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बदलने लगी सोच बढ़ने लगीं बेटियां

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Jan 25, 2016, 12:00 am IST
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दिंनाक: 25 Jan 2016 16:21:51

 कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम में राज्य बना मिसाल

हरियाणा के बारे में हाल तक कहा जाता था कि कोख में बेटी होने की जानकारी मिलते ही लोग गर्भपात करवा देते हैं या नवजात बच्चियों को जन्म के तुरंत बाद मार डाला जाता है। यह तस्वीर और राय अब धीरे-धीरे बदलने लगी है। हरियाणा में शिशु लिंग अनुपात को लेकर 2015 की रपट के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। दिसम्बर माह में प्रति 1,000 बाल शिशुओं के मुकाबले कन्या शिशुदर का आंकड़ा 903 तक जा पहंुचा है। 
देश के दूसरे राज्यों की तुलना में भी हरियाणा की स्थिति हाल तक चिंताजनक थी। राज्य में 2000 में लिंग अनुपात 807 और 2009 में 849 दर्ज किया गया था। अकेले दिसम्बर माह में 12 जिलों में कन्या शिशुदर 900 से अधिक रही। हरियाणा के मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. योगेन्द्र मलिक 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री और उसे अमल में लाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री को देते हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा के इतिहास में पहली बार एक माह में लड़कियों की जन्म दर में इतनी वृद्धि हुई है। आगामी दिनों में इस लिंग अनुपात में और भी तेजी से सुधार होने की संभावना है। हरियाणा के पानीपत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का शुभारंभ किया था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि बेटी के जन्म को लेकर रूढि़वादी कहे जाने वाले राज्य में इतनी तेजी से सकारात्मक परिणाम दिखेंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना को एक चुनौती की तरह लिया और युद्धस्तर पर तैयारियां की गईं। सचिवालय मंे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति की गई और पूरे राज्य के हर जिले में गांव-गांव तक बेटी बचाने का आह्वान शुरू कर दिया गया। हरियाणा के 12 जिले देश के सबसे कम लिंग अनुपात वाले 100 जिलों में शामिल थे। इसमें सुधार के लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारी, पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अन्य विभागों का समन्वय बैठाया गया।
सबसे पहले शुरुआत हुई झज्जर जिले से। काफी समय से देखने में आ रहा था कि यहां घर या गांव मंे प्रसव कराने वाली दाई न केवल गैर कानूनी तरीके से प्रसव कराने में जुटी हैं, बल्कि लिंग परीक्षण के खेल में भी इनकी परोक्ष भूमिका है। एक महिला को गिरफ्तार करने के बाद पांच-छह मामले दर्ज कर कानूनी शिकंजा कसने से गर्भपात और लिंग परीक्षण के मामलों में गिरावट आने लगी। वहीं जींद के बीबीपुर गांव से 'सेल्फी विद डॉटर' की शुरुआत हुई जिसे प्रधानमंत्री के 'मन की बात' संबोधन में स्थान और समर्थन मिला। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों में बेटी के जन्म को लेकर पुरानी सोच बदलती दिखने लगी।
सूत्रों के मुताबिक एक साल पहले तक हरियाणा में सालाना करीब 200 करोड़ रुपए का लिंग जांच का अवैध कारोबार चल रहा था। सरकार ने दोतरफा पहल की। एक, अपना सूचना तंत्र मजबूत किया और दूसरा, गांव-गांव तक नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया। लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए अवैध गर्भपात और लिंग जांच की पुख्ता सूचना देने वालों को लाख-लाख रुपए  बतौर इनाम देने की योजना बनाई गई। इस योजना के तहत 17 लोगों को एक-एक लाख रुपए बतौर इनाम दिया भी गया। मई माह के अंत से योजनाबद्ध तरीके से शुरू की गई और कुछ ही माह बाद उसके बेहतर परिणाम आने शुरूहो गए। लिंग परीक्षण और गर्भपात कराने वालों के विरुद्ध 135 मामले दर्ज किए गए।
इस वर्ष लड़कियों के लिंग अनुपात की वृद्धि में सिरसा जिला अव्वल रहा। यहां लड़कियों की जन्मदर अक्तूबर में 948, नवम्बर में 978 और उसके बाद दिसम्बर में 999 तक पहुंच गई। महेन्द्रगढ़ जिले में 2010 से लेकर 2014 तक कभी भी लड़कियों की जन्मदर 800 तक नहीं पहंुची थी। लेकिन इस बार लिंग अनुपात सकारात्मक रूप से 818 पहंुच गया और यहां दिसम्बर माह में लड़कियों की जन्मदर 912 दर्ज की गई। मेवात, पलवल, पंचकुला और सिरसा में लड़कियों का वार्षिक लिंग अनुपात 900 से अधिक रहा है, जबकि अकेले दिसम्बर माह में 21 में से 12 जिले में लड़कियों की जन्मदर 900 से अधिक दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विभाग ने पाया कि महिलाआंे के गर्भ धारण करने के 3-4 माह बाद लिंग परीक्षण करने वालों के यहां गर्भवती महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है। डॉ. मलिक के अनुसार इसे ध्यान में रखते हुए अल्ट्रासाउंड केन्द्रों पर निगरानी बढ़ा दी गई। विभिन्न जिलों में छापेमारी की घटनाओं के बाद गुपचुप तरीके से लिंग परीक्षण करने वाले पीछे हटने लगे।
हरियाणा में जब इस गोरखधंधे में लिप्त लोग विफल हुए तो उन्होंने अपनी जड़ें दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब की तरफ बढ़ानी शुरू कर दीं, लेकिन जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर ऐसे लोगों की सूचना तंत्र के माध्यम से जानकारी मिलने पर हरियाणा ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी छापेमारी की गई। इससे अवैध कारोबार करने वालों के हौसले टूट गए। हरियाणा में लिंग परीक्षण और गर्भपात के कुल 135 मामले दर्ज हुए जिनमें से 15 मामले दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में दर्ज करवाए गए। मात्र छह माह में लिंग परीक्षण करने में लिप्त डॉक्टर से लेकर बिचौलिए तक करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया जा   चुका है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 16 जनवरी को संवाददाताओं को बताया कि प्रशासन ने कार्रवाई के दौरान राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों को भी नहीं बख्शा। इसके लिए उन्होंने करनाल के पूर्व विधायक डॉ. अशोक कश्यप का उदाहरण दिया। साथ ही रेवाड़ी की मिसाल देते हुए कहा कि वहां प्रशासन की सख्ती बढ़ने पर राजनीतिक लोगों ने उन पर वहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तबादले की सिफारिशें कर दबाव बनाया, लेकिन वहां कार्रवाई को बाधित नहीं होने दिया गया।
गुड़गांव में जांच दल ने एक एम्बुलेंस ड्राइवर और उसके सहयोगी स्वास्थ्य कर्मचारियों का पर्दाफाश किया, जो दिल्ली और दूसरे स्थानों पर गर्भवती महिलाओं को ले जाकर उनका लिंग परीक्षण करवाते थे। सिरसा में अदालत में पिछले दिनों एक डॉक्टर दंपति को लिंग परीक्षण/गर्भपात करवाने के आरोप में जुर्माना लगाकर जेल भेज दिया। हिसार में डॉ. अनंतराम के विरुद्ध भी इसी आरोप में मामला दर्ज किया गया था, जो काफी समय से फरार था। उसे पंजाब से हिसार पुलिस ने गिरफ्तार किया। प्रशासनिक अधिकारियों ने सभी 21 जिलों में औचक निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया और करीब 15 छापे हरियाणा से बाहर मारे गए। इसके लिए निजी क्लीनिक पर लिंग परीक्षण के लिए नकली ग्राहक बनाकर भेजे गए।
इस तरह उल्लंघन करने पर अल्ट्रासाउंड मशीनों को जब्त भी कर लिया गया। ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की गई और पिछले छह माह से सत्र व उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत भी नहीं मिली। राज्य में 18 ऐसे मामले दर्ज किए गए, जिनमें लोग लिंग परीक्षण से संबंधित दवा और उपकरण बेचते थे। हरियाणा में कन्या भ्रूण हत्या और नवजात बच्चियों की हत्या रोकने में राज्य सरकार के सकारात्मक परिणाम को पड़ोसी राज्यांे में भी सराहा गया। देश में लड़कियों की जन्म दर बढ़ाने के लिए आज दूसरे राज्यों को जरूरत है हरियाणा सरकार की इच्छाशक्ति की तर्ज पर काम करने की।

राहुल शर्मा

बिटिया आई और बदल गई सोच
मेरे घर 24 जून, 2012 को बेटी का जन्म हुआ। उसकी खुशी मनाने के लिए जब मैं अस्पताल में नर्स और डॉक्टरों को शगुन देकर मिठाई खिलाने लगा तो उन्होंने यह बोलकर शगुन लेने से मना कर दिया कि 'यदि बेटा होता तो शगुन जरूर लेते, लेकिन बेटी हुई है तो नहीं लंेगे।' इस बात से मुझे बेहद दु:ख पहंुचा और तभी मैंने प्रण कर लिया कि बेटी के जन्म को लेकर लोगों की पुरानी सोच को बदलना होगा।  फिर 'दादी अगर चाहेगी तो पोती घर आएगी' और 'पहले बेटी को बचाओ, फिर भगवान को मनाओ' जैसे 100 से अधिक अभियान चलाए। मैंने 9 जून, 2015 को 'सेल्फी विद डॉटर' की शुरुआत की। इसके पीछे मेरा प्रयास अपने साथियों और युवाओं को इस मुहिम में जोड़ना था।    -सुनील जगलान
    जींद के बीबीपुर गांव निवासी और पूर्व सरपंच

बाहरी राज्यों में भी की छापेमारी
प्रशासन की सख्ती से 'अल्ट्रासाउंड सेंटर्स' पर निगरानी बरती जा रही है। फरीदाबाद जिले में कुल 14 मामले दर्ज किए गए हैं।  कुछ लोग आज भी बेटी के जन्म को संपत्ति में हिस्से और दहेज से जोड़कर भी देखते हैं। लिंग परीक्षण या गर्भपात के लिए लोग दिल्ली और उत्तर प्रदेश जा रहे हैं। हम अपने जिले के बाहर भी नजर रखे हुए हैं। हमारी टीम ने दिल्ली के पुल प्रहलादपुर और खानपुर में छापेमारी कर  ऐसे दो क्लीनिक

बेटी पैदा होने पर भी बजने लगी थाली
मेरे देखने में आया कि जिन घरों में कभी पहले गर्भ में बेटी पलने की जानकारी मिलने पर माताओं को उनके जीवन की चिंता सताने लगती थी, अब हंसकर उन घरों में बेटी को स्वीकार किया जा रहा है। घर की बुजुर्ग महिलाओं की चाह पहले पोते का मुंह देखने की होती थी और वे उसी को घर का वारिस भी मानती थीं, लेकिन आज घर के आंगन में बेटी पैदा होने पर न थाली बजाकर जश्न मनाया जा रहा है, बल्कि कुआं पूजन भी किया जा रहा है। यह भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत है।        -रितू , जींदका पर्दाफाश किया है।
-डॉ. शशि गांधी, पीएनडीटी, नोडल ऑफिसर, फरीदाबाद

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