आइटीबीपी/भारत की जांबाज बेटियांचीनी सरहद पर आइटीबीपी का पहला महिला दस्ता
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

आइटीबीपी/भारत की जांबाज बेटियांचीनी सरहद पर आइटीबीपी का पहला महिला दस्ता

by
Feb 8, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 08 Feb 2016 13:10:26

चीनी सरहद पर आइटीबीपी का पहला महिला दस्ता

आलोक गोस्वामी
जनवरी का दूसरा हफ्ता। असम के लखीमपुर जिले में धाकुआखाना स्थित केकुरी गांव। गांव के एक सम्मानित परिवार में उस दिन अनूठी चहल-पहल थी। परिवार के लोग जैसे चहक रहे थे। परिवार के मुखिया श्री पवित्र कुमार पेगू के चेहरे पर संतोष और गौरव का मिला-जुला भाव था। आखिर ऐसा क्या खास हुआ था उस दिन उस पेगू परिवार में? पंचकुला से 'पॉपी' का फोन आया था, उसने बताया कि उसकी साल भर से चल रही ट्रेनिंग पूरी हो गई थी और अब वह घर आ रही थी। पेगू की बेटी पॉपी अब भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के उस पहले महिला दस्ते में कांस्टेबल जीडी के तौर पर बाकायदा शामिल हो गई थी। गांव से थोड़ी दूर एक सरकारी स्कूल में शिक्षक पेगू को जैसे यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी चार बेटियों में से दूसरे नंबर की बेटी पॉपी अब चीन से सटी हिन्दुस्थान की सरहद की पहरेदार बनेगी।  
पॉपी ऐसी महिला कमंाडो हैं जिन्होंने उन 500 युवतियों के साथ पंचकुला (हरियाणा) में बेसिक ट्रेनिंग सेन्टर में आइटीबीपी के पहले महिला कमांडो दस्ते के सदस्य के रूप में 44 हफ्ते की ट्रेनिंग पूरी की है। 'पासिंग आउट परेड' के बाद उन सभी में एक गजब का जोश और उत्साह था और थी देश के लिए कुछ कर दिखाने, देश की बेटी होने का हक अदा करने की तैयारी। इनमें से 300 महिला कमांडो को आने वाले मार्च महीने में देश भर में स्थित उनकी अपनी-अपनी यूनिटों से भारत-चीन के बीच 3,488 कि.मी. की वास्तविक नियंत्रण रेखा की निगरानी के लिए भेजा जाएगा। पॉपी लगभग चहकते हुए कहती हैं, ''वर्दी का रौब तो होता है, अब हमें उसकी शान बनाए रखनी है। पहाड़ी चोटियां हमारे हौसलों के आगे कुछ भी नहीं हैं।''
हिमालय की गोद में 8,000 से 14,000 फीट की ऊंचाई पर आइटीबीपी की 20 अग्रिम चौकियों पर तैनाती की बात सुनकर ये युवा कमांडो कितनी खुश हुई थीं इसका अंदाजा हापुड़ की दीपिका त्यागी के बेहद जोशीले उत्तर से मिल जाता है। यह पूछने पर कि उस सरहद पर शून्य से बेहद नीचे डिग्री के तापमान में बंदूक थामे खड़े रहने की बात सुनकर उन्हें डर नहीं लगा, दीपिका ने कहा, ''फिकर नहीं। हम किसी तरह कमजोर नहीं हैं। हमारे अंदर देश के लिए प्यार की ऐसी गर्मजोशी है कि बर्फीली चोटियां हमें डरा नहीं पाएगी।'' एसएससी का इम्तिहान देने के बाद आइटीबीपी के लिए चुनी गईं दीपिका के मन में 12वीं के बाद आम लड़कियों की तरह 'कुछ तो करना है' वाली सोच से कुछ अलग पक रहा था। मन में था कि उन्हें देश के लिए कुछ करना है। जैसे ही पता चला कि ट्रेनिंग का बुलावा आया है, दीपिका का मन जैसे बल्लियों उछल पड़ा। भरे-पूरे संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी दीपिका ने सबसे पहले अपने दादा-दादी का आशीर्वाद लिया। माता-पिता की सभी चिंताओं को दूर करके उनके चेहरों पर भी खुशी बिखेरी। दो बहनें और भाई तो जैसे पूरे मोहल्ले में मुनादी सी कर आए कि उनकी बहन 'फौजी' बन गई है। यह पूछने पर कि कमांडो की वर्दी पहनने पर कैसा लगा, दीपिका बोलीं, ''एक अलग सा रुतबा आ जाता है। बड़े जतन के बाद वर्दी पहनी है, फख्र तो होगा ही। पापा तो ठीक हैं, पर मां को रह-रहकर लगता है कि, बेटी सीमा पर तैनात होगी! वह तो बहुत दूर है!'' पर कमांडो दीपिका को भरोसा  है कि मां भी आगे चलकर परिस्थिति को स्वीकार कर लेंगी।
चीन से लगती भारत की सरहद की भौगोलिक चुनौतियों, पहाड़ों पर हाड़ कंपा देने वाली ठंड और हवा के दबाव को ध्यान में रखकर ही सबको कमांडो ट्रेनिंग दी गई थी। भारत की धरती पर उत्तराखण्ड के आखिरी गांव माणा के पास दर्रे पर मौजूद इस अर्द्धसैनिक बल की चौकी पर पहरेदारी करना कोई हंसी-खेल नहीं है। खासकर उन चुनिंदा 500 युवा महिलाओं के लिए जिनमें से ज्यादातर मैदानी इलाकों से हैं। जनवरी 2016 में ट्रेनिंग खत्म करके अपनी तैनाती का इंतजार कर रहे इस महिला कमांडो दस्ते में सबसे ज्यादा युवतियां यानी 97 उत्तराखण्ड से हैं, 10 हिमाचल प्रदेश से, 51 बिहार से, 11 हरियाणा से, 22 राजस्थान से, 63 उत्तर प्रदेश से और 35 महाराष्ट्र से। इनके अलावा 11 पंजाब से, दिल्ली और आंध्र से एक-एक, असम से 35, छत्तीसगढ़ से 6, गुजरात से 21, झारखण्ड से 26 और तीन जम्मू-कश्मीर से हैं। इनमें अधिकतर सामान्य परिवारों से हैं। 

