केरल-कर्नाटक - हत्याओं की हिंसक राजनीति
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केरल-कर्नाटक – हत्याओं की हिंसक राजनीति

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Mar 21, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 21 Mar 2016 12:32:33

दक्षिण भारत, खासकर केरल और कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के राज में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं पर हिंसक हमले बढ़ते जा रहे हैं। केरल में यूं तो कम्युनिस्टों ने एक लंबे समय से संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुहिम छेड़ी हुई है। इसके पीछे बड़ी वजह है दक्षिण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का तेजी से बढ़ता कार्य और प्रभाव। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां संघ की पहुंच नहीं है। जाहिर है, यह बात वामपंथियों और अतिवादियों के गले नहीं उतर रही। इसी से बौखलाकर वे हिंसा पर उतर आए हैं। आए दिन माकपा कार्यकर्ताओं और मजहबी उन्मादियों द्वारा संघ के स्वयंसेवकों और भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले और उनकी हत्या इसका उदाहरण है।
कर्नाटक के मैसूर शहर की घटना पर नजर डालिए। 13 मार्च को वहां के. राजू नामक संघ कार्यकर्ता की बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप स्थानीय आपराधिक तत्वों पर है और वह भी एक समुदाय विशेष के।  कारण था राजू द्वारा इलाके में अवैध रूप से बन रही मस्जिद के खिलाफ आवाज उठाना, उस गैरकानूनी कार्य के खिलाफ लोगों को जागरूक कर उन्हें एकजुट करना।
राजू मैसूर में काफी दिनों से आवासीय क्षेत्र में बन रही उस अवैध मस्जिद का विरोध कर रहे थे। घटनाक्रम के अनुसार, 13 मार्च को जब वे एक चाय की दुकान पर खड़े थे, तभी अचानक पांच लोगों ने उन पर घातक हथियारों से हमला कर दिया। उन्हें इतने घाव दिए गए कि उन्होंने दम तोड़ दिया। तेजधार हथियारों से लोगों की हत्या करने का यह घिनौना तरीका अभी तक केरल तक सीमित था, लेकिन अब यह कर्नाटक में भी अपने पैर पसारता दिख रहा है। दुर्भाग्य की बात यह है कि कर्नाटक में  हर हिंदू विरोधी मामले पर बढ़-चढ़कर बोलने वाली सिद्धरमैया सरकार इतनी बड़ी घटना पर मौन साधे रही। राज्य सरकार की चुप्पी से आक्रोशित हिंदू संगठनों ने 14 मार्च को मैसूर बंद का आह्वान किया और हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया।
राजू बहुत दिनों से क्षेत्र में एक गणेश मंदिर बनवाने का प्रयास कर रहे थे। उस मंदिर के बारे में और जानकारी देते हुए अमित मालवीय ने अपने एक ट्वीट में लिखा, ''जो मंदिर राजू बनवा रहे थे, उस मंदिर के दरवाजे वे अन्य समुदायों के लिए भी खोलना चाहते थे। यह बात राजनीतिक विरोधियों को अखर रही थी। इसी कारण वह कुछ लोगों के निशाने पर थे।''
इस घटना पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रामदास कहते हैं, ''यह उन जिहादियों की सोची-समझी करतूत है जिनके तार संभवत: आईएसआईएस से जुड़े हुए हैं। राजू एक देशभक्त नौजवान थे। उनकी नृशंस हत्या करने वाले सभी हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए।'' विश्व हिंदू परिषद के अन्य कार्यकर्ता का कहना था, ''राजू हिंदू बहुल इलाके में बन रही अवैध मस्जिद का विरोध कर रहे थे। इसलिए उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस जब तक हत्यारों को पकड़ नहीं लेती तब तक हम चैन से नहीं बैठेेंगे।'' घटना के संदर्भ में मैसूर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रताप सिम्हा ने कहा,   ''इस घटना से मैं व्यक्तिगत तौर पर बेहद दुखी हूं।'' राजू की हत्या के विरोध में 14 मार्च को मैसूर में हजारों लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। व्यवसायियों ने बाजार बंद रखे। प्रदर्शन करने वाले लोग राज्य सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए मांग कर रहे थे कि आरोपियों को तत्काल पकड़ा जाए। भाजपा ने राज्य सरकार से राजू के परिवार को कम-से-कम 25 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है।
