तावड़ू से बांकापासी तक कट्टरवाद की गंध
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पश्चिम बंगाल के बांकापासी में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले मुसलमान छात्रों ने नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरे की मांग की, तो वहीं हरियाणा के मेवात में एक निजी विद्यालय में ईद के दिन हिन्दू बच्चों से नमाज पढ़वाई गई।
अरुण कुमार सिंह
तावड़ू और बांकापासी के बीच की दूरी लगभग 1,800 किलोमीटर है। तावड़ू हरियाणा के मेवात में है और बांकापासी पश्चिम बंगाल में कटवा के पास है। तावड़ू मुस्लिम-बहुल है, जबकि बांकापासी हिन्दू-बहुल। ईद के दौरान इन दोनों ही जगहों पर माहौल में कट्टरवादी गंध महसूस हुई। हालांकि तावड़ू में जिहादी हरकतें पहले भी होती रही हैं। तावड़ू मुस्लिम-बहुल मेवात का हिस्सा है। यहां … कहते हंै पिछले एक महीने में लव जिहाद की ही चार घटनाएं घटी हैं।
लेकिन बांकापासी की घटना हर भारतीय के लिए चिन्ता की बात है। यहां के एक विद्यालय में पढ़ने वाले मुसलमान छात्रों ने नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरे की मांग मनवाने के लिए जो किया, वह शायद भारतीय इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ होगा, लेकिन आश्चर्य है कि इस खबर को सेकुलर मीडिया में जगह नहीं मिली। तावड़ू की घटना छह जुलाई की है और बांकापासी में 24 से 26 जून तक कट्टरवादी छात्रों ने अपनी हरकतों से बता दिया कि जिहादी मानसिकता की जड़ें कितनी गहरी होती जा रही हैं।
पहले तावड़ू की बात करें। यहां के ग्रीन डेल्ज पब्लिक स्कूल में छह जुलाई को ईद के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की संयोजिका का दायित्व स्कूल की ही एक मुस्लिम शिक्षिका को दिया गया था। आरोप है कि इस शिक्षिका ने हिन्दू बच्चों से नमाज पढ़वाई। एक स्थानीय पत्रकार विनोद गर्ग कहते हैं, '' कहा जाता है कि उस शिक्षिका ने हिन्दू छात्रों के सिर पर सफेद रूमाल रखवाकर उन्हें घुटने के बल बैठाया और दुआ के लिए हाथ ऊपर उठवाए, यह नहीं होना चाहिए था। इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।'' जब ये छात्र अपने-अपने घर पहुंचे तो उन्होंने घर वालों को विद्यालय में हुए कार्यक्रमों की सारी जानकारी दी। इसके बाद अभिभावकों में विद्यालय संचालक के प्रति गुस्सा भर गया। जोरासी गांव के सरपंच देवेन्द्र सिंह धारीवाल के दो बच्चे इसी विद्यालय में पढ़ते हैं। एक चौथी कक्षा में और दूसरा यू.के.जी. में। उन्होंने कहा, ''जब बच्चे घर आए तो बताने लगे कि आज स्कूल में ईद मनाई गई और नमाज भी पढ़ाई गई। बच्चों ने यह भी बताया कि जिन बच्चों ने नमाज पढ़ने से मना किया, उनकी पिटाई की गई।''
सात जुलाई को स्कूल में ईद की छुट्टी थी। आठ जुलाई को विद्यालय खुला तो सैकड़ों की संख्या में अभिभावक वहां जमा हो गए और विद्यालय संचालक के विरुद्ध हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके बाद स्कूल को बंद कर दिया गया। लोगों ने पुलिस-प्रशासन से भी विद्यालय संचालक की शिकायत की। पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया और मामले को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन गुस्साए