ज्ञान आधारित शिक्षा के प्रखर पंुज
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

ज्ञान आधारित शिक्षा के प्रखर पंुज

by
Dec 5, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 05 Dec 2016 17:39:00

   ज्ञान आधारित  शिक्षा के प्रखर पंुज
राष्ट्र हित में शिक्षा, शिक्षा के हित  में शिक्षक, शिक्षक के हित में समाज

अतुल कोठारी
शिक्षा क्षेत्र में संघ की प्रेरणा से अनेक संगठन काम कर रहे हैं। इन संगठनों ने शिक्षा को व्यवसाय नहीं, समाजसेवा मानकर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इसी का परिणाम है कि आज देश में शिक्षा को लेकर एक नई सोच पैदा हुई है 

 कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि संघ ने 90 वर्ष में देश में क्या किया?  मैं उनका उत्तर दूसरे ढंग से सोचता हूं कि अगर संघ नहीं होता तो क्या होता?  देश का 90 वर्ष का इतिहास देखते हैं तो ध्यान में आता है कि देश के हर मोड़ पर संघ खड़ा है। चाहे स्वतंत्रता का संघर्ष हो, देश विभाजन की घड़ी हो, स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान से आए निराश्रितों के सहयोग की बात हो, विदेशी आक्रमणों के समय की बात हो, चाहे प्राकृतिक आपदाएं हों या मानव सर्जित दुर्घटनाएं हों, इनके पीडि़तों की मदद करने में संघ सदैव आगे रहा है। एक प्रकार से राष्ट्र के समक्ष संकट की हर घड़ी में, समाज के सुख, दु:ख में एवं मानवता की सेवा के लिए संघ हमेशा प्रतिबद्धता से खड़ा दिखाई देता है। इसी प्रकार संघ या संघ से प्रेरणा पाकर स्वयंसेवकों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उन-उन क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुसार सकारात्मक परिवर्तन कर भारतीय चिन्तन की पुन: स्थापना एवं सेवा के कार्य किए हैं। इसमें महत्वपूर्ण एवं आधारभूत क्षेत्र है शिक्षा। वास्तव में तो संघ की शाखा ही जीवन की शिक्षा का महत्वपूर्ण केन्द्र है। परन्तु इसमें हम औपचारिक यानी विद्यालय / महाविद्यालय / विश्वविद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा की दृष्टि से विचार करें तो इस दिशा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विद्या भारती, भारतीय शिक्षण मंडल, संस्कृत भारती, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एवं शिक्षा बचाओ आन्दोलन तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा देश की शिक्षा को सही दिशा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
स्वतंत्रता के बाद सोची-समझी साजिश के तहत एक भ्रम फैलाया गया कि अंग्रेजों के आने के बाद ही वास्तविक देश बना है। इस कारण से शिक्षा सहित सारी व्यवस्थाएं भी उनकी ही देन हैं, अन्यथा भारत तो गड़रियों की अंधश्रद्धा पर विश्वास रखने वाला देश था परन्तु वास्तविकता क्या है? शिक्षा क्षेत्र का ही विचार करते हैं तो पाते हैं कि हमारे यहां बहुत पहले से ही शिक्षा को महत्व मिला हुआ था। गांधीवादी विचारक श्री धर्मपाल ने अपनी पुस्तक 'वट वृक्ष का बीज' (दी ब्यूटीफुल ट्री) में अंग्रेज अधिकारियों एवं विद्वानों के द्वारा लिखित दस्तावेजों को आधार बनाकर बताया है कि पूर्व पादरी विलियम्स एडम द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार तत्कालीन बंगाल राज्य में 1,00000 से अधिक विद्यालय थे। मद्रास प्रेसिडेन्सी में हर गांव में विद्यालय थे।
कह सकते हैं कि लगभग 1,000 वर्ष की गुलामी के बाद  हमारे देश की शिक्षा की स्थिति यह थी तो इसके पूर्व तो इससे बहुत अधिक अच्छी स्थिति रही होगी। चीनी यात्री ह्वेनसांग जैसे अनेक विदेशी विद्वानों के कथन से यह बात और स्पष्ट होती है। उस समय विश्व में किसी को भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करनी होती थी तो वह भारत आता था। जब दुनिया में विश्वविद्यालय की संकल्पना भी नहीं थी तब भारत में तक्षशिला, विक्रमशिला, नालन्दा आदि विश्वविद्यालय थे। परन्तु अंग्रेजों द्वारा भारत की शिक्षा की श्रेष्ठ परंपरा को जड़-मूल से नेस्तनाबूत करने के प्रयास के परिणामस्वरूप आज भी देश की शिक्षा की वास्तविक दिशा तय नहीं हो पाई है।
इस परिस्थिति में शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाले संघ प्रेरित संगठनों ने सबसे पहला कार्य देश के लोगों, विशेष करके तथाकथित पढ़े-लिखे विद्वानों, के मानस को बदलने हेतु व्यापक जन-जागरण अभियान चलाया। इस अभियान के द्वारा देश में अंग्रेजों की शिक्षा व्यवस्था को बदलने का मानस तैयार करने का सफल प्रयास किया गया। इसके परिणामस्वरूप  आज देश में शिक्षा में आमूल-चूल परिवर्तन का वातावरण निर्माण हुआ है।
इसके साथ-साथ शिक्षा की भारतीय आधारभूत संकल्पनाओं की पुनस्स्थापना करने हेतु ठोस कदम उठाए गए। आज देश में शिक्षा को व्यवसाय का स्वरूप मान लिया गया है। ऐसी परिस्थिति में विद्या भारती सामान्य शुल्क लेकर शिक्षा देने में एक बड़ी भूमिका निभा रही है। विद्या भारती द्वारा पूरे देश में 13,000 से अधिक विद्यालय चलाए जा रहे हैं। ये विद्यालय शहर, नगर, कस्बा, गांव, देहात लगभग हर क्षेत्र में हैं। इन विद्यालयों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों के जरिए विद्या भारती ने देश को बताया है कि शिक्षा व्यापार, व्यवसाय न होकर सेवा का माध्यम है।  
इसी कड़ी में शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण की विद्या भारती ने अपने विद्यालयों में भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाकर व्यावहारिक रूप देने में काफी मात्रा में सफलता प्राप्त की है। शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, इस हेतु भारतीय शिक्षण मंडल सहित सभी संगठनों ने विभिन्न माध्यमों के द्वारा व्यापक जनजागरण करके देश में इस तथ्य को स्थापित करने का प्रयास किया है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा इस हेतु भारतीय भाषा मंच एवं भारतीय भाषा अभियान प्रारंभ करके भारतीय भाषा पर कार्य करने वाले विभिन्न संगठनों एवं विद्वानों तथा भाषा प्रेमियों को एक मंच पर लाकर परिणामकारक कार्य प्रारंभ किया है।
सभी भाषाओं की जननी संस्कृत को मृतप्राय घोषित करने के प्रयास के विरुद्ध संस्कृत भारती ने देश में व्यापक जन-जागरण किया है। इसके लिए संस्कृत भारती साहित्य प्रकाशित करती है और देश-विदेश में संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन करती है। इन आयोजनों के द्वारा संस्कृत भारती ने यह सिद्ध किया है कि संस्कृत मृतभाषा नहीं है, वरन् विश्व की सर्वश्रेष्ठ एवं प्राचीन भाषा है।  
इसी प्रकार उच्च शिक्षा के संस्थानों में भारतीयता के आधार पर परिसर संस्कृति का विकास हो एवं आज का छात्र कल का जिम्मेदार नागरिक बने, इस हेतु अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद निरंतर काम    कर रही है। परिषद छात्र शक्ति के द्वारा राष्ट्र शक्ति को सुदृढ़ करने      में लगी है।
परिषद् से जुड़े हुए छात्र उच्च शिक्षा में भारतीयता को स्थापित करने हेतु संगोष्ठियों और परिचर्चाओं का सहारा ले रहे हैं, साथ ही समय-समय पर केन्द्र एवं राज्य सरकारों के समक्ष देश की शिक्षा नीति के संदर्भ में ठोस सुझाव भी प्रस्तुत कर रहे हैं। इसके कई ठोस परिणाम भी सामने आए  हैं।

