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अपराधों में होती बढ़ोतरी को देखते हुए बिहार एक बार फिर से जंगलराज की ओर बढ़ चला है। 1990 के दशक में यहां जिस प्रकार का आपराधिक माहौल था, ठीक उसी प्रकार का माहौल आज फिर से आ गया है। इस सबके बाद भी राज्य यह सरकार यह दावा कर रही है कि बिहार अन्य राज्यों से बेहतर है
''राज्य में कानून व्यवस्था के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जायेगा। शुरुआती दौर से ही यह हमारा प्रमुख सिद्धांत रहा है। हम भविष्य में भी इसी राह पर काम करते रहेंगे।'' बिहार में सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह पहला बयान था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था को बनाये रखने के अपने वादे पर पूरी तरह से नाकामयाब साबित हो रही है।
बिहार में अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में जंगलराज होने की बात होते ही बिदक जाते हैं जबकि वास्तविकता यही है।
13 मई को अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर मौत के घाट उतार दिए गए पत्रकार रंजन देव के हत्यारे अभी पकड़े नहीं गए और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से एक हिंदी समाचार पत्र के संवाददाता राजेश कुमार सिंह को जान से मारने की धमकी मिली है। राजेश कुमार सिंह ने जदयू एमएलसी हीरा प्रसाद बिंद के गुर्गों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि बिंद के गुर्गे उनके कार्यालय में घुसे और उन्हें पंचायत चुनाव से जुड़ी एक खबर का खंडन छापने को कहा और ऐसा न करने पर उन्हें सीवान पत्रकार राजदेव रंजन जैसा अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली।
दरअसल बिहार में यह स्थिति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के कुछ दिन बाद शुरू हो गई थी। जब उन्होंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया था तभी यह भविष्यवाणी की गई थी कि बिहार में फिर से जंगलराज लौटेगा और ऐसा ही हुआ।
''मौजूदा साक्ष्यों के शहाबुद्दीन की संलिप्तता की ओर इशारा करने के चलते, राज्य पुलिस को जांच में आगे बढ़ने में वैसे भी समस्या आ रही होगी। मैं तो सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि क्या वे शहाबुद्दीन को अपनी गठबंधन सहयोगी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करवा सकते हैं?''
—सुशील मोदी, वरिष्ठ भाजपा नेता, बिहार
वरिष्ठ पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या करने वाले बदमाश अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। कहा जा रहा है कि उनकी हत्या के पीछे जेल में बंद सीवान के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन का हाथ है। पुलिस ने शहाबुद्दीन को सीवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट भी कर दिया है लेकिन हत्यारों का अभी तक पता नहीं है।
अखबारों की सुखिर्यों के अनुसार स्थानीय खुफिया इकाइयों ने दो साल पहले सूचना दी थी कि शहाबुद्दीन ने 23 लोगों की एक हिटलिस्ट बनाई है। इस मामले की जानकारी राजदेव ने अखबार में प्रकाशित की थी। इस लिस्ट में उनका भी नाम था। हाल ही में बिहार में एक उद्योगपति के बेटे आदित्य राज, पत्रकार राजदेव रंजन और सीआरपीएफ जवान की हत्या से स्पष्ट है कि राज्य में कोई सुरक्षित नहीं रह गया है न आम आदमी, न पत्रकार, न ही पुलिस फोर्स। लोगों का कहना है कि ''राज्य में अपराध बढ़ने का मुख्य कारण सत्ता में आपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों का होना है। आरोप है कि सत्ताधारी पार्टी के नेता ही कानून और व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं।'' यदि ऐसी ही स्थिति रही तो राज्य में कैसे अमन और चैन कैसे स्थापित हो सकेगा? बिहार का हर शांति प्रिय नागरिक आज परेशान है। पर उनकी आवाज पर कान देने वाला कोई नहीं है। ल्ल पाञ्चजन्य ब्यूरो
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