सरहद पर तैनात होने को प्राणपण से तैयार इन युवा सैनिकों में से एक हैं पंजाब के मोगा शहर की अमनदीप कौर, जिनके पिता डीजल गाडि़यों की मरम्मत की वर्कशॉप चलाते हैं। अमनदीप छोटी उम्र से ही फौजी वर्दी के प्रति आकर्षित थीं। यह पूछने पर कि, ''क्या परिवार में कोई सेना में है?'' अमनदीप ने कहा, ''नहीं, अब तो परिवार में कोई फौज या पारा-मिलिट्री में नहीं है। हां, मेरे दूर के रिश्ते के एक नाना जी चीन में रहते थे। इस लिए चीन का आकर्षण था। पर मैं तो शुरू से ही वर्दी वाली फौजी बनना चाहती थी।'' अमनदीप को लद्दाख से सटी सीमा पर तैनाती के लिए जाना है और वहां रहना आसान नहीं है। यह पूछने पर कि, ''लद्दाख की आबोहवा बड़ी जटिल है। यह बात आपके माता-पिता जानते हैं?'' इस पर अमनदीप का कहना था, ''हां, सुना तो है। माता-पिता के चेहरों पर थोड़ी चिंता की लकीरें तो हैं। लेकिन कोई नई जी, हो जाएगा। हमें अच्छी ट्रेनिंग मिली है। कोई फिक्र नहीं। डरना तो मैंने सीखा ही नहीं। और जब देश की हिफाजत की बात हो तो डर वैसे भी नहीं रहता है जी।'' सच, भारत की बेटियों में अगर यह जज्बा है तो किसी दुश्मन की हैसियत ही क्या जो हमें आंख उठाकर देख सके। और यही जज्बा कूट-कूटकर भरा है हल्द्वानी (उत्तराखण्ड) की रेणु आर्य में। पंचकुला के ट्रेनिंग सेंटर से जब वे अपने घर जा रही थीं तब उनके मन में  तरह-तरह के रोेमांचक ख्याल आ रहे थे, दिल में बेहद खुशी थी और बार-बार एक ही बात घूम रही थी कि अब उन्हें कितनी बड़ी जिम्मेदारी निभानी है। उन्हें यह जानकर कैसा लगा कि वे चीन सीमा पर तैनात होने वाले पहले महिला कमांडो दस्ते  में होंगी? वे बोलीं, ''कभी खुशी, कभी चिंता तो कभी हैरानी थी कि मैंने कर दिखाया। हां, घर पर माता-पिता को जरूर यह सुनकर थोड़ी चिंता हुई कि वहां सर्द सरहद पर बेटी कैसे रहेगी। होता है, वे मां-पिता हैं न जी, पर बाद में उनको समझाने पर वे भी समझ गए कि हमें हर तरह की ट्रेनिंग मिली है, घबराने की कोई बात नहीं। हमें तो दुश्मन के दिल में घबराहट पैदा करनी है। और मैंने तो उस दिन 26 जनवरी की परेड देख रहे घर के सब लोगों से कहा कि देखना, जल्दी ही मैं भी इस परेड में दिखूंगी। छोटा भाई हितेन्द्र तो सुनकर झूम उठा था।'' रेणु की एक बहन तथा दो भाई हैं। आज के माहौल और उसमें महिलाओं की सुरक्षा को लेेकर समय-समय पर व्यक्त होने वाली चिंताओं के संदर्भ में रेणु से जब पूछा गया कि ''आज के इस माहौल में वर्दी पहनने के बाद तो आत्मविश्वास और बढ़ गया होगा,'' रेणु का कहना था, ''इसमें तो कोई शक नहीं है, वर्दी पहनना हमारे लिए गौरव की बात है। मेरा बहुत पहले से ये मानना रहा है कि जिओ तो शान से, मरो तो शान से।''