लोग शांत नहीं हुए और विद्यालय संचालक के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग पर अड़ गए। देवेन्द्र कहते हैं, ''यह घटना बर्दाश्त से बाहर की बात थी। इसलिए हम लोगों ने इसका विरोध किया। हम अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भेजते हैं, न कि मजहबी ज्ञान लेने के लिए। स्कूल संचालक ने जान बूझकर ऐसा किया।'' बापूलाल, मनोज, रजनीश, सुनीता, जगदीश, चरण सिंह, सन्नी, शिव कुमार आदि अभिभावकों का भी कहना था कि विद्यालय प्रबंधन ने उनके बच्चों के साथ बहुत ही गंदा व्यवहार किया है और हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। कई अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि किसी बाहरी ताकत के इशारे पर इस स्कूल में हिन्दू बच्चों से नमाज पढ़वाई गई। पर स्कूल प्रबंधन ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया।
अंत में विद्यालय संचालक ने लिखित रूप माफी मांगी कि आगे इस तरह की घटना कभी नहीं होगी। इसके साथ ही यह भी कहा कि पंचायत जो भी जुर्माना करेगी, संचालक उसे मानेगा। फिर पंचायत हुई और उसने विद्यालय संचालक पर 5,51,000 रुपए का जुर्माना लगाया और यह भी कहा कि दो वर्ष तक विद्यालय किसी तरह का शुल्क नहीं बढ़ाएगा। जुर्माने के पैसे को तावड़ू के मंदिरों और गोशालाओं में बांटा जाएगा। इसके बाद मामला थोड़ा शांत हुआ, लेकिन इस घटना ने स्थानीय अल्पसंख्यक हिन्दुओं के सामने अनेक सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब बांकापासी का हाल। बांकापासी बर्धवान जिले के मंगलकोट विकास खंड में आता है। यहां शारदा स्मृति हाईस्कूल है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों में 70 प्रतिशत हिन्दू और 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं। ये छात्र आसपास के गांवों-दुरमुट, मुरुलिया इत्यादि से आते हैं। विद्यालय का मुख्य द्वार दो शेरों एवं हंस पर विराजमान विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति से सजा हुआ है। जब से यह विद्यालय शुरू हुआ है, तभी से यहां पढ़ाई शुरू होने से पहले प्रतिदिन सरस्वती पूजा होती है।
24 जून की दोपहर अचानक कुछ मुसलमान छात्र अपनी कक्षाएं छोड़कर स्कूल के प्रांगण में जमा हो गए और नमाज पढ़ने लगे। विद्यालय प्रशासन ने इसकी अनदेखी यह सोचकर कर दी कि रमजान का महीना चल रहा है सो कुछ छात्र नमाज पढ़ रहे हैं। लेकिन उसका यह अनुमान 25 जून को उस समय गलत साबित हुआ जब मुसलमान छात्र प्रधानाचार्य के दफ्तर के बाहर जमा हो गए और 'नारा-ए-तकबीर', 'अल्लाह-हो-अकबर' के नारे लगाने लगे।
बंगाल में कट्टरवादी तत्वों को सरकारी शह मिल रही है। इस वजह से जहां भी मुसलमानों की थोड़ी-सी भी आबादी अधिक हो रही है, वहां हिन्दुओं का रहना दूभर होता जा रहा है और जहां मुसलमान ज्यादा हैं वहां, हिन्दुओं का रहना खतरे से खाली नहीं है।
— सुरेश चौधरी, संपादक, उड़ान पत्रिका
यह इस्लामी उग्रता और विस्तारवाद का ही एक रूप है। बंगाल के ग्रामीण इलाकों में मुसलमान जबरन हिन्दुओं की सम्पत्ति और जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। जहां भी 20 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हो रहे हैं हिन्दू वहां से पलायन कर रहे हैं। बंगाल में अनेक बंगलादेश पैदा हो चुके हैं।
