साथी कलाकारों  के साथ शिव शरणम्, श्रीराम  स्तुति और फिर शक्ति आराधना महिषासुर मर्दिनी के माध्यम से की जिसे कलाप्रेमी लम्बे समय तक याद करेंगे।
जहां बनारस में संकटमोचन हनुमान मन्दिर में होने वाली संगीत सभा देश का स्थापित संगीत आयोजन है, वहीं उज्जैन में महाकाल मन्दिर प्रबंध समिति को इस बात पर ध्यान देना होगा कि उसके द्वारा आयोजित किया जा रहा श्रावण महोत्सव भी देश के संगीत रसिकों के बीच अपना विशिष्ट स्थान बनाए रखे।
     -महेश शर्मा

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