सऊदी राजा मालामाल, गरीब मुसलमान कंगालहज यात्रा के नाम पर करोड़ों की लूट
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सऊदी राजा मालामाल, गरीब मुसलमान कंगालहज यात्रा के नाम पर करोड़ों की लूट

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Jul 11, 2015, 12:00 am IST
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दिंनाक: 11 Jul 2015 12:05:50

सऊदी राजा दुनिया में सबसे अधिक कमाई करने वाला राजा माना जाता है। अपनी इस अंधी कमाई के कारण उसका रुतबा मुसलमानों में सर्वाधिक प्रभावी है। चाहे वह खलीफा न हो लेकिन उसकी हैसियत खलीफा से भी अधिक है। गरीब और अशिक्षित मुसलमान हर समय ईश्वर से एक ही मांग करता है-ए परवरदिगार तेरे इस बंदे को जीवन में एक बार मदीना बुला ले। बेचारे आस्था में डूबे मुसलमान अपने जीवन की एक-एक पाई को जोड़कर येन-केन प्रकारेण हज के लिए मक्का मदीना जाते हैं। मक्का में हज यात्रा सम्पन्न होती है और मदीना में पैगम्बर हजरत मोहम्मद की ताबूत (समाधि) है। भारत सरकार सेकुलर होने के बावजूद इस यात्रा में सरकारी छूट यानी अनुदान देकर हज यात्रियों को सहायता प्रदान करती है। उसकी मक्का मदीने में रहने की व्यवस्था हज कमेटी करती है और मक्का तक की यात्रा पर भारी अनुदान देकर गरीब से गरीब मुसलमान के लिए भी इस मजहबी यात्रा में सहभागी बनती है।
हज कमेटी विशाल भवन में भारतीय यात्रियों के रहने के मकान जुटाती है। भारत सरकार मुसलमानों के हर कदम पर पैसे की वर्षा करती रहती है। लेकिन दुनिया का यह तेलिया राजा हज यात्रा की आड़ में पैसा लूटता ही लूटता है। हाजियों का यह पैसा लूट कर उसका लम्बा चौड़ा परिवार सुरा और संुदरी के बीच अपना जीवन व्यतीत करता है। सऊदी सरकार हज यात्रा की सुविधा के नाम पर वर्षभर निर्माण कार्य करती रहती है। उक्त निर्माण कार्य से दुनिया का मुस्लिम जगत अंजान है, ऐसी बात भी नहीं है। हज यात्रा के नाम पर होने वाले निर्माण कार्य से मुस्लिम जगत चिंतित है, लेकिन उसकी धौंस और तानाशाही के सामने सभी बेबस हैं। उसकी इन अधर्मी हरकतों से सम्पूर्ण इस्लामी जगत सहमत भी नहीं है। कल तक सऊदी इस हज यात्रा के नाम पर अपने पेट भरता था लेकिन अब यह कहना पड़ता है कि वह न केवल पवित्र हज की कमाई से अय्याशी करता है बल्कि इस्लाम के नाम पर खूनखराबा करवाकर लडाइयां करवाता है, जिसमें करोड़ों डॉलर फूंककर इंसानियत का गला घोंटा जाता है। इस यथार्थ को समझना है तो हज के नाम पर की जाने वाली अरबों-खरबों की कमाई पर से पर्दा उठाना होगा, कोई अन्य ऐसा करे तो सारी दुनिया के मुल्ला मिलकर उसकी नींद उड़ाकर रख देते, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सऊदी की इन गैर इस्लामी और गैरइंसानी हरकतों के विरुद्ध कोई मुंह नहीं खोलता। न जाने क्यों मुसलमानों को सांप सूंघ जाता है?
मुस्लिम जगत की इन कायराना हरकतों के कारण सऊदी की तानाशाही हर दिन बढ़ती चली जा रही है। ईरान जो शिया बाहुल देश है। वह कभी उसका विरोध करता है तो सुन्नी बहुमत के देश से इस्लाम विरोधी संज्ञा देकर उसे हतोत्साहित कर देते हैं। लेकिन भीतर ही भीतर मुसलमानों का रोष बढ़ता जा रहा है। सऊदी अपनी आर्थिक खुशहाली की डींगे मारकर अपने विरोधियों को चुपकर देता है। लेकिन अब यह रोष बढ़ रहा है। आश्चर्य नहीं होगा, जब इस मगरमच्छ का काम तमाम हो जाए। पिछले दिनों 69 इस्लामी राष्ट्रों ने सऊदी राजा को एक पत्र लिखकर चौंंका दिया। इन पत्र लेखकों में भारत की रजा अकादमी के सदस्य और उसके अध्यक्ष मौलाना सईद नूरी भी शामिल हैं।