शिक्षकों का 'यूनियन' न हो परन्तु संगठन हो, इस प्रकार का प्रयास अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के द्वारा किया जा रहा है। उनका ध्येय वाक्य है, ''राष्ट्र हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक, शिक्षक के हित में समाज।''  इस माध्यम से देश के शिक्षक मात्र कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि वे आचार्य और गुरु की भूमिका में हैं। इसके लिए शिक्षक कर्तव्यबोध एवं गुरु वन्दना जैसे प्रेरणा देने वाले कार्यक्रमों के जरिए शिक्षकों को जागरूक किया जा रहा है।
शिक्षा में भारतीयता को लाने हेतु भारतीय शिक्षा मंडल अपने स्थापनाकाल से ही संगोष्ठियों, परिसंवादों के माध्यम से देश में वातावरण बनाने का काम कर रहा है। इस हेतु 1986 की नई शिक्षा नीति से लेकर वर्तमान में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्णय में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। साथ ही शिक्षा क्षेत्र में होने वाले अनुसंधान, देश की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्तापूर्ण हो, इस दिशा में भी ठोस प्रयास प्रारंभ किए हैं।
शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में विकृतियां, विसंगतियां अंग्रेजों की देन हैं। दुर्भाग्य से इसी परंपरा को अपने ही देश के मार्क्स, मैकॉले के मानसपुत्रों ने आगे बढ़ाने का काम किया।  पाठ्यक्रमों के जरिए देश की संस्कृति, धर्म, महापुरुषों और परंपराओं को अपमानित किया जा रहा था। इसके विरुद्ध  शिक्षा बचाओ आन्दोलन ने आन्दोलन चलाया। परिणामस्वरूप पुस्तकों से ऐसे अंशों को हटाया गया। इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन करके देश की शिक्षा में नया विकल्प देने की दिशा में ठोस कार्य प्रारंभ किया गया। न्यास के द्वारा बहुत ही अल्प समय में शिक्षा के आधारभूत आयामों पर पाठ्यक्रम तैयार करने से लेकर वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में परिणामकारक प्रयोग प्रारंभ किए गए हैं। इससे भारतीयता के आधार पर शिक्षा के एक वैकल्पिक स्वरूप का चित्र स्पष्ट हुआ है और यह विश्वास निर्माण हुआ है कि शिक्षा क्षेत्र में भारतीयता के आधार पर परिवर्तन हो सकता है।  
शिक्षा क्षेत्र में संस्था के रूप में कार्य 1948 से प्रारंभ हुआ, लेकिन संघ के स्थापनाकाल के तुरन्त बाद डॉ़ हेडगेवार जी की प्रेरणा से नागपुर में ही शैक्षिक संस्थाओं की शुरुआत हो गई थी। इसी प्रक्रिया को बढ़ाते हुए आज देशभर में अनेक स्वयंसेवकों द्वारा हजारों शैक्षिक संस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। इसी प्रकार एकल अभियान के तहत वनवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में हजारों एकल विद्यालय चलाए जा रहे हैं। वनवासी कल्याण आश्रम एवं राष्ट्र सेविका समिति के द्वारा भी अनेक विद्यालय चलाए जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इन संगठनों के ये प्रयास देश की शिक्षा के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। एक प्रकार से संघ विचार से प्रेरित शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत संगठनों ने शिक्षा की आधारभूत संकल्पनाएं- चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास, मूल्य आधारित शिक्षा, शिक्षा में नैतिकता एवं आध्यात्मिकता, शिक्षा की स्वायत्तता, मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश, पाठ्यक्रम में व्यावहारिकता, रोजगार सृजन करने वाली शिक्षा, शिक्षा व्यवसाय न होकर सेवा का माध्यम, आदर्श शिक्षकों का निर्माण आदि के सैद्धांतिक धरातल के विकास के साथ व्यावहारिक प्रयोग करके आदर्श प्रतिमान खड़े करने की दिशा में भी ठोस कार्य किया है। एक प्रकार से भारतीय शिक्षा के आधारभूत सिद्धांतों के साथ-साथ आधुनिकता के अनुरूप एक नई शिक्षा व्यवस्था देश में स्थापित हो, इस दिशा में कार्य किया है।
इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए भविष्य में देश में शिक्षा प्राथमिकता का विषय बने, उपरोक्त चिन्तन एवं दिशा में कार्य करने वाली देश की शैक्षिक संस्थाओं को एक मंच पर लाना, शिक्षा, राजनीति एवं विचारधारा से ऊपर उठकर देश में सहमति बनाने का प्रयास करना, शिक्षा हेतु समाज और सरकार साथ मिलकर कार्य करें। सरकारी शैक्षिक संस्थाओं की गुणवत्ता सुधार हेतु विशेष प्रयास किए जाएं। इस प्रकार देश की शिक्षा का स्वरूप ऐसा बने कि शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र देश एवं समाज के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। इसके द्वारा भारत पुन: उत्तम चरित्र से युक्त संपन्न, समृद्ध एवं सशक्त देश बन सके, इस दिशा में कार्य करने की योजना प्रारंभ हो गई है। जब तक देश की शिक्षा नहीं बदलेगी तब तक देश में वास्तविक बदलाव असंभव है।    इसी बदलाव के लिए संघ परिवार के अनेक संगठन दिन-रात कार्य कर रहे हैं।      (लेखक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव हैं)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थुरुर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Congress MP Shashi Tharoor

