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गत 31 मार्च को किशनगंज (बिहार) में विद्या भारती के एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि नई पीढ़ी को अपनी सदियों पुरानी संस्कृति से जोड़ने की आवश्यकता है। आज विद्यालय और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र अपनी संस्कृति से भटक रहे हैं। यह सब उनके मन में पाश्चात्य शिक्षा के बीज बोने से हो रहा है। समय रहते इसको सही करने की जरूरत है और यह तभी संभव होगा जब वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बदलाव होगा। उन्होंने क हा कि जितना दायित्व शिक्षकों का बनता है उससे कई गुना अधिक अभिभावकों का दायित्व है कि वे अपने बच्चों को सुसंस्कृत और भारतीयता-परक शिक्षा उपलब्ध कराएं। शिक्षा का एक ही उद्देश्य है चरित्र निर्माण। श्री भागवत ने कहा कि आज देश के सुदूर वनवासी प्रान्तों से लेकर हर स्थान पर विद्या भारती वर्तमान पीढ़़ी को भारतीय संस्कृति और चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा देने का कार्य कर रही है। उन्होंने सीमांचल क्षेत्र में विद्या भारती के और विद्यालय खोलने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे देश की भलाई के लिए अपने दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करें। इस अवसर पर विद्या भारती के अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। सरसंघचालक जी के इस कार्यक्रम से पूरे क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ। ल्ल प्रतिनिधि
नववर्ष पर भव्य शोभायात्रा
भारतीय नववर्ष के अवसर पर जोधपुर में 'नववर्ष महोत्सव समिति' के द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई। संत अमृताराम जी महाराज, समिति के संरक्षक एवं महापौर घनश्याम ओझा और समन्वयक व उप महापौर देवेन्द्र सालेचा ने भगवा पताका लहरा कर शोभायात्रा का शुभारम्भ किया। शोभायात्रा घंटाघर से प्रारम्भ होकर नई सड़क चौराहा, सोजती गेट, पुरी तिराहा, रेलवे स्टेशन चौराहा, रणछोड़दास जी मंदिर तिराहा, जालोरी गेट, गोल बिल्डिंग चौराहा, गांधी मैदान, सरदारपुरा 'सी' रोड होती हुई जलजोग चौराहे पर पहंुची और यहीं संतांे के आशीर्वाद एवं महाआरती से समाप्त हुई। समापन पर भारत माता के चित्र पर 2072 दीप प्रज्वलन का अनूठा दृश्य देखते ही बन रहा था। ल्ल प्रतिनिधि
सेवा भारती ने कराए सामूहिक विवाह
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ़ हेडगेवार के जन्म दिवस पर सेवा भारती, दिल्ली प्रदेश के यमुना विहार विभाग ने नौ कन्याओं का परिणय संस्कार सम्पन्न कराया। दीप प्रज्वलन एवं गायत्री पाठ के पश्चात् मंच पर समधियों की मिलाई की गई। विवाह वैदिक रीति से सम्पन्न हुआ और प्रत्येक जोड़े को दैनिक उपयोग के लिए अनेक वस्तुएं भेंट की गईं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सेवा भारती पिछले अनेक वर्ष से अलग-अलग अवसरों पर सामूहिक विवाह का आयोजन करती है। इन आयोजनों से समाज का वह निर्धन वर्ग लाभान्वित होता है, जो अपने बच्चों के विवाह का खर्च नहीं उठा पाता है। सामूहिक विवाह के आयोजनों से दिल्ली की सेवा बस्तियों में समरसता बढ़ रही है। यही नहीं उन लोगों में यह भरोसा भी जगा है कि कोई है, जो उनके सुख-दु:ख का ख्याल रखता है। ल्ल प्रतिनिधि
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