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भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 102 साल के इतिहास में पहली बार प्राचीन भारतीय विज्ञान पर चर्चा हुई है। हमें ऐसा करने में सौ वर्ष क्यों लग गये? हमें यह समझने में सौ साल क्यों लग गए कि ये (प्राचीन भारतीय विज्ञान) विज्ञान का एक बहुत महत्वपूर्ण पक्ष है। इसे हर विज्ञान मंच का अभिन्न अंग होना चाहिए।— डा. विजय भाटकर
सुपर कंप्यूटर परम के रचनाकार
भारत का प्राचीन विज्ञान ही तमाम वैज्ञानिक खोजों का आधार है। चिकित्सा, गणित,अस्त्र-शस्त्र, खगोल, सामुद्रिक समेत तमाम क्षेत्रों में भारत ने जो ज्ञान दिया है वह अमूल्य है। भारत से प्रेरणा लेकर ही तमाम शोध और खोजें हुईं। दुनिया के बड़े वैज्ञानिक और शोधकर्ता भी इस बात को मानते हैं। पहले जहां धर्मग्रंथों में वर्णित उपदेश या शिक्षा की बात करने पर बेवजह बवाल खड़ा हो जाता था अब वही चीज धीरे-धीरे खत्म हो रही है। जनवरी 2015 में मुंबई में संपन्न हुई 102 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्राचीन भारतीय विज्ञान पर चुप्पी टूटी और चर्चा शुरू हुई। इस दौरान मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध भारत के पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने संबोधन में कहा था कि मिसाइल बनाने की प्रेरणा उन्हें भारत के प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन से मिली। उस समय पर उन्हें अस्त्र कहा जाता था। सुपर कंप्यूटर परम के रचनाकार डा. विजय भाटकर ने कहा था कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 102 साल के इतिहास में पहली बार प्राचीन भारतीय विज्ञान पर चर्चा हुई है। हमें ऐसा करने में सौ वर्ष क्यों लग गए? हमें यह समझने में सौ साल क्यों लग गए कि ये (प्राचीन भारतीय विज्ञान) विज्ञान का एक बहुत महत्वपूर्ण पक्ष है। इसे हर विज्ञान मंच का अभिन्न अंग होना चाहिए।
श्लोक से ऊर्जा का संचार : आज प्रतिस्पर्धा के युग में निजी कंपनियों के कर्मचारी न केवल तनाव के दौर से गुजर रहे हैं,बल्कि कौशल के बावजूद दक्षता के अनुरुप प्रदर्शन नहीं कर पा रहे। ऐसे में बहुराष्ट्रीय कंपनियां श्रीमद्भगवद् गीता के श्लोकों का इस्तेमाल कर्मचारियों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए कर रही हैं। 'गीता' कंपनियों में प्रबंधन का मंत्र साबित हो रही है। कर्मचारियों को 'गीता' के संदेश से पगे व्याख्यान देने के लिए अनेक विभूतियों को आमंत्रित किया जा रहा है। पिछले दिनों नई दिल्ली में गीता जयंती के अवसर पर 'गीता ज्ञान' पर ग्लोबल एकेडमी फॉर कोरपोरेट ट्रेनिंग के तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कई कंपनियों ने भाग लिया एवं अनुभव भी साझा किये। रिलेक्सो के प्रबंध निदेशक आर. के. दुआ का कहना था कि 'गीता' उनके यहां कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुई है। एसोटेक रियल्टी के प्रबंध निदेशक नीरज गुलाटी कहते हैं कि कंपनी में अब तक तीन सत्र हो चुके हैं,जिसके बाद कर्मचारियों की कार्य दक्षता में 60 से 70 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
व्योम नेटवर्क के मुख्य प्रबंधक उमंग दास का कहना है कि गीता के इसी महत्व को देखते हुए एसोचैम ने भी कर्म में अध्यात्म को आत्मसात किया है। रोटरी इंटरनेशनल के सुधीर मंगला की मानें तो गीता ने ही उनकी कंपनी के कर्मचारियों में ऊर्जा का संचार किया है। मारुति सुजुकी इंडिया के आइटीआइ प्रोजेक्ट के निदेशक एल.के.गुप्ता कहते हैं कि वर्तमान में कंपनी के लगभग सभी कर्मचारियों को गीता की कक्षाएं करवाई गई हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव भी दिखा और कर्मचारियों में न केवल नई ऊर्जा का संचार हुआ बल्कि सफलता दर भी 80 फीसद रही।
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