सर्वप्रथम इस मामले में हज यात्रा के अवसर पर लिए जाने वाले उन करों पर चर्चा करनी होगी जिनसे सऊदी का खजाना छलकता रहता है। सऊदी सरकार इन हाजियों से वीजा के नाम पर लाखों डॉलर ऐंठती है। पाठकों को बता दें किं मौलाना नूरी मुम्बई के जाने-माने इस्लामी विद्वान हैं। सऊदी सरकार देवबंदी विचारधारा की समर्थक है। एक अन्य विचारधारा जो बरेलवी मौलानाओं की शाखा है। वे समय-समय पर सऊदी राज परिवार की कट्टरता का विरोध करने में मुखर रही हैं। सऊदी सरकार चाहे जिस प्रकार से प्रतिशोध ले लेकिन वह मौलाना नूरी के लगाए आरोपों को झुठला नहीं सकती है। नूरी द्वारा लगाए गए आरोपों की सच्चाई जानने के लिए सऊदी सरकार को इसका खण्डन करना ही चाहिए। इन तथ्यों को जांच लेने के पश्चात विश्व के मुसलमानों को सऊदी बादशाह के नाम खींचने ही चाहिए ताकि सभी देशों के मुसलमान नागरिकों को राहत मिल सके।
मुसलमान अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दो अवसर पर मक्का मदीना की यात्रा करते हैं। एक तो उमरा करने के लिए और दूसरी बार हज यात्रा के अवसर पर। उमरा वर्ष में किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन हज यात्रा केवल अरबी महीने जिलहज की दस तारीख को ही की जा सकती है। यह वही दिन होता है जिसे बकरा ईद के नाम से पुकारा जाता है। हज यात्रा चूंकि निश्चित तिथि पर होती है, इसलिए उस दिन भीड़ होना स्वाभाविक है। इस तथ्य से सभी अवगत हैं कि पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था। इस्लाम का प्रचार-प्रसार इसी नगर से प्रारम्भ हुआ था। इसलिए मक्का मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र नगर है। इस नगर तक पहुंचने के लिए एक हाजी को कुल कितना खर्च उठाना पड़ता है यह जानना अति अनिवार्य है। हज यात्रा करने वाले से वीजा तथा हवाई जहाज के टिकट का दाम तीन गुना वसूला जाता है। इस भारी भरकम धनराशि को लेकर बेचारा सामान्य मुसलमान जिसके लिए हज करना मजहबी रूप से अनिवार्य होता है असमंजस में पड़ जाता है।
उक्त अभिमान के तहत सऊदी राजा अब्दुल अजीज को सम्बोधित करते हुए  69 इस्लामी देशों को एक पत्र प्रेषित किया है। इस पत्र के माध्यम से हज यात्रा के नाम पर होने वाली लूट के सम्बंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है। इस पत्र में मौलाना नूरी ने यह बताया है कि सामान्यतया हज और उमरा के लिए वीजा मुफ्त जारी किया जाता है। लेकिन सऊदी दूतावास में बैठे उच्च अधिकारी उमरा के वीजा के लिए 25 से 30 हजार रुपए और हज के लिए 50-75 हजार रुपए वसूल करते हैं। सवाल मात्र वीजा का ही नहीं बल्कि हवाई यात्रा से लेकर बस के किराए के नाम पर भी तीन गुना पैसा वसूल करते हैं। इन तथ्यों से सऊदी राजा परिचित हैं, लेकिन वे मौन रहते हैं। जेद्दा तक यात्रा करने पर साधारण रूप से 7 हजार रुपए खर्च होते हैं, लेकिन हज और उमरा करने वाले से यही किराया 35 से 45 हजार रुपए के रूप में वसूला जाता है। मक्का से मदीना तक बस से जाने का किराया 450 से 500 तक सऊदी रियाल वसूला जाता है। जबकि सामान्यतया इसका किराया 40 से 80 रियाल के बीच में है। हज यात्रा के समय मक्का और मदीना में हर चीज के भाव बढ़ जाते हैं। इन भावों पर वहां की सरकार का कोई अंकुश नहीं है। सऊदी के ही दबाव में आकर भारत सरकार ने पानी के जहाज से होने वाली यात्रा बंद कर दी। भारत सरकार भारतीय हाजियों को कह सकती है कि इसके लिए ही तो उन्हें अनुदान दिया जाता है। लेकिन लाख टके की यह बात है कि एक सामान्य मुसलमान को यह छूट होनी चाहिए कि वह हज यात्रा पर जाने के लिए कौन सा मार्ग चुने? हज की पवित्रता इसमें है कि हज करने वाला अपनी निजी कमाई से इस मजहबी यात्रा को सम्पन्न करे तब तो इसे मजहबी दृष्टि से ठीक कहा जा सकता है। इसलिए भारत सरकार और भारत से हज पर जाने वालों को इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

मुजफ्फर हुसैन

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