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कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व कोयला सचिव ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ही अंतिम निर्णय करने के बाद कोयला ब्लॉक आवंटन किया जाता था। इससे पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री भी उनका नाम ले चुके हैं।
गत 27 मई को सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान पूर्व कोयला सचिव एच. सी. गुप्ता के वकील ने अदालत को बताया कि गुप्ता स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष थे और वे उन्हीं को कोयला ब्लॉक का आवंटन करते थे जिन्हें कोयला मंत्री द्वारा हरी झंडी दे दी जाती थी। उस समय कोयला विभाग स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास ही था। दरअसल झारखंड में कोलकाता की विनी आयरन व स्टील उद्योग लिमिटेड को राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक आवंटित करने के मामले में स्वयं गुप्ता भी आरोपी हैं। इससे पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री दसारी नारायण भी पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा कोयला आवंटन में अंतिम निर्णय लिए जाने की बात कह चुके थे। वे कांग्रेसी नेता नवीन जिंदल को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आरोपी हैं। इस मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु सहित आठ लोग आरोपी हैं। ल्ल प्रतिनिधि
दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा दिल्ली पुलिस के विरुद्ध नहीं कर सकती कार्रवाई : कानूनविदों की राय
दिल्ली सरकार ने गलत ढंग से की समवर्ती सूची की व्याख्या
दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच अधिकार क्षेत्र को लेकर छिड़ी जंग और तेज हो गई है। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा एक पुलिसकर्मी को भ्रष्टाचार के आरोप मामले में गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह विवाद खड़ा हो गया कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के अधिकार क्षेत्र में केन्द्र सरकार के कर्मचारी आते हैं या नहीं। आरोपी अनिल कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के जुलाई, 2014 की अधिसूचना का जिक्र करते हुए अपना पक्ष रखा था कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा केवल दिल्ली सरकार के अधिकारियों पर ही कार्रवाई कर सकती है।
दिल्ली सरकार के पक्षकार अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार को समवर्ती सूची के कुछ बिंदुओं के तहत कानून बनाने का अधिकार है। उधर दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के पक्ष में निर्णय दिया और गृह मंत्रालय की अधिसूचना को 'संदिग्ध' बताकर आरोपी को जमानत देने से इंकार कर दिया। वरिष्ठ कानूनविदों की राय में, केन्द्र शासित प्रदेश के लिए की गई व्यवस्था में संविधान में अनूसूची-1 के अंतर्गत चूंकि दिल्ली केन्द्र शासित क्षेत्र है। अत: स्पष्ट है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। केन्द्र शासित क्षेत्रों के लिए संविधान की 8वीं सूची में व्यवस्था है। संविधान के अनुच्छेद 239 में यह व्यवस्था है कि केन्द्र शासित प्रदेश में प्रशासन कैसे चलाया जाएगा। अनुच्छेद 239 (1) में स्पष्ट है कि केन्द्र शासित राज्यों में राष्ट्रपति के माध्यम से नियुक्त प्रशासक शासन चलाएगा। अनुच्छेद 239 एए(1) में दिल्ली का शासन चलाने के लिए उपराज्यपाल को नियुक्त किया गया है। हालांकि दिल्ली विधानसभा को अनुच्छेद 239 एए (2) के अंतर्गत भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची के अनुसार राज्य व समवर्ती सूची के कुछ बिंदुओं पर कानून बनाने का अधिकार है। इसके लिए अधिवक्ता ने 1, 2 और 18 की 'एंट्री' का हवाला दिया। बहस के दौरान दूसरे पक्ष ने कहा कि अनुच्छेद 254 के तहत यदि किसी विषय पर संसद और राज्य द्वारा बनाए गए कानून पर विवाद हो तो उस स्थिति में संसद द्वारा बनाया गया कानून मान्य रहेगा। सीआरपीसी 1973 की धारा 197 के तहत दिल्ली पुलिस में अधिकारी केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, इन अधिकारियों पर केवल केन्द्र सरकार की अनुमति लेने के बाद ही कार्रवाई हो सकती है। इसके अनुसार मत यह निकलता है कि दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है और राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह केन्द्र सरकार के अधीन आने वाले पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करे, जबकि इस मामले में उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को पुलिसकर्मी अनिल कुमार के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार है। ल्ल प्रतिनिधि
'मैगी' की पूरे देश में होगी जांच
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में 'मैगी' के नमूने में गड़बड़ी मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण गंभीर हो गया है। देश में अलग-अलग स्थानों से 'मैगी' के नमूने लिए जाएंगे। देश भर में इसकी जांच करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
'मैगी'में पिछले दिनों मोनो सोडियम ग्लूटामेट तथा सीसा तय मात्रा से अत्यधिक पाया गया था। ये दोनों तत्व असुरक्षित श्रेणी में थे। इसके तत्काल बाद बाराबंकी के प्रतिष्ठान ईजीडे मॉल में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद 'मैगी' बनाने वाली नेस्ले कंपनी ने 2014 में बनी 'मैगी' बाजार से वापस लेने की बात कही थी क्योंकि मार्च, 2014 में बनी 'मैगी' की जांच में ही मोनो सोडियम ग्लूटामेट और सीसा की अधिक मात्रा पाई गई थी। इसके बाद आगे के अन्य महीनों में तैयार की गई 'मैगी' के नमूने भी लिए गए जिनकी रपट आनी अभी बाकी है। गत 27 मई को 'मैगी'की जांच पूरे देश में करने के आदेश जारी हो गए हैं। ल्ल प्रतिनिधि
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