सहोदर बन दिया सहारा
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सहोदर बन दिया सहारा

by
May 30, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 30 May 2015 13:50:10

अंक संदर्भ: 10 मई, 2015
आवरण कथा 'साथ हैं हम' से प्रतीत हुआ कि नेपाल में आई प्राकृतिक आपदा की दुखभरी घड़ी में भारत ने सहोदर का भान रखते हुए नि:स्वार्थ सेवा का हाथ बढ़ाया है। भारत ने यह कार्य करके नेपाल के लिए ही बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणापुंज बनने का काम किया। भारत ने जरा भी देर न करते हुए तत्काल  पूरी तन्मयता से लगकर नेपालवासियों के दुख को अपना दुख समझा और जितनी मदद हो सकती थी उतनी की। अभी भी उसकी बराबर चिंता कर रहा है।   
—छैल बिहारी शर्मा, छाता (उ.प्र.)
ङ्म नेपाल में भयावह आपदा और रोते-बिलखते लोगों के आंसू पोंछने के समय ईसाई देश राहत के नाम पर एक मौका देख रहे थे। आपदा के बाद ईसाइयों के सबसे बड़े मत गुरु पोप का ट्वीट आता है कि  नेपाल में आई यह आपदा कन्वर्जन के लिए अच्छा मौका है। शर्म आनी चाहिए ऐसे पांथिक नेताओं को जो सेवा के बाने में कन्वर्जन जैसे घ्रणित कार्य की मंशा रखते हैं। वास्तव में दुनियाभर में ईसाई और इस्लाम के उन्मादी तत्व किसी भी प्रकार से दुनिया को केवल अपने मजहब की ओर खींचने में लगे हुए हैं और इसके लिए वे छल-प्रपंच सहित सभी चीजों का सहारा ले रहे हैं। नेपाल में आई इस आपदा में नेपालवासियों को सचेत रहना होगा क्योंकि ईसाई मिशनरियां हर तरीके से आपदा में पीडि़त लोगों को बरगलाने का कार्य करेंगी। लेकिन सभी को सचेत रहना है और उनके जाल में नहीं फंसना है।
—वीरेन्द्र जरयाल
शिवपुरी विस्तार, कृष्णा नगर (दिल्ली)
ङ्म नेपाल की दुख की घड़ी में भारत की ओर से जो मदद का हाथ बढ़ाया गया वह सराहना के योग्य है। तत्काल स्वयंसेवी संस्थाओं  ने इस दुख की घड़ी में खाने-पीने की चीजों से लेकर राहत की हर वह चीज उपलब्ध कराई जो उस समय अतिमहत्वपूर्ण थी। इसलिए ये सभी स्वयंसेवी संस्थाएं धन्यवाद की पात्र हैं। साथ ही वे सभी लोग भी धन्यवाद के पात्र हैं, जिन्होंने इस घड़ी में कुछ न कुछ अपने सहोदर के लिए किया और संदेश दिया कि हमारे नेपाल के साथ संबंध सिर्फ पड़ोसी के नहीं हैं बल्कि उसके साथ हमारे आध्यात्मिक और युगों से संबंध हैं। इसलिए उसका दुख और सुख हमारा दुख और सुख है।
—आशुतोष कुमार मिश्र
लखीमपुर (उ.प्र.)
ङ्म आपदा की इस घड़ी में  बाबा रामदेव भी वहां पर थे और उन्होंने इस घड़ी में जो कार्य किया वह सराहनीय था। उन्होंने तत्काल सभी कार्यों को छोड़कर आपदा में फंसे लोगों की सहायता की और पीडि़त पांच सौ से ज्यादा बच्चों को गोद लिया। जिनको लगता है कि भारत के संन्यासी कुछ नहीं करते उनको ऐसे लोगों के कार्यों को देखना चाहिए और फिर उन पर टिप्पणी करनी चाहिए चाहिए।
—रामदास गुप्ता
 जनता मिल (जम्मू-कश्मीर)
उन्मादियों की हिमाकत
लेख 'कश्मीरी पंडितों के विरोध में पाक' स्पष्ट करता है कि घाटी में जितनी देशद्रोही शक्तियां हैं वे कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की विरोधी हैं और चाहती हैं कि यहां पर कश्मीरी पंडि़तों के घर न बसें। यह मानसिकता दर्शाती है कि घाटी में  आतंकवादी व उन्मादी तत्व पूरी तरह सक्रिय हैं और वे नहीं चाहते कि यहां का विकास हो और फिर से कश्मीर गुलजार हो। लेकिन राज्य व केन्द्र  सरकार का दायित्व बनता है कि जो वर्षों से अपने घरों के लिए तरस रहे हैं, अपने घरों में जाने के लिए उत्साहित हैं उनको तत्काल घाटी में बसाया जाए। क्योंकि सरकार का कर्तव्य है कि वह  प्रत्येक   व्यक्ति के अधिकार और सुरक्षा की रक्षा करे।               
—गोविंद प्रसाद शुक्ल
इंदिरा नगर,लखनऊ (उ.प्र.)
 असलियत उजागर
लेख 'दुनिया को दुश्मन बनाने पर आमादा इस्लाम' पर सभी मुसलमानों को चिंतन और मनन करना चाहिए। विशेषकर भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों को, जिनके पूर्वज एक हैं। मत व आस्था में परिवर्तन से पूर्वज नहीं बदलते। इसलिए भारत में रहने वाले सभी मत के अनुयायी भाई हैं। लेकिन इस बात को भूलकर 'इस्लामवादी' भारत सहित विश्व में  खून की नदियां बहा रहे हैं। सभी को हरे रंग से रंगने की चाहत ने उन्हें मतान्ध कर दिया है। इस्लाम, जिसे कुछ लोग शान्ति का मजहब कहते हैं, उसकी आड़ में जो चल रहा है वह आज विश्व के सामने है। इसी कारण आज विश्व जगत में एक ऐसा माहौल बन रहा है कि अधिकतर देश इस्लाम के खिलाफ होते जा रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व इस्लाम के खिलाफ होगा। इसलिए मुसलमानों को इस तथ्य पर सोचना होगा और अपने को उन्मादी कार्यों से दूर करके देश कट्टर के विकास में कंधे से कंधा मिलकार खड़ा होना होगा।
 —रामशंकर श्रीवास्तव
 सी-1373,राजाजीपुरम्,लखनऊ (उ.प्र.)
जातिवाद समाप्त हो
आज देश का ऐसा कोई भी प्रान्त नहीं होगा जहां जातिवाद न फल-फूल रहा हो। अधिकतर राजनीतिक दल वर्षों से जातिवाद का जहर बोने में लगे हुए हैं और इसी आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। ऐसे सभी दल चाहते हैं कि इसी प्रकार हिन्दू जातिवाद के भंवर में फंसकर आपस में लड़ता रहे।  लेकिन सभी हिन्दुओं को प्रयास करना होगा कि इस जातिवाद के जहर को और न बोये। यह ऐसा जहर है जिसके चलते हिन्दू आपस में बंटा हुआ है और सेकुलर लोग इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। जिस दिन हिन्दू इस जातिवाद से ऊपर उठ गया उस दिन वह सबसे बड़ी शक्ति के रूप में सामने आएगा और उसे कोई भी झुका नहीं पायेगा। देश के उत्थान के लिए यह अतिमहत्वपूर्ण है।
 —आर्य गिरि
निंगा,आसनसोल (प.बंगाल)

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