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कांग्रेस के गढ़ में महबूबा मुफ्ती की जीत इसलिए बड़ी है क्योंकि इसमें भाजपा आलोचकों और भारत विरोधी अलगाववादियों की छटपटाहट भी छिपी है
आतंकियों की धमकियों, अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के लिए भावनात्मक आह्वान, मुख्यधारा के कहे जाने वाले संगठन नेशनल कॉन्फ्रेंस के विवादित सुरों के अतिरिक्त कांग्रेस की ओर से साम्प्रदायिक तनाव फैलाने के पश्चात भी पी.डी.पी. की अध्यक्ष तथा जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग विधानसभा का उपचुनाव भारी अंतर से जीत लिया है तथा कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। महबूबा मुफ्ती ने कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस प्रभावशाली क्षेत्र में उसके प्रत्याशी हिलाल अहमद शाह को 12,000 से भी अधिक मतों के अंतर से पराजित किया। महबूबा को 18,000 के लगभग मत प्राप्त हुए जबकि हिलाल शाह को 6,000 से भी कम मत प्राप्त हुए। यहां यह उल्लेखनीय है कि अपने लंबे चुनाव अभियान में कांग्रेस ने अपने कई केन्द्रीय नेताओं को लगाया था जिनमें गुलाम नबी आजाद, राजबब्बर के अलावा कई अन्य नेता भी शामिल थे। कांग्रेस के चुनाव प्रचार का प्रमुख राग यही था कि महबूबा मुफ्ती को मत देने का सीधा अर्थ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को मत देना होगा तथा इससे मुस्लिम बहुसंख्यक कश्मीर नागपुर के नियंत्रण में चला जाएगा।
2014 के विधानसभा चुनाव में इसी क्षेत्र में महबूबा के पिता स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद ने हिलाल शाह को लगभग 6,000 मतों से पराजित किया था किन्तु कांग्रेस तथा कुछ अन्य संगठनों के भावनात्मक दुष्प्रचार के पश्चात भी महबूबा ने उसी शाह को 12,000 मतों के भारी अंतर से हरा दिया। इसी उपचुनाव में भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारुख अब्दुल्ला ने अपने चुनाव अभियान का आरम्भ ही आश्चर्यजनक रूप से यह कहकर किया कि कश्मीर घाटी के लोग पाकिस्तान से प्यार करते हैं। भारत धन-राशि तथा विकास की बातें करके उनका हृदय परिवर्तन कर सकता है। इसी प्रकार संगठन के कुछ अन्य नेताओं ने भी महबूबा पर यह आरोप लगाकर अपना चुनाव अभियान चलाया कि वे कश्मीरियों की स्वतंत्रता तथा उनके विशेष अधिकारों का हनन करने पर तुली हुई हैं किन्तु नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं के इस अभियान के पश्चात भी प्रत्याशी को मात्र 9,000 मत ही मिल पाए तथा उनकी जमानत जब्त हो गई।
महबूबा मुफ्ती ने अपना चुनाव अभियान केवल दो बड़े मुद्दों को लेकर चलाया। जिनमें पहला यह था कि वे अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के उस मिशन को ही आगे बढ़ाना चाहती हैं जो उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं के सामने 2014 को विधानसभा के चुनाव में व्यक्त किया था। जम्मू के लोगों ने भाजपा को चुना और कश्मीर घाटी में पी.डी.पी. को अपनाया। नेशनल कॉन्फ्रेंस तथा कांग्रेस दोनों की ही इस चुनाव में राज्य की जनता द्वारा ठुकरा दिया गया था।
सीमा पार से बढ़ रहे आतंक और उसके पोषक पाकिस्तान का मुंह बंद करने के लिए यह भी कहा कि वे शांति तथा विकास के लिए अपने पिता के निर्णय को लेकर प्रयत्नशील हैं। अगर यह लक्ष्य पूरे होते हैं तो वे हजार बार भाजपा के साथ गठबंधन करेंगी। उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में महबूबा को बहुत अधिक महिलाओं की सहानुभूति प्राप्त हुई अपितु अलगावादियों तथा आतंकियों की धमकियों का कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। 2014 के विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत 39 था जबकि इस उपचुनाव में यह 34 प्रतिशत रहा क्योंकि कुछ क्षेत्रों में आतंकियों ने धमकाने वाले पोस्टर भी लगाए और तथा पुलिसकर्मियों को मार भी डाला। प्रतिनिधि
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