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दिल्ली में मयूर विहार के सामने यमुना नदी के किनारे इन दिनों काफी हल-चल है। सैकड़ों स्वयंसेवक, कार्यकर्ता और मजदूर विश्व संस्कृति महोत्सव की तैयारी में लगे हैं। दिन-रात काम चल रहा है। तैयारियों का जायजा लेने से जो पहली बात तय लगती है वह यह कि 11 से 13 मार्च तक होने वाले इस तीन दिवसीय महोत्सव की धमक पूरी दुनिया को सुनाई देगी। महोत्सव का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग कर रहा है। इस वर्ष इसके 35 वर्ष पूरे हो रहे हैं। महोत्सव का उद्घाटन 11 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे, जबकि समापन समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी होंगे। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर कहते हैं, ''पूरी दुनिया की नृत्य, संगीत और कला की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं से सुसज्जित यह महोत्सव आध्यात्मिक और धार्मिक गुरुओं, राजनेताओं और शांति की स्थापना में लगे महानुभावों और कलाकारों के बीच वैश्विक शांति और सद्भाव का संदेश प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाएगा।''
उन्होंने यह भी कहा कि महोत्सव में लाखों लोगों को एक साथ लाकर विश्व को शांति की शक्ति का अनुभव कराया जाएगा और संसार के हर क्षेत्र के शिखर पुरुषों को एक साथ लाकर मानव मूल्यों को जागृत करने का प्रयास किया जाएगा।
क्या है आर्ट ऑफ लिविंग
आर्ट ऑफ लिविंग एक शैक्षणिक और मानवतावादी गैर-सरकारी संस्था है। इसकी स्थापना 1981 में हुई थी। संगठन ने विश्वभर के 155 देशांे के 3.70 करोड़ से भी अधिक लोगों तक अपनी पहंुच बनाई है। यह संस्था अपनी कई मानवतावादी परियोजनाओं के माध्यम से समाज के हर तबके तक पहुंची है। इसमें विवादों का निपटारा, आपदा सहायता, लंबे समय तक चलने वाला ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, कैदियों का पुनर्वास, सभी के लिए शिक्षा और पर्यावरण की रक्षा जैसे कार्य हैं।
महोत्सव का उद्देश्य
दुनिया को यह संदेश देना कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है।
तमाम विविधताओं के बाद भी एक-दूसरे के सह-अस्तित्व को सहजता से स्वीकार करना चाहिए।
यह एक ऐसा अवसर है जहां सभी मत-पंथों के विद्वान, नेता और अन्य लोग मिलकर विश्व की बेहतरी के लिए आपस में चर्चा कर सकेंगे।
पारम्परिक संगीत, नृत्य को संरक्षण देना। विश्व के सभी देशों के लोक कलाकारों को एक मंच पर लाना और जो मूल्य पीछे छूट गए हैं उन्हंे आगे लाना।
यह भी बताना कि इस धरती पर बहुत कुछ अच्छा है, अच्छे लोग हैं, सक्रिय हैं और अपनी धरती के प्रति संवेदनशील भी हैं।
योग के साथ हमारी समृद्ध संगीत, नृत्य और अन्य कलाओं की विरासत को विभिन्न मतों के लोगों और देशों के मध्य गहराई से स्थापित करना।
भव्यता के आकंड़े
समारोह का क्षेत्रफल 1,000 एकड़ में फैला हुआ है।
155 से अधिक देशों के कलाकार और गणमान्य लोग भाग लेंगे।
35 लाख से अधिक लोगों के भाग लेने की संभावना है।
5,000 से अधिक होटलों की बुकिंग हो चुकी है।
समारोह स्थल तक लोगों को पहुंचाने और वापस लाने के लिए दिल्ली परिवहन निगम की अतिरक्त बसें चलेंगी।
जर्मनी और रूस के लिए 317 विशेष उड़ानों की व्यवस्था।
समारोह स्थल पर 26,000 से अधिक शौचालयों का निर्माण।
आयोजन के दौरान दिल्ली के सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।
महोत्सव के लिए सात एकड़ जमीन पर अस्थायी मंच तैयार।
महोत्सव के दौरान 25,000 से अधिक कलाकार अपनी कलाओं की प्रस्तुति देंगे।
संगीत प्रस्तुतियों में 8,000 संगीतकारों द्वारा 40 प्रकार के वाद्ययंत्रों से दी जाने वाली प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी।
इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका से आए 650 ड्रम वादक और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, सिक्किम और देश के अन्य राज्यों से आए हुए वनवासी कला का प्रदर्शन करेंगे।
