बिजली की कमी की काट है कचरा
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बिजली की कमी की काट है कचरा

by
Jul 25, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 25 Jul 2016 15:53:19

देश में बिजली की कमी को दूर करने और शहरों की तस्वीर बदलने के लिए  जरूरी है कि पारंपरिक तरीकों से हटकर कुछ किया जाए। कूड़े से बिजली बनाने की योजनाएं इस दिशा में कारगर सद्धि हो सकती हैं।

डॉ. सुभाष चंद्रा

देश  में बिजली की कमी है। हर साल खासकर गर्मियों में बिजली की कमी की खबरें सभी अखबारों और टीवी चैनल में प्रमुखता से छपती या फिर दिखाई जाती हैं। लेकिन इस सबके बावजूद स्थितियों में बहुत बदलाव नहीं आया है। ऐसे में जरूरत इस बात की भी है कि जो पारंपरिक तरीके हैं, बिजली बनाने के उनसे अलग हटके भी कुछ किया जाए। जिससे न सर्फि बिजली मिले और प्रदूषण को भी कम किया जा सके और इसके लिए कूड़े से बिजली क्यों न बनाई जाए। यह विचार मुझे तब आया जब कुछ साल पहले मैं दल्लिी से गाजियाबाद जा रहा था और दल्लिी सीमा पर कूड़े का बड़ा सा पहाड़ दिखाई दिया। यहां से गुजरते हुए एक दुगंर्ध का एहसास भी हुआ।
कूड़े के पहाड़ दल्लिी और बाकी दूसरे बड़े शहरों में आसानी से नजर आते हैं। दरअसल ये जो कूड़ा है, उसका इस्तेमाल अगर ठीक से नहीं होगा तो यह हवा के साथ-साथ पानी को भी प्रदूषित कर देगा। इसके बारे में जब वस्तिार से मैंने लोगों से बात की और जानकारी इक्ठठी की तो पता चला कि देश में कूड़े से बिजली बनाने की बातें हो रही हैं।
कई छोटी कंपनियों ने इस तरफ के संयंत्र लगाने की सोची या कुछ ने लगाया भी लेकिन वे सफल नहीं हो सके। मैंने इसकी और जानकारी ली तो पता चला कि सबसे बड़ी परेशानी तकनीक की है। जिस तकनीक का इस्तेमाल भारतीय कंपनियां कूड़े से बिजली बनाने के लिए कर रही हैं, उसमें न तो कूड़े का ठीक से नस्तिारण हो पा रहा है और न ही बिजली का उत्पादन कुल मिलाकर संयंत्र ठीक से चल नहीं पा रहा था। ऐसे में जरूरत थी कि दुनिया मे जो भी सबसे बेहतर तकनीक उपलब्ध है, उसको भारत में लाया जाए।
जब हमने इसके लिए अपनी एक कंपनी को लगाया तो पता चला कि जापान की तकनीक बेहतर है। फिर हिताची से बात की गई और जबलपुर संयंत्र की नींव रखी गई। जब इस प्लांट की बात चल रही थी तो मेरी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि ये न सर्फि कूड़े से बिजली बनाए बल्कि इलाके में रहने वाले लोगों को प्रदूषण कम करके बेहतर हवा पानी की उपलब्धता भी बढ़ाए। इसलिए जब ये प्लांट तैयार हो रहा था तो हमने इसको यूरोपीय मानकों के साथ बनाने को कहा। इस संयंत्र में जिस तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, उसमें जगह की जरूरत काफी कम होती है। इस प्लांट से जबलपुर में जगह की काफी बचत हुई है। यह काफी दिलचस्प बात है कि जबलपुर जैसे शहर में साल का करीब दो लाख टन कूड़ा पैदा होता है।
स्थानीय नगर निगम इस कूड़े को एकत्र करता है। हर साल इस कूड़े को रखने के लिए निगम को करीब चार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की जरूरत होती थी। लेकिन इस प्लांट के चालू होने के बाद इस सारे कूड़े से साल में 11़5 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी। न तो जगह की समस्या होगी और शहर को अपनी बिजली भी मिलेगी। इस तरह की योजनाओं से हम अपने शहरों को और बेहतर बना सकते हैं। कुल मिलाकर देश में सालाना करीब 5़.5 करोड़ टन कूड़ा शहरों में निकल रहा है, जो कि 2020 तक 10 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। जबकि देश में कूड़े से बिजली बनाने की जो क्षमता फिलहाल है, वह करीब 1700 मेगावाट है। यानी इस पूरे कचरे को हम बिजली के रूप में बदल सकते हैं।
बस जरूरत है कि इस काम को तेजी से पूरा किया जाए। फिलहाल हम देश के करीब 15 शहरों में इस
तरह के संयंत्र लगाने की प्रक्रिया में हैं।
उम्मीद है कि जब ये संयंत्र चालू हो जाएंगे तो इनके जरिए से शहरों की तस्वीर जरूर साफ होगी।
(लेखक जबलपुर स्थित कचरे से ऊर्जा बनाने वाली कंपनी के संस्थापक और जी मीडिया समूह के चेयरमैन हैं)
 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Donald Trump

टैरिफ युद्ध अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने ने बसाया उन्ही के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिलवुमन का झलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies