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नीतीश और लालू मिलकर राज्य में 'जंगलराज' लौटाना चाहते हैं। नीतीश बेनकाब हो गए हैं। सालभर पहले उन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात कर भाजपा से सत्रह साल पुराना गठबंधन तोड़ा और अब लालू प्रसाद के साथ मिलकर राज्य में 'जंगलराज' की वापसी का मार्ग खोल रहे हैं।
—सुशील मोदी, पूर्व उप मुख्यमंत्री
बिहार में कोई जंगलराज की वापसी नहीं हो रही है। बिहार में बड़े खतरे से निपटने के लिए सभी पुराने साथी एकजुट हुए हैं। पहले भी मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने एक साथ मिलकर काम किया था।
—के.सी. त्यागी, महासचिव, जदयू
मुद्दा-विहीन लालू प्रसाद परिवारवाद पर मंडलवाद की चादर लपेटकर राजनीति करना चाहते हैं, लेकिन अब यह नहीं चलने वाला। भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाकर 'मंडलवादियों' के वोट बैंक पर हमेशा के लिए ताला लगा दिया है। —रामकृपाल यादव, केन्द्रीय मंत्री
अब जब यह घोषणा हो गई है कि जदयू और राजद दोनों दल मिलकर विधानसभा चुनाव लडे़ंगे तो सबसे अधिक खुश असामाजिक तत्व हो रहे हैं। अपराधियों के हौंसले बुलन्द हो गए हैं और शान्ति पसन्द लोग दहशत में जीने लगे हैं।
—सुरेन्द्र घोष, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अब जब यह घोषणा हो गई है कि जदयू और राजद दोनों दल मिलकर विधानसभा चुनाव लडे़ंगे तो सबसे अधिक खुश असामाजिक तत्व हो रहे हैं। अपराधियों के हौंसले बुलन्द हो गए हैं और शान्ति पसन्द लोग दहशत में जीने लगे हैं।
—सुरेन्द्र घोष, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी
बिहार में अपराधियों और अपराधों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। नीतीश और लालू की दोस्ती ने अपराधियों के मन में यह बात बैठा दी है कि अब सत्ता और शासन में उनके लोग बैठ हैं। अब उनका कोई बाल बांका नहीं कर सकता।
—डॉ़ विजय वर्मा
प्रान्त सम्पर्क प्रमुख, बिहार शाखा,
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अब बिहार की सत्ता शरणागत नीतीश कुमार का उपयोग कर लालू प्रसाद चलाने लगे हैं। लालू राज का मतलब क्या होता है, यह पूरी दुनिया एक बार फिर से देखने लगी है। —रामलखन सिंह
उपाध्यक्ष, धर्म जागरण, बिहार प्रदेश ववेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी
लालू-राबड़ी के 15 वषार्ें के राज में बिहार देश-विदेश में बदनाम हो गया था। अपराधियों का राज कायम हो गया था। रात की किसी रेलगाड़ी से पटना जंक्शन उतरने वालों को उनके लोग सलाह देते थे कि स्टेशन से बाहर मत निकलना, सुबह होने के बाद ही बाहर आना। अब वैसे ही हालात बनते दिख रहे हैं। —अभय वर्मन, समाजसेवी
बिहार में हर तरह के अपराध बढ़ने लगे हैं। छोटे-छोटे कस्बों में भी दिनदहाड़े डकैती होने लगी है। ऐसा लगता है कि अपराधियों में कानून का कोई डर नहीं रह गया है।
—सतीश कुमार मांदीवाल, पूर्णिया
जदयू नेता अनन्त सिंह आखिरकार गिरफ्तार
पटना के समीप बाढ़ और उसके आसपास का क्षेत्र अपराधियों का गढ़ बन चुका है। हालिया घटना 17 जून की है। इस दिन दिनदहाड़े गाडि़यों में सवार गुण्डों ने बाढ़ में चार युवकों (काजू पाण्डे, प्रदीप कुमार, सोनू कुमार और पवन उर्फ पुटुस यादव) का अपहरण कर लिया और चारों की जमकर पिटाई की। उनमें से एक काजू पाण्डे उनके चंगुल से किसी तरह भाग निकला और उसने पुलिस और अपने परिजनों को अपहरण की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और अपराधियों की तलाश में कई जगहों पर दबिश दी गई। इसके बाद अपराधियों ने प्रदीप और सोनू को अधमरा करके रास्ते में फेंक दिया, जबकि पुटुस की लाश 18 जून की सुबह लदमा गांव के बाहर मिली। पुटुस के पिता के बयान के आधार पर पुलिस ने भूषण सिंह, प्रताप सिंह, कन्हैया, ऋषि और कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की और जांच को आगे बढ़ाया। 23 जून को पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र राणा (जिनका एक दिन पहले ही स्थानान्तरण किया गया था) ने प्रेस को इस जांच की जानकारी देते हुए बताया कि गिरफ्तार अपराधियों ने इस मामले में बाढ़ के जदयू विधायक अनन्त सिंह का नाम लिया है। इसलिए उनको भी इस मामले में अभियुक्त बनाया गया है। यह खबर फैलते ही सत्तारूढ़ जदयू में हड़कम्प मच गया, वहीं विरोधियों के तेवर चढ़ गए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इस मामले में अनन्त सिंह को बचाने के लिए ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का अचानक स्थानान्तरण किया गया था। दबाव के बाद अनन्त सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
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