– तपन घोष, अध्यक्ष, हिन्दू समहति
कहा जाता है कि शिक्षिका ने हिन्दू छात्रों के सिर पर सफेद रूमाल रखवाकर उन्हें घुटने के बल पर बैठाया और दुआ के लिए हाथ ऊपर उठवाए, यह नहीं होना चाहिए था। इससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।
– विनोद गर्ग, पत्रकार, तावड़ू
जब बच्चे घर आए तो बताने लगे कि आज स्कूल में ईद मनाई गई और नमाज भी पढ़ाई गई। बच्चों ने यह भी बताया कि जिन बच्चों ने नमाज पढ़ने से मना किया, उनकी पिटाई की गई।
– देवेन्द्र सिंह धारीवाल, सरपंच, जोरासी गांव
यह वर्षों पुरानी परंपरा है। शायद कट्टरवादियों को यह पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने विद्यालय के मुसलमान छात्रों की आड़ में वहां जिहादी मानसिकता को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इसी के तहत 24 जून की दोपहर को अचानक कुछ मुसलमान छात्र अपनी कक्षाएं छोड़कर स्कूल के प्रांगण में जमा हो गए और नमाज पढ़ने लगे। विद्यालय प्रशासन ने इसकी अनदेखी यह सोचकर कर दी कि रमजान का महीना चल रहा है तो कुछ छात्र नमाज पढ़ रहे हैं। लेकिन विद्यालय प्रशासन का यह अनुमान 25 जून को उस समय गलत साबित हुआ जब मुसलमान छात्र प्रधानाचार्य के दफ्तर के बाहर जमा हो गए और 'नारा-ए-तकबीर', 'अल्लाह-हो-अकबर' के नारे लगाने लगे। इसी के साथ कुछ छात्र प्रधानाचार्य डॉ. पीयूषकान्ति दा के कमरे में घुस गए और मांग की कि उन्हें विद्यालय परिसर में पूरे वर्षभर नमाज पढ़ने के लिए एक विशेष कमरा आवंटित किया जाए।
इन छात्रों की यह भी मांग थी कि प्रात:कालीन सरस्वती पूजा पर भी रोक लगाई जाए। इतना ही नहीं, इन जिहादी मानसिकता वाले कथित छात्रों ने प्रधानाचार्य को एक घंटे तक उनके कमरे में बंधक बनाकर रखा। इसके बाद प्रधानाचार्य ने विद्यालय की प्रबंध समिति के सदस्यों से संपर्क किया और पुलिस को भी इसकी जानकारी दी गई। पुलिस तत्काल आई और मामले को ठंडा कराया। इसके बाद मुसलमान छात्र चले गए, लेकिन वे आगे की योजना बनाने लगे। दूसरे दिन रविवार था। इसके बावजूद कुछ छात्र विद्यालय आए और एक कमरे पर कब्जा करने की फिराक में लग गए। इसकी आशंका प्रधानाचार्य को भी थी इसलिए वे पहले ही विद्यालय आ गए थे। वे अपने दफ्तर में कुछ बकाया काम निपटा रहे थे कि उन्हें आभास हुआ कि दीवार के उस पार कुछ हो रहा है। जब वे उधर गए तो वहां उन्होंने उन छात्रों को देखा, जिन्होंने एक दिन पहले उन्हें कमरे में बंद कर दिया था। इसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी और लोगों को दी और मुसलमान छात्रों की योजना धरी की धरी रह गई। इन छात्रों की इस हरकत से हिन्दू छात्र और अन्य लोग भी जमा हो गए और उन्होंने उनकी इस मांग का जमकर विरोध करने का निर्णय लिया। अगले दिन सुबह हिन्दू छात्रों ने एकत्रित होकर प्रधानाचार्य से मांग की कि यदि मुसलमान छात्रों को नमाज के लिए अलग कमरा दिया गया तो उन्हें भी हरिनाम संकीर्तन करने के लिए एक अलग कमरा दिया जाए। हिन्दू-मुस्लिम छात्रों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए कैछार पुलिस चौकी से पुलिस आई और दोनों गुटों को अलग-अलग किया। इसके बाद