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पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां बच्चों के हाथों में किताब, कॉपी थमाने के बजाय बंदूक दी जाती है। शैक्षणिक संस्थानों (मदरसे) में ज्ञान-विज्ञान की बातें सिखाने की बजाय जिहाद की बातें बताई जाती हैं। कुल मिलाकर पाकिस्तान जिहादियों का कारखाना बन कर रह गया है। अपनी बदहाल आर्थिक हालत के बावजूद पाकिस्तान जिहाद के कारखाने को राशन-पानी मुहैया करा रहा है। इसलिए क्योंकि अपने पड़ोसी मुल्क भारत की शांति और तरक्की उसे पसंद नहीं आ रही है।
पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां बच्चों के हाथों में किताब, कॉपी थमाने के बजाय बंदूक दी जाती है। शैक्षणिक संस्थानों (मदरसे) में ज्ञान-विज्ञान की बातें सिखाने की बजाय जिहाद की बातें बताई जाती हैं। कुल मिलाकर पाकिस्तान जिहादियों का कारखाना बन कर रह गया है। अपनी बदहाल आर्थिक हालत के बावजूद पाकिस्तान जिहाद के कारखाने को राशन-पानी मुहैया करा रहा है। इसलिए क्योंकि अपने पड़ोसी मुल्क भारत की शांति और तरक्की उसे पसंद नहीं आ रही है।
पाकिस्तान इस तरह के हथकंडे भारत में अशांति फैलाने के लिए अपना रहा है। सीमा से सटे जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक आतंकवादी हमलों के जरिए वह यहां की शांति को भंग करना चाहता है। कुपवाड़ा से लेकर हंदवाड़ा तक और अनंतनाग से ले कर शोपियां तक में आतंकवादी हमलों को अंजाम देकर वह सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करने में जुटा है। मगर, लाख कोशिशों के बावजूद उसे नाकामी के अलावा कुछ भी हाथ नहीं आ रहा।
बारूद के ढेर में जब धमाका होता है तो उसकी जद में कौन आ जाए, कहना मुश्किल है। पाकिस्तान अब खुद ही इकट्ठा की गई बारूद के धमाके से लहूलुहान हो रहा है और भारत उसके हर नापाक इरादे का जवाब दे रहा है।
पिछले दिनों महीनेभर के दौरान दो दर्जन से ज्यादा आतंकवादी या तो मुठभेड़ में ढेर हो चुके हैं या फिर सुरक्षाकर्मियों के हत्थे चढ़ चुके हैं। अब जबकि उसके पास नामी आतंकवादियों का अकाल पड़ गया है वह आनन-फानन में गैर प्रशिक्षित आतंकवादियों के सहारे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को आगे बढ़ाने में जुटा है, सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की उसकी रणनीति इसी का हिस्सा है। हमले के बाद भागने की फिराक में रहने वाले आतंकवादियों का आखिर में वही हश्र हो रहा है, जो आमतौर पर आतंकवादियों का होना चाहिए।
श्रीनगर के नजदीक पांपोर में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला़, अनंतनाग में बिजबिहारा के नजदीक बीएसएफ के काफिले पर हमला़, अनंतनाग शहर के बस स्टैंड के नजदीक पुलिस पर हमला़.़ ऐसे आतंकवादी हमले इस बात की पुष्टि करते हैं कि सुरक्षाकर्मियों को एक खास रणनीति के तहत अब सीधे तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। श्रीनगर से सटे पांपोर में सीआरपीएफ के जवानों से भरी बस पर आतंकवादियों ने घात लगा कर इस बुजदिलाना कार्रवाई को अंजाम दिया। कश्मीर की हिफाजत में जुटे सीआरपीएफ के आठ जवानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। बावजूद इसके सुरक्षाकर्मियों ने गजब का हौसला दिखाते हुए दो दहतशगदार्ें को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। जम्मू-कश्मीर में अमन में खलल डालने वाले आतंकवादी संगठन लश्करे-तैयबा का सरगना हाफिज मोहम्मद सईद है और वह पाकिस्तान में वहां के सरकारी संरक्षण में पूरी तरह से महफूज है। उलटे पाकिस्तान सरकार ने उसकी सुरक्षा तक को बढ़ा दिया है।
इस बीच, गर्मी में बर्फ पिघलने का फायदा उठाकर कुछेक आतंकवादी घुसपैठ करने में कामयाब हो गए हैं। हालांकि, उनकी तादाद बहुत ही कम है। बावजूद इसके, इस वक्त जिस तरह से सुरक्षाकर्मी अमरनाथ यात्रा को सफल बनाने में जुटे हैं, उसके मद्देनजर वे दूसरे इलाकों में हमले करने की कोशिश कर सकते हैं। सुरक्षाकर्मियों को इस बात का बखूबी अंदाजा है और इस बात की उम्मीद तो की ही जा सकती है कि इस बार इन आतंकवादियों को भागने की जगह नहीं मिलेगी।
बारूद के जिस ढेर का इस्तेमाल दुनियाभर में आतंक फैलाने के लिए किया है, अब उसी का धमाका वहां हो रहा है। नफरत का जो बीज उसने भारत के खिलाफ लोगों में भरा था, वही अब वहां के लोगों में आपसी वैमनस्य पैदा कर रहा है और उसी का नतीजा है कि लोग आपस में खून के प्यासे बने हुए हैं। जिस तरह से अमजद साबरी को, बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया, उससे तो यही साबित होता है। दरअसल, बारूद के ढेर में जब धमाका होता है तो उसकी जद में कौन आ जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। पाकिस्तान अब खुद ही इकट्ठा की गई बारूद के धमाके से लहूलुहान हुआ जा रहा है और भारत उसके हर नापाक इरादे का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
कर्नल (से.नि.) जयबंस सिंह (लेखक वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक हैं)
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