महोत्सव को अपेक्षित भव्यता के साथ सफल बनाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवक और कार्यकर्ता देशभर में शिविर लगा रहे हैं। सुखमय जीवन के सूत्र तलाशते लोगों को दिल्ली आने और इस आयोजन के साक्षी बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इतने भव्य स्तर पर हो रहे आयोजन के पीछे एक बड़ा उद्देश्य यह भी है कि इसे दुनिया के सबसे बड़े सम्मेलन का दर्जा मिल सके। एक साथ वाद्य यंत्रों की गूंज को गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकार्ड में भी शामिल किया जा सके। महोत्सव में गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकार्ड की टीम भी हाजिर रहेगी। तैयारी में लगे कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को उम्मीद है कि इस महोत्सव में 35 लाख से अधिक लोग भाग लेंगे और इसे अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा महोत्सव होने का गौरव प्राप्त होगा।
आयोजन को सफल बनाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के अलावा भारत सरकार, कई राज्य सरकारें और कई गैर-सरकारी संगठन भी पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आयोजन से पहले ही परीक्षाएं पूरी कर लेने की बात कही है, वहीं दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि महोत्सव के दौरान सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे। महोत्सव स्थल तक लोगों को पहुंचाने के लिए दिल्ली के अनेक हिस्सों से दिल्ली परिवहन निगम की अतिरिक्त बसें भी चलाई जाएंगी। अमृतसर गुरुद्वारा साहेब और अकाल तख्त की ओर से प्रतिदिन 4 लाख लोगों को भोजन कराया जाएगा।
आयोजकों का कहना है कि महोत्सव में जर्मनी और रूस से सबसे अधिक लोग आएंगे। इसलिए भारत सरकार ने इन दोनों देशों के लिए 317 अतिरिक्त उड़ानों की व्यवस्था की है। इनके अलावा दक्षिण अमेरिका, मंगोलिया, अमेरिका, यूरोप, जापान, मलेशिया, आस्ट्रेलिया और पाकिस्तान से भी मेहमान आएंगे। आयोजकों के अनुसार विदेशी अतिथियों की संख्या करीब 20,000 होगी।
भारत की आध्यात्मिक शक्ति को देखने के लिए विश्व के कई देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य प्रभावी लोगों के भी आने की संभावना है। महोत्सव को भव्यता प्रदान करने में केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जैसे संस्थान सहयोग कर रहे हैं। अतिथियों के लिए पर्यटन मंत्रालय ने दिल्ली और इसके आसपास के लगभग 5,000 होटलों को आरक्षित करवाया गया है। मुख्य मंच को अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ सुसज्जित किया जा रहा है। इसके अलावा कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों के लिए अलग-अलग मंच बनाए जा रहे हैं, जहां कला का प्रदर्शन होगा।
महोत्सव की स्वागत समिति में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आऱ सी़ लाहोटी, नीदरलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री प्रोफेसर रुड लबर्ज जैसी विभूतियां शामिल हैं।
भारत में इससे पहले भी कई आध्यात्मिक गुरुओं ने इस तरह के महोत्सवों का आयोजन किया है, लेकिन इस बार के आयोजकों का दावा है कि श्रीश्री रविशंकर के नेतृत्व में यह महोत्सव बिल्कुल अलग रहने वाला है। श्री श्री कहते हैं, ''जब तक हमारा मन तनाव रहित और समाज हिंसा-मुक्त नहीं होगा तब तक विश्व में शांति की स्थापना नहीं हो सकती है।''
महोत्सव को रेलमंत्री सुरेश प्रभु, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अनेक नेता संबोधित करेंगे। सम्मेलन के दौरान आर्ट ऑफ लिविंग के उत्पादों को भी प्रचारित-प्रसारित किया जाएगा। आर्ट ऑफ लिविंग के उत्पादों में किताबें और सीडी के अलावा कई आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं।
उम्मीद है कि यह महोत्सव पूरे विश्व को एक नई दिशा देने में सफल होगा और चहुं ओर शांति का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। अरुण कुमार सिंह
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