विद्यालय की प्रबंध समिति के एक मुस्लिम सदस्य उज्जल शेख ने घोषणा की कि न तो मुस्लिम छात्रों को नमाज के लिए कोई अलग कमरा मिलेगा और न ही हिन्दुओं को संकीर्तन के लिए। उन्होंने यह भी यह भी कहा कि प्रतिदिन स्कूल आरंभ होने से पहले जो सरस्वती पूजा होती है, वह नियमित होती रहेगी। फिलहाल मामला शांत है, लेकिन स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि जिहादी मानसिकता वाले तत्व इतनी आसानी से बैठने वाले नहीं हैं, इसलिए यह मांग फिर कब उठ जाए, यह कहना कठिन है। बांकापासी, पिंदिरा, लक्ष्मीपुर, बेलग्राम, कुल्सुना, दुर्मुट सहित आसपास के गांवों में रह रहे हिन्दुओं ने बताया कि जब से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जमात-ए-उलेमा-हिन्द के कट्टर नेता सिद्दीकुल्लाह चौधरी यहां के विधायक बने हैं, तब से इस क्षेत्र में जिहादी मानसिकता वाले लोग बेलगाम हो गए हैं। ये वही सिद्दीकुल्लाह हैं, जिन्होंने बर्धवान बम विस्फोट के आरोपियों के लिए सभा की थी और मुसलमानों से आह्वान किया था कि वे आतंकी गतिविधियों में पकड़े जाने वाले मुसलमानों को छुड़ाने के लिए जकात दें।
फिलहाल बांकापासी के इस विद्यालय में शांति है, पर यह शांति कब तक रहेगी, इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता। मुसलमान छात्र कभी भी उग्र हो सकते हैं और नमाज के लिए अलग कमरे की मांग कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि पुलिस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती, क्योंकि धारणा यह बन गई है कि ममता राज में मुसलमान का हर खून माफ है। कोलकाता से प्रकाशित होने वाली पत्रिका 'उड़ान' के संपादक सुरेश चौधरी कहते हैं, ''बंगाल में कट्टरवादी तत्वों को सरकारी शह मिल रही है। इस वजह से जहां भी मुसलमानों की थोड़ी-सी भी आबादी बढ़ रही है, वहां हिन्दुओं का रहना दूभर होता जा रहा है और जहां मुसलमानों की तादाद ज्यादा है, वहां तो हिन्दुओं का रहना खतरे से खाली नहीं है।''
लोगों का यह भी कहना है कि बंगाल के कई क्षेत्रों के विद्यालयों में दोपहर के भोजन में मुसलमान छात्रों को गोमांस या हलाल मांस देने की मांग होने लगी है। बर्धवान (पूर्व) जिला भाजपाध्यक्ष कृष्णा घोष कहते हैं, ''बंगाल में हिन्दुओं की स्थिति खराब होती जा रही है। उन्हें जगाने की जरूरत है।'' बंगाल में हिन्दू हित के लिए कार्य करने वाली संस्था 'हिन्दू समहति' के अध्यक्ष तपन घोष कहते हैं, ''यह इस्लामी उग्रता और विस्तारवाद का ही एक रूप है। बंगाल के ग्रामीण इलाकों में मुसलमान जबरन हिन्दुओं की संपत्ति और जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। जहां मुस्लिमों की आबादी 20 फीसदी से ज्यादा हो रही है, वहां से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। बंगाल में अनेक बंगलादेश पैदा हो चुके हैं। इसके लिए वोट बैंक की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल और सेकुलर बुद्धिजीवी दोषी हैं।'' इन दोनों घटनाओं से यह बात साफ हो गई है कि देश में जिहादी मानसिकता वाले लोगों का हौंसला बढ़ता जा रहा है। इस मानसिकता को ठीक किए बिना देश सुरक्षित नहीं रह सकता।
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