वादा करना उससे मुकर जाना उनकी फितरत में है, पाकिस्तान के सीजफायर तोड़ने पर बोले शशि थुरुर

तुर्की के सोंगर ड्रोन, चीन की PL-15 मिसाइल : पाकिस्तान ने भारत पर किए इन विदेशी हथियारों से हमले, देखें पूरी रिपोर्ट

मुस्लिम समुदाय की आतंक के खिलाफ आवाज, पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त आ गया

प्रतीकात्मक चित्र

मलेरकोटला से पकड़े गए 2 जासूस, पाकिस्तान के लिए कर रहे थे काम

प्रतीकात्मक तस्वीर

बुलंदशहर : पाकिस्तान के समर्थन में पोस्ट करने वाला शहजाद गिरफ्तार

Brahmos Missile

‘आतंकवाद कुत्ते की दुम’… ब्रह्मोस की ताकत क्या है पाकिस्तान से पूछ लीजिए- CM योगी

रिहायशी इलाकों में पाकिस्तान की ओर से की जा रही गालीबारी में क्षतिग्रस्त घर

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

Operation sindoor

ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, वायुसेना ने दिया बड़ा अपडेट

Operation Sindoor Rajnath SIngh Pakistan

Operation Sindoor: भारत की सेना की धमक रावलपिंडी तक सुनी गई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Uttarakhand RSS

उत्तराखंड: संघ शताब्दी वर्ष की तैयारियां शुरू, 6000+ स्वयंसेवकों का एकत्रीकरण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies