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आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम समेत देश के तीन वरिष्ठ नेताओं व बीसीसीआई के अपने पूर्व साथियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इन लोगों ने अपने राजनीतिक पद का दुरुपयोग किया है। एक न्यूज पोर्टल को दिए साक्षात्कार में ललित ने बताया कि कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बीसीसीआई प्रमुख के जरिए उन पर दबाव डालकर अपने बेटे कार्ती के लिए करोड़ों की 'स्पांसरशिप' चाही थी। वर्ष 2009 में चेन्नई ओपन 'लान टेनिस टूर्नामेंट'में कार्ती आईएमजी की मेजबानी करने के केवल आठ करोड़ रुपये दे रहा था। आईएमजी ने 'टूर्नामेंट' को यहां बंद करके मलेशिया ले जाने का मन बनाया। तब कार्ती ने अपने पिता चिदंबरम से हस्तक्षेप की अपील की। उसके बाद चिदंबरम ने बीसीसीआई प्रमुख एन.श्रीनिवासन को इस मामले को निपटाने का जिम्मा सौंपा। तब श्रीनिवासन उनके पास आए और अंतरराष्ट्रीय करार को बचाने में मदद करने को कहा। मोदी ने आगे कहा कि इसके बाद उन्होंने आईएमजी के प्रमुख एंड्रयू व्हाइटहेड से बात की। एंड्रयू अगर भारत में टूर्नार्मेंट कराते तो उन्हें दस करोड़ रुपए का नुकसान होता। तब मैंने उनसे कहा कि वह आईपीएल को दक्षिण अफ्रीका में कराकर पहले ही बहुत दबाव में हैं।
'वह केंद्रीय मंत्री की खातिर चेन्नई में ही टूर्नामेंट कराएं। मैंने उन्हें कारोबार दिलाने और इस नुकसान की भरपाई अन्य माध्यमों से कराने का वादा किया था।' ललित मोदी ने चिदंबरम को चुनौती देते हुए कहा कि क्या वह इस बात से इन्कार कर सकते हैं। ललित मोदी ने कहा कि चिदंबरम ने उनके खिलाफ मन में गांठ बांध ली थी। वह श्रीनिवासन के खेमे के हैं। चिदंबरम उनसे इस बात से नाराज थे कि उन्होंने उनकी मर्जी के खिलाफ आईपीएल दक्षिण अफ्रीका में कराया। उन्होंने मुझे दक्षिण अफ्रीका में नाकाम करने की हर मुमकिन कोशिश की।
ईरान जैसा समझौता नहीं करेगा उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम कीतर्ज पर अमरीका समेत अन्य विश्व ताकतों के साथ किसी भी तरह के समझौते से साफ इंकार किया है। इसी के साथ उसने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को त्याग देने की अटकलों को भी सिरे से खारिज कर दिया है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सफल समझौते के बाद उत्तर कोरिया के साथ भी इसी तरह के करार होने के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन उत्तर कोरिया का कहना है, उसका परमाणु कार्यक्रम अमरीकी विदेश नीतियों से बचाव करने के लिए है।
उसके विदेश मंत्रालय का कहना है कि हमारी परिस्थितियों का ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से तुलना करना तार्किक नहीं है। हमें अमरीका के उकसावे वाली कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। अमरीका इस इलाके में संयुक्त सैन्य अभ्यास करता रहता है। परमाणु हमले का भी खतरा है। इन बातों को देखते हुए परमाणु क्षमता खत्म करने की बात करने में हमारी कोई भी दिलचस्पी नहीं है। प्रतिनिधि
बढ़ रही है बॉबी जिंदल की लोकप्रियता
रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल भारतीय मूल के बॉबी जिंदल की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। ताजा सर्वेक्षण में स्विंग स्टेट (जहां किसी एक प्रत्याशी को पर्याप्त समर्थन हासिल न हो) आयोवा में उनकी लोकप्रियता में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर उनकी धमक बहुत फीकी है। मॉनमाउथ यूनिवर्सिटी पोलिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक पैट्रिक मरे ने बताया कि बॉबी जिंदल को राष्ट्रीय स्तर की अपेक्षा आयोवा में ज्यादा समर्थन मिल रहा है। यहां वह शीर्ष 10 प्रत्याशियों में शामिल हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर बेहद खराब प्रदर्शन के चलते ऐसा लगता है कि वह पहली बहस में प्रवेश नहीं पा सकेंगे। रिपब्लिकन प्रत्याशी स्कॉट वाकर 22 फीसद समर्थन के साथ पहले स्थान पर हैं, जबकि 13 फीसद समर्थन के साथ डोनाल्ड ट्रंप दूसरे स्थान पर हैं। इसके बाद बेन कार्सन (आठ फीसद), जेब बुश (सात फीसद), टेड क्रूज (सात फीसद), माइक हकबी (छह फीसद), मार्को रुबियो (पांच फीसद), रैंड पॉल (पांच फीसद) और बॉबी जिंदल (चार फीसद) का नंबर आता है। सर्वेक्षण के आंकड़े सामने आने के बाद बॉबी जिंदल ने बताया कि उनका प्रचार अभियान धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। जिंदल का कहना है कि उन्हें सर्वेक्षण पर ज्यादा भरोसा नहीं है, लेकिन ताजा आंकड़ों से पता चलता है उनका समर्थन बढ़ रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
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