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आवरण कथा – ईंट का जवाब पत्थर से

by
Oct 10, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Oct 2016 14:32:16

सीधा दिखना और टेढ़ी बात करना उनकी अदा है। मगर अरविन्द केजरीवाल को यह पता नहीं था कि राष्ट्रीय भावनाओं से खिलवाड़ भले किसी रूप में किया जाए, उलटा पड़ता है। उनकी सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो दिखाकर उसका सबूत देने की मांग देश के जनमानस से ठीक उलट गई और लोगों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। सोशल मीडिया पर खूब फजीहत होने के बाद उन्होंने अपने बयान में तोड़ी नरमाई लाने की कोशिश की पर नाकाम रहे। पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में 28-29 सितंबर के बीच की अंधियारी रात में नियंत्रण रेखा पार करके भारत के वीर जवानों द्वारा 38 आतंकियों को उनके लॉन्चपैड सहित नेस्तानाबूद करने की बात पर हर भारतवासी ने गर्व महसूस किया, हर नागरिक ने सेना को शाबाशी दी, देश के नेतृत्व की निष्ठा की असंदिग्धता को स्वीकारा। खासकर 29 सितंबर को नई दिल्ली में सैन्य अभियानों के महानिदेशक ने प्रेस वार्ता में जब इस बात की पुष्टि करते हुए और जानकारियां साझा कीं और बताया कि उस पार 'अच्छा-खासा' नुकसान हुआ है, तो उसके बाद तो किसी को भी सेना के इस अदम्य अभियान पर संदेह नहीं रहा था। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री और आआपा नेता अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के पी. चिदम्बरम, रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह और संजय निरूपम सहित कुछेक दूसरे विपक्षी नेताओं ने सिर्फ और सिर्फ अपनी उखड़ती सांसों पर टिकी सेकुलर राजनीति की खातिर सैन्य अभियान पर उसी जबान में सवाल खड़े करने शुरू कर दिए जो पाकिस्तानी हुक्मरान बोल रहे हैं। सेना के कुछ पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने तो यहां तक कहा कि निरूपम का बयान निहायत बचकाना और देश के माहौल से बिल्कुल उलट था। निरूपम ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार सैन्य कार्रवाई 'नकली' है, सरकार सबूत दे तो मानें। खास तौर पर अपनी विशेष कसैली शैली में अरविंद केजरीवाल ने अपने वीडियो संदेश में सैन्य अभियान पर पाकिस्तानी मीडिया की आड़ लेते हुए जिस तरह सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो सबूत की मांग की, वह उनकी रही-सही छवि को भी उघाड़ गई। हालांकि केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और मनोहर पर्रिकर ने सबूत मांंगने वालों को बड़ा माकूल जवाब दिया। सुश्री भारती ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक्स का सबूत मांगने वाले पाकिस्तान की नागरिकता ले लें। पर्रिकर ने कहा कि ऐसे लोग देश के प्रति निष्ठावान नहीं हैं। रक्षा मंत्री ने साफ किया कि सर्जिकल स्ट्राइक्स का वीडियो जारी करने की कोई जरूरत नहीं है। अवसरवादी राजनीति करने वाले इन सेकुलरों को एक तरफ रख दें तो आज आतंकवाद के प्रति भारत सरकार की घोषित नीति यही है कि इस नासूर का इलाज करना ही है। मोदी की प्रो एक्टिव कूटनीति के बूते आज भारत को इस मुद्दे पर विश्व के अधिकांश देशों का समर्थन प्राप्त है।   
जहां तक सर्जिकल स्ट्राइक्स के सबूत जारी करने की बात है तो देश के वरिष्ठ सैन्य विशेषज्ञों और सेना के पूर्व अफसरों का कहना है कि 'सुरक्षा और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इस तरह के अभियानों के वीडियो सार्वजनिक करना ठीक नहीं है'। बहरहाल, इसका सबूत खुद पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों ने ही दिए हैं। अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस ने 6 अक्तूबर को प्रकाशित रपट में नियंत्रण रेखा पार के लोगों के हवाले से बताया है कि भारत के सैन्य अभियान के बाद उन्होंने आतंकियों की लाशों को दफनाने के लिए ले जाए जाते देखा है, कि उन्होंने रात में धमाके सुने, गोलियां चलने की आवाजें सुनीं, कि उन्होंने गोलों की मार से इमारतों को ढहते देखा है। अखबार के अनुसार, वहा के 5 लोगों ने भारतीय सेना के अभियान की तस्दीक की और यह बताया कि उन्होंने 5-6 लाशों को ट्रक में लादकर किसी गुप्त जगह पर दफनाने के लिए ले जाते देखा। हालंकि वहां के लोगों ने रात को घर से बाहर निकलकर भारतीय सेना को कार्रवाई करते नहीं देखा लेकिन अगले दिन लश्कर से जुड़े तत्वों ने बताया कि उन पर हमला हुआ था। एक प्रत्यक्षदर्शी ने चलहाना में लश्कर से जुड़ी एक मस्जिद में मौलवी को एक दिन पहले मारे गए लोगों की मौत का बदला लेने की कसमें खाते सुना था। वहां मौजूद लोग पाकिस्तानी सेना को कोस रहे थे कि उन्होंने सरहद की ठीक से हिफाजत नहीं की। वे कह रहे थे, ''जल्दी ही हम भारत से इसका ऐसा बदला लेंगे कि वो भूलेगा नहीं।'' प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो अभियान में 35 से 50 के बीच लोग मारे गए हैं।