कर्नाटक से सटे राज्य केरल का कन्नूर शहर ऐसी घटनाओं का लंबे समय से साक्षी रहा है। वहां माकपाइयों द्वारा चलाई जा रहीं हिसंक गतिविधियों की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ वषार्ें में संघ के 300 से ज्यादा स्वयंसेवकों की नृशंस हत्या की जा चुकी है। अभी कुछ दिन पहले ही कन्नूर में बीजू नामक संघ कार्यकर्ता पर हमले की खबर सबको झकझोर गई थी। लेकिन 14 मार्च को तिरुअनंतपुरम के पास कट्टईकोण्णम क्षेत्र में तीन संघ कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया। हमले में तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल होने वालों में राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वी. मुरलीधरन भी शामिल हैं। तालुका प्रचारक श्री अमाल कृष्णन पी.डी. को तो सिर में इतनी गंभीर चोट आई कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वे वेंटीलेटर पर ही हैं। माकपा के हत्यारे दस्ते ने भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं पर उस समय हमला बोला जब वे शहर की नई योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों के विस्थापन का खाका खींचा गया था। यह योजना माकपा के गढ़ कट्टईकोण्णम क्षेत्र के लिए थी; ध्यान रहे, तिरुअनंतपुरम नगर निगम पर माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ सदस्यों का दबदबा है।
माकपा ने कट्टईकोण्णम इलाके के इस 'मास्टर प्लान' के खिलाफ न खुद कोई विरोध किया, न ही वह किसी और को विरोध करते देखना चाहती है। भाजपा का आरोप है कि इस नए मास्टर प्लान की योजना के पीछे कांग्रेस और माकपा की सांठगांठ है। यही वजह है कि माकपा इस परियोजना का विरोध नहीं कर रही है। हालांकि ऐसी परिस्थिति में इस क्षेत्र में भाजपा का जनाधार बढ़ रहा है। इसी कारण वे बौखलाये हुए हैं और 'कन्नूर मॉडल' की तरह स्वयंसेवकों पर हमले कर रहे हैं।
गंभीर रूप से घायलों में एक, संघ के तालुका प्रचारक अमाल कृष्णन बी.टेक. उपाधि प्राप्त हैं। वे चंगनशेरी, कोट्टायम के एक संघ परिवार से संबंध रखते हैं। माकपा के गुंडों ने किसी घातक हथियार से उनके सिर पर वार किया और हमले के बाद गली की बिजली बंद कर दी ताकि उन पर कोई फौरन ध्यान न दे पाए।  कोट्टायम क्षेत्र के संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि अमाल होनहार प्रचारक हैं। स्थानीय लोग उनके जल्दी  स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। दो अन्य स्वयंसेवकों को भी अंधेरे में छुरा घोंपा गया था। लगता है, माकपा केरल के अन्य स्थानों सहित दक्षिण के अन्य राज्यों में कन्नूर मॉडल के हिसाब से काम कर रही है। माकपा तत्वों ने पिछले महीने संघ के एक कार्यकर्ता सुजित कुमार की हत्या कर दी। वहीं एक अन्य कार्यकर्ता बीजू पर उस समय हमला किया जब वह स्कूल से बच्चों को लेने जा रहा था। माकपा के गुंडों ने 15 मार्च को उस हरीप्पडू क्षेत्र में एक कांग्रेस कार्यकर्ता की भी हत्या कर दी, जो राज्य के गृह मंत्री रमेश चेन्निथला के विधानसभा क्षेत्र में आता है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एस.राजा ने तिरुअनंतपुरम में एक विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि माकपा आईएसआईएस के भारतीय संस्करण जैसा बरताव करती दिखती है। इस प्रदर्शन में राज्य भाजपाध्यक्ष श्री राजशेखरन और सह प्रांत कार्यवाह श्री एम. राधाकृष्णनन भी उपस्थित थे। – टी. सतीशन, कोच्चि और आर.गुरु प्रसाद, बंगलुरू से

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