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काशी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन सभागार में 14 अप्रैल को 'डॉ़ भीमराव आंबेडकर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' विषय पर एक गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर का संघर्ष जाति से नहींे, व्यवस्था से था। उनका संघर्ष व विचार ऐसे वर्गों को मंच देना था, जो वंचित थे, पिछड़े थे। उनका उद्देश्य उनके बीच आत्मविश्वास भरना था। डॉ. आंबेडकर जीवनभर छुआछूत, जातिगत भेदभाव से जूझते रहे। उनके जीवन के बारे में समग्रता के साथ चिंतन और विश्लेषण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग डॉ़ आंबेडकर को भगवान के रूप में मानते हैं, यह गलत नहीं है। वे ब्राह्मण और धर्म विरोधी भी नहीं थे। उन्होंने कई जगह लिखा है कि धर्म देश की आत्मा है और इससे देश में सद्विचारों को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण के दौरान कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने को लेकर डॉ़ आंबेडकर का टकराव पं. जवाहर लाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला से हुआ था। गोष्ठी की अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने की। इस अवसर पर डॉ. कृष्ण गोपाल ने पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर के विशेषांकों का लोकार्पण भी किया। ल्ल
उदयपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उदयपुर के सेवा विभाग द्वारा डॉ़ भीमराव आंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर उदयपुर में 8 स्थानों पर 'सामाजिक समरसता' विषय पर गोष्ठियां आयोजित हुईं। उदयपुर में अम्बामाता क्षेत्र में डॉ़ आंबेडकर खेल मैदान, टेकरी मादड़ी क्षेत्र मंे अभिनव विद्यालय, सेक्टर-14 में श्रीमाल भवन, सेक्टर-5 में पुष्कर साधना केन्द्र, प्रतापनगर क्षेत्र में सत्यनारायण मंदिर, भूपालपुरा क्षेत्र में कृष्णपुरा, फतहपुरा क्षेत्र में अंहिसापुरी के नगर निगम के वाचनालय एवं गिर्वा तहसील के नाई गांव में गोष्ठियां आयोजित की गईं। इन गोष्ठियों में समाज के सभी वर्गों के लोगों को आमंत्रित किया गया। वक्ताओं ने डॉ़ भीमराव आंबेडकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ़ आंबेडकर समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करने में बहुत हद तक सफल रहे। ल्ल
शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह श्री किस्मत कुमार ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर ने अपने मान-सम्मान की चिंता किए बगैर समाज में फैलीं कुरीतियों को मिटाने का भरसक प्रयास किया। छुआछूत के कारण उन्हें बहुत अपमान झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपना धैर्य न खोकर उच्च शिक्षा ग्रहण की और दुनिया के महान लोकतंत्र की गाथा अपने हाथों से लिखी। उन्हें वंचित नेता के तौर पर ही देखा जाता रहा है, जबकि उनका जीवन इससे कहीं ऊपर और प्रेरणादायक रहा है। शिक्षा में अग्रणी होने के बाद भी उन्हें समाज में वह सम्मान नहीं मिला। यदि डॉ़ आंबेडकर एक सामान्य व्यक्ति होते तो कब के टूट गए होते, लेकिन उन्होंंने देश का हित कभी नहीं छोड़ा। उनके द्वारा दी गई आरक्षण की परिभाषा स्पष्ट थी। जातिगत आरक्षण का एक व्यक्ति तब तक हकदार है जब तक कि वह हिन्दू धर्म में है। यदि वह अन्य मत-पंथ में जाता है तो उसका आरक्षण पर अधिकार स्वत: ही समाप्त हो जाता है। इसलिए डॉ़ आंबेडकर को मात्र एक संविधान निर्माता या वंचित नेता के तौर पर ही नहीं, बल्कि हिन्दू समाज के संरक्षक और देशभक्त के तौर पर जानना जरूरी है।
मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त जिला सत्र न्यायाधीश जे़ एल. गुप्ता ने कहा कि डॉ़ आंबेडकर को समाज सुधारक और देशभक्त के रूप में देखा जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि थीं दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की साध्वी रुकमणी। ल्ल
बेंगलुरू
बेंगलुरू के विमानपुरा स्थित एक सेवा बस्ती में भी डॉ. आंबेडकर की जयन्ती बड़ी धूमधाम से मनाई गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से बनी स्वयंसेवी संस्था 'केशव सेवा समिति' द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई रुदाभाईवाला। उन्होंने सबसे पहले आनन्दपुरा समुदाय भवन के पास स्थित डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. आंंबेडकर ने जीवनभर देश की सेवा की। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे डॉ. आंबेडकर, सरदार पटेल, महात्मा गांधी, शिवाजी जैसे महापुरुषों की जीवनियां पढ़ें और उनसे प्रेरणा लें। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त सह कार्यवाह प्रो. बी.वी. श्रीधर स्वामी, शिक्षाविद् डॉ. वेणुगोपाल, स्थानीय विधायक एस. रघु सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। ल्ल
दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, द्वारका जिले की ओर से पालम में समरसता गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता मास्टर नारायण सिंह ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने ऊंची जाति के लोगों द्वारा किए गए अनेक प्रकार के अन्यायों को सहा था, इसके बावजूद वे हिन्दुओं के बड़े शुभचिन्तक थे। आंबेडकर समाज की वंचित और पिछड़ी जातियों को प्रशासन एवं राजनीति में ठोस सहभागिता दिलाना चाहते थे। जिला कार्यवाह श्री रुद्रपाल ने कहा कि आज डॉ. आंबेडकर के राष्ट्रवादी रूप को जन सामान्य के सामने लाने की आवश्यकता है।ल्ल
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