कुछ इसी तरह का भाव है मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की निवासी अनुश्री के मन में। सरकारी नौकरी में लगे श्रीनिवास पाठक और श्रीमती ममता पाठक की बेटी अनुश्री की सादगी देखकर लगता नहीं कि ये वही है जिन्होंने कमांडो के सारे गुर सीखे हैं, आधुनिक हथियार और दुश्मन के ठिकाने पर धावा बोलने, उसे काबू करने में दक्ष हैं। अनुश्री भी एक दिन ऊंची बर्फीली पहाडि़यों पर नियंत्रण रेखा की चौकसी करने वाले दस्ते में शामिल होंगी। बातों में एकदम सरल, अनुश्री बोलीं, ''पहले हथियार देखकर डर लगता था, पर अब तो खुद चलाते हैं। ऐसे ही सुना है बड़ा विकट है चीनी सीमा का क्षेत्र, इसलिए थोड़ी तो हिचक है मन में, पर वहां जाएंगे और रहेंगे, उसके लिए अपने को ढालेंगे तो कोई दिक्कत नहीं आएगी, मुझे पूरा भरोसा है अपने पर।''
तैनाती से पहले इस महिला दस्ते को ऊंचे दर्रों, बर्फीली घाटियों और पहाड़ी चोटियों पर युद्ध में और माहिर किया जाएगा, वहां के मौसम में खुद को तंदुरुस्त रखने के गुर सिखाए जाएंगे, कम ऑक्सीजन में कैसे सांस को स्थिर रखते हुए चौकसी करें, यह सिखाया जाएगा। यह सब होगा पर इन सब बाहरी तैयारियों से पहले जरूरी और महत्वपूर्ण होता है मन का दमदार होना, इरादे चट्टानी होना और देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने का भाव। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के इस पहले महिला दस्ते में हौसला और हिम्मत है, और जैसा इस बल का ध्येय वाक्य ही है-'शौर्य, दृढ़ता, कर्मनिष्ठा'। भारत की ये बेटियां इस ध्येय वाक्य के एक-एक शब्द को सच साबित करने के मामले में दुनिया में किसी से कम नहीं हैं। 

'' हम कमजोर नहीं हैं। हममें  देश प्रेम की ऐसी गर्मजोशी है कि बर्फीली चोटियां हमें डरा नहीं पाएगी।''

''अच्छी ट्रेनिंग मिली है,  डरना मैंने नहीं सीखा। देश की बात हो तो डर वैसे भी नहीं रहता।  जी-जान लगा देंगे।''

''वर्दी का रौब है, हमें उसकी शान रखनी है। पहाड़ी चोटियां  हौसलों के आगे कुछ नहीं हैं। शान से करेंगे देश की सेवा।''

''हमें हर तरह की ट्रेनिंग मिली, घबराना कैसा, हमें तो दुश्मन के दिल में घबराहट पैदा करनी है।''

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies