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अंक संदर्भ: 12 अप्रैल, 2015
आवरण कथा 'बात घुमाने की आदत' से चता चलता है कि चर्च के लोग षड्यंत्र करने में बड़े माहिर हैं। तभी तो ये लोग चर्च में हुई चोरी की किसी घटना को भी इस प्रकार दुष्प्रचारित करते हैं कि मानो ईसाइयत खतरे में पड़ गई हो। देश का सेकुलर मीडिया भी बिना तथ्य जाने इस तरह की खबरों को प्रसारित और प्रकाशित करने लगता है।
-प्रदीप कुमार, सोनीपत (हरियाणा)
ङ्म यह जानकर बड़ा दु:ख हुआ कि चर्च के शीशे चाहे मोहल्ले के बच्चों की गेंद से टूटे हों या उसमें डकैती शातिर चोर-उच्चकों ने की हो, चर्च के मठाधीश एक साथ चिल्लाने लगते हैं कि यह सब काम साम्प्रदायिक लोगों का है। चर्च विशेषकर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को निशाने पर रखता है। ऐसा दुराग्रह से प्रेरित होकर किया जाता है। चर्च को पता है कि उसके छल-प्रपंच को हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ही उजागर करते हंै। इसलिए चर्च इन संगठनों को बदनाम करने का कोई अवसर नहीं छोड़ता है।
-सतीश उनियाल
डोईवाला, देहरादून (उत्तराखण्ड)
ङ्म आश्चर्य की बात है कि ईसाई मिशनरी ईसाई समाज के कुछ बड़े लोगों को भी अपनी साम्प्रदायिक राजनीति के कीचड़ में घसीटने में सफल हो गए हैं। इनमें प्रमुख हैं पूर्व पुलिस आयुक्त जूलियो रिबेरो। रिबेरो ने पिछले दिनों एक टी.वी. चैनल पर हो रही बहस में कहा कि अब मैं भी दहशत में रहने लगा हूं। यह बयान उन्होंने दिल्ली के कुछ चचार्ें पर हुई कथित तोड़फोड़ के सन्दर्भ में दिया था। जबकि इन हमलों के आरोप में जो लोग पकड़े गए हैं उनमें से अधिकांश चर्च द्वारा सताए गए लोग ही हैं।
-नीतू कुमारी, दिल्ली छावनी (दिल्ली)
ङ्म जब-जब केन्द्र में भाजपा की सरकार होती है तब-तब चर्चों पर हमले या तोड़फोड़ जैसी घटनाएं होती हैं। नि:सन्देह इन घटनाओं का उद्देश्य होता है भारत सरकार को बदनाम करना। जांच से पता चलता है कि चर्च से जुड़े लोगों के ही इशारे पर ही ये घटनाएं होती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि चर्च इन घटनाओं की आड़ में दुनियाभर से सहानुभूति हासिल करता है। इससे उसको विदेशी चन्दा लेने में मदद मिलती है।
-भरत सिंहल, अनाज मंडी, नरेला (दिल्ली)
ङ्म कैथोलिक पादरी रहे पी.बी. लोमियो ने अपने साक्षात्कार 'पश्चिमी राजनीति को आगे बढ़ा रहा चर्च' में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि चर्च में भ्रष्टाचार, व्यभिचार आदि का बोलबाला था, है और बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि ईमानदारी से चर्च की जांच हो तो उसका असली चेहरा देश और दुनिया के सामने आ जाएगा।
-उदय कमल मिश्र, सीधी (म.प्र.)
ज्ञानवर्द्धक रपट
रोमा दिवस पर प्रकाशित रपट 'यूरोप-अमरीका में बसे रोमाओं का दिल है हिन्दुस्थानी' बहुत ही ज्ञानवर्द्धक है। आज दुनिया के अनेक देशों में रोमा रहते हैं। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि ये रोमा भारत से ही गए हुए हैं। वे लोग आज भी कहते हैं कि उनका मूल भारत है। उनकी भाषा में संस्कृत के अनेक शब्दों का समावेश है। रोमाओं को अपने साथ जोड़ने में भारत की शक्ति काफी बढ़ सकती है।
-रामावतार, कालकाजी (नई दिल्ली)
बाहर करो घुसपैठियों को
सर्वोच्च न्यायालय ने बंगलादेशी मुसलमान घुसपैठियों को लेकर असम सरकार को लताड़ लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि घुसपैठियों को बाहर करने के मामले में असम सरकार लापरवाही बरत रही है। इससे पहले भी अनेक बार कई अदालतों ने इस बारे में निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद घुसपैठियों को बाहर करने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
-नयन देब
मालदा (पश्चिम बंगाल)
केजरीवाल या 'माफीवाल'
इस रपट 'केजरीवाल 'नेती' कर कुएं में डाल…' में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की कलई खोली गई है। यह बात बिल्कुल सही है कि जिन लोगों ने केजरीवाल को आगे बढ़ने में सहायता की उन लोगों को उन्होंने अब बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अण्णा हजारे के आन्दोलन के कारण ही लोगों ने जाना कि अरविन्द केजरीवाल नामक कोई शख्स है। बाद में अरविन्द केजरीवाल ने अण्णा की भी उपेक्षा की और अलग रास्ते पर चल पड़े। अब अण्णा भी केजरीवाल के व्यवहार से खुश नहीं हैं। इसी तरह केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य शान्ति भूषण और उनके बेटे प्रशान्त भूषण को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जबकि इन दोनों बाप-बेटे ने आम आदमी पार्टी को सबसे पहले दान के रूप में 2 करोड़ रुपए दिए थे। यही नहीं केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के आंतरिक लोकपाल और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल. रामदास को भी बिना कुछ बताए पद से हटा दिया। इनके अतिरिक्त भी अनेक नेता हैं, जिन्हें केजरीवाल से मतभेद होने के कारण बाहर किया गया है। यानी जिसने भी केजरीवाल की भलाई की उसको ही उन्होंने अपने से दूर किया। केजरीवाल के रवैयों से साफ होता है कि वे अन्दर से कुछ और हैं और बाहर से कुछ और। चुनाव के समय भी उन्होंने जनता से अनेक वायदे किए हैं। अब उन्हें लगने लगा है कि उन वायदों को पूरा करना उनके बस की बात नहीं है। तभी तो उन्होंने पिछले दिनों कहा है कि वे 30 से 40 प्रतिशत वायदों को ही पूरा कर पाएंगे। यह जनता के साथ धोखा है। केजरीवाल बार-बार गलती करते हैं और माफी भी बार-बार मांगते हैं। ऐसा लगता है कि वे केजरीवाल नहीं, 'माफीवाल' बनते जा रहे हैं।
-अजय राज, बनवीर टोला, जमनी पहाड़पुर, जिला-गोड्डा (झारखण्ड)
अतिशय दु:खदायी
धरा हिली नेपाल में, गयी हजारों जान
कुपित बताओ क्यों हुए, हे पशुपति भगवान।
हे पशुपति भगवान, कष्ट लाखों ने पाया
उजड़ा नीड़ बड़ी मुश्किल से जिसे बनाया।
कह 'प्रशांत' भारत पर भी है आफत आयी
प्रकृति की यह मार, बनी अतिशय दु:खदायी॥
-प्रशांत
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