उधर पाकिस्तान द्वारा भारत की सर्जिकल स्ट्राइक्स को सिरे से नकारने और धमकी भरे बयानों के बीच एक दिलचस्प खुलासा हुआ है। वहां के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ही माना है कि नियंत्रण रेखा के उस पार भारत की सर्जिकल स्ट्राइक्स में कुछ लोग मारे गए हैं। सीएनएन-न्यूज-18 के हवाले से आई एक जानकारी के अनुसार, उक्त पुलिस अधिकारी ने सर्जिकल स्ट्राइक्स वाली रात की घटनाओं का खुलासा करते हुए भारतीय सेना के दावे की पुष्टि की है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मीरपुर इलाके में विशेष शाखा के एसपी गुलाम अकबर ने बताया कि उस रात लीपा में 3-4 घंटे, 2 बजे से 4 या 5 बजे तक हमला जारी रहा था। उसने बताया कि पाकिस्तानी फौज भौचक रह गई, और उसके कम से कम 5 जवान मारे गए। मारे गए जवानों के नाम भी पता चले पर चैनलों पर जारी नहीं किए गए। उसी ने यह भी बताया कि कई आतंकियों की भी मौत हुई जिनके शवों को जल्दी ही फौज वाले उठा ले गए थे। अकबर के मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक्स भिम्बर में समाना, पुंछ में हजीरा, नीलम में दुधनियाल और हथियान बाला में कयानी नामक स्थानों पर हुई थीं।    
बहरहाल, भारतीय सेना के आधिकारिक वक्तव्य और खुद अंगे्रजी दैनिक की रपट द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की पुष्टि होने के बावजूद कुछ नेता अपनी घटिया बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे। कांग्रेस के नेता पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के उस दावे, कि 'संप्रग के राज में भी सर्जिकल स्ट्राइक्स हुई थीं', की खुद सेना के एक पूर्व अधिकारी ने हवा निकाल दी। 2012-2014 में डीजीएमओ रहे ले. जनरल विनोद भाटिया ने साफ कहा कि उरी के बाद हुई जवाबी कार्रवाई से उस वक्त के अभियानों की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि उस वक्त हुए ऑपरेशन एक अलग वक्त में, एक अलग तरीके से, एक अलग योजना से किए गए थे इसलिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती। उरी की जवाबी कार्रवाई को एक अलग नजरिये से देखा जा रहा है, इसीलिए इस पर सेकुलरों द्वारा इतना शोर मचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें सेना पर सवाल नहीं खड़ा करना चाहिए, यह ठीक नहीं है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गर्वोक्ति करते हुए बताया था कि 1 सितंबर, 2011, 28 जुलाई, 2013 और 14 जुलाई, 2014 को भी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक्स की गई थीं। इसी के जवाब में ले. जनरल भाटिया ने उक्त बातें कही हैं।
लेकिन उरी हमले के फौरन बाद जिस तरह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी संबंधित लोगों के साथ अपने घर पर आपात बैठक की और आगे की स्थितियों पर विचार करने के बाद कहा कि उरी के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, उसी से उनके संकल्प का आभास हो गया था। और उरी हमले में शहीद हुए वीर रणबांकुरों की चिता की आग ठंडी होने से पहले हमारे 150 फुर्तीले कमांडो ने नियंत्रण रेखा पार करके लॉन्चपैड पर भारत में घुसने के लिए तैयार आतंकियों को ढेर कर दिया।  प्रधानमंत्री मोदी अपनी सभाओं और साक्षात्कारों में 'जीरो टॉलरेंस' की बात कह चुके थे। माने अब कोई नरमी या कोरी बयानबाजी वाली नीति नहीं चलेगी। हमें चोट पहंुचाने वाले को उसके किए की सजा मिलेगी। 13 दिसम्बर, 2015 को संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्पष्ट कहा था कि आतंकवाद के प्रति भारत की नीति 'जीरो टॉलरेंस' की है। भारत बदल रहा है और दुनिया में नयी छवि के साथ उभर रहा है। सवाल है कि पाकिस्तान वक्त को पहचान खुद को बदलेगा या गलत राह पर चला रहेगा? उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक्स ने भारत सरकार के आतंकवाद को अब न सहने के प्रण को व्यावहारिकता में उतार कर दिखा दिया है।    

 

यह बताया पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी ने
मीरपुर इलाके में विशेष शाखा के एसपी गुलाम अकबर ने बताया कि उस रात लीपा में 3-4 घंटे, 2 बजे से 4 या 5 बजे तक हमला जारी रहा था। उसने बताया कि पाकिस्तानी फौज भौचक रह गई, और उसके कम से कम 5 जवान मारे गए। मारे गए जवानों के नाम भी पता चले पर चैनलों पर जारी नहीं किए गए। उसी ने यह भी बताया कि कई आतंकियों की भी मौत हुई जिनके शवों को जल्दी ही फौज वाले उठा ले गए थे।

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