रिश्तों की मिठास संवारे आने वाले दिन
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रिश्तों की मिठास संवारे आने वाले दिन

by
Mar 7, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 07 Mar 2015 13:10:35

अंक संदर्भ : 15 फरवरी, 2015
आवरण कथा 'चीनी मिठास' भारत और चीन की बढ़ती मित्रता दोनों देशों के लिए एक सुखद एवं शुभ संकेत है। नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के समय से ही भारत अपने पड़ोसी देशों एवं अन्य देशों के साथ लगातार संबंध सुधारने में लगा हुआ है और जिसका असर भी विश्व फलक पर स्पष्ट रूप से देशा जा सकता है। कुछ चीजों को छोड़ दें तो भारत और चीन के संबंधों में पहले से कई गुना अधिक सुधार आया है और नरेन्द्र मोदी की आगामी चीन यात्रा से भारत-चीन संबंधों में और अधिक मिठास आने की संभावना है। जिन विषयों पर लंबे समय से खींचतान चली आ रही है, इस यात्रा से उनके सुलझने के आसार हैं।
—छैल बिहारी शर्मा, छाता (उ. प्र.)
ङ्म नई सरकार के गठन के बाद से ही भारत विश्व के सभी देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में लगा हुआ है। देश का दुर्भाग्य रहा कि संप्रग के दस वर्ष के शासनकाल में उसने अमरीका की चरण वंदना को छोड़कर अन्य सभी देशों के साथ, मित्रता तो दूर की बात बल्कि उल्टे विभिन्न मुद्दों पर विदेश नीति के अभाव में वैमनस्यता ही बढ़ाई है। इस अभाव में दूसरे देशों के साथ खाई चौड़ी हुइंर् है। इसका परिणाम हुआ कि संप्रग शासन के दौरान भारत के विदेश संबंध पटरी से उतर गए। आज जब केन्द्र में भाजपा की सरकार है तो स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है कि वह सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाना चाहती है।
—कृपा शंकर, विजयपुरम (महाराष्ट्र)
ङ्म देश का यह सौभाग्य है कि उसे ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जिसके मन में सिर्फ और सिर्फ एक ही बात है कि कैसे भारत का मस्तक फिर से सम्पूर्ण विश्व के सामने ऊंचा किया जाये। इसके लिए वह रात-दिन एक करके देशहित में सेवा कर रहा है। सबका साथ, सबका विकास के ध्येय को लेकर वह भारतवासियों की सेवा में लगा हुआ है। इसलिए सभी देशवासियों को चाहिए कि कुछ छोटी-मोटी जरूरतों और मुफ्त के लालच में न आकर राष्ट्रहित में प्रधानमंत्री के हाथों को मजबूत करें।
—राजेन्द्र गुप्ता, अशोक विहार (नई दिल्ली)
अध्यात्म का सागर
गीता प्रेस, गोरखपुर ने अपने प्रकाशन के माध्यम से अध्यात्म का जो आलोक फैलाया है,उससे सनातन संस्कृति की किरण को जन-जन तक पहुंचने में अत्यंत सहायता मिली है। यही एक ऐसा प्रकाशन है, जो सिर्फ और सिर्फ सनातन व्यवस्था की जड़ों को सींचने में लगा हुआ है। प्रसन्नता की बात है कि वह अपने काम में सफल भी हुआ है। आज देश व विश्व में शायद ही ऐसा कोई धर्मप्रेमी हो जो गीता प्रेस, गोरखपुर से परिचित न हो। यहां से निकलतीं अध्यात्म की ज्योति आज चारों दिशाओं में प्रकाश फैला रही है। देश व समाज के लिए ऐसे प्रकाशन सहेजे रखना एक कर्तव्य है। आशा है कि यह प्रकाशन इसी प्रकार निरंतर द्रुतगति से समाज में सनातन व्यवस्था को मजबूत करता रहेगा।
—मनोहर मंजुल
पिपल्या, प. निमाड (म. प्र.)
पैनी होती धार
समय के साथ पाञ्चजन्य पत्रिका की धार और भी पैनी होती जा रही है। जिस प्रकार यह पत्रिका पूरे मीडिया जगत में डंके की चोट पर सत्य को कहती और सेकुलरों व देशद्रोहियों की पोल खोलती है, वह अपने आप में अनूठा ही नहीं बल्कि साहसपूर्ण कार्य है। आज भारत के लोगों को जिस विचार की अत्यधिक जरूरत है उसे प्रसारित करने में यह पत्रिका सफल हो रही है।
—संजय घोष, उत्तम नगर (नई दिल्ली)
सुधार की जरूरत
आज भारत में अधिकतर इतिहास जो पढ़ाया जाता है वह मुगलों के कथन पर आधारित है। लेकिन फिर भी किसी ने इस इतिहास को बदलने की चेष्टा नहीं की,न ही ऐसी मंशा दिखाई, जिसके फलस्वरूप आज हम जो भी इतिहास पढ़ रहे हैं वह अधिकतर झूठा और मनगढ़ंत है। अब ऐसी स्थिति में जब हम अपने इतिहास तक को सही प्रकार नहीं जान पाएंगे तो भला फिर हमारा आने वाला भविष्य कैसा होगा? यह एक अहम सवाल है। आज केन्द्र सरकार को चाहिए कि उस तमाम पाठ्य सामग्री को बदले जिसमें इतिहास की गलत जानकारी दी जा रही है और देश को भ्रमित किया जा रहा है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि इतिहास ही हमें शिक्षा देता है कि भविष्य में हमें कैसे चलना है।
—बी.एस. राठौर
ब्रह्मपुत्र सदन, नोयडा (उ.प्र.)
ङ्म जब-जब हमने इतिहास की ओर ध्यान नहीं दिया और उससे कुछ नहीं सीखा तब-तब हमने धोखा खाया है। पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गोरी की गाथा से हम सभी भलीभांति परिचित हैं। हम सभी को वर्तमान परिस्थितियों को समझते हुए कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना है जिससे हिन्दू समाज का किसी भी प्रकार का नुकसान हो। हिन्दू व्यवस्था,सनातन संस्कृति की हर क्षण रक्षा करनी है और ध्यान रखना है कि इस देश के लिए हिन्दू ही इसका गौरव है। इसलिए हम सभी को आपसी मतभेदों को भुलाकर संगठित होकर कार्य करना होगा। तभी जो हमारा सपना है वह पूरा होगा।
—श्रीचन्द जैन, धर्मपुरा विस्तार (दिल्ली)
यह कैसी हिमाकत?
अभी कुछ दिन पहने चीन ने मुस्लिम बहुल प्रान्त में रहने वाले सभी इमामों और मौलवियों को एकत्र करके उनको शपथ दिलाई कि वे अपनी आने वाली पीढि़यों को इस्लाम की आततायीपूर्ण शिक्षा नहीं देंगे। चीन के इस कृत्य पर भड़के पाकिस्तानी कठमुल्लों ने चीन की भड़ास पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं पर निकाली और 6 हिन्दुओं की हत्या कर दी। उन्होंने इस कृत्य से दिखा दिया कि वे किसी न किसी बहाने हर बात का दोष हिन्दुओं पर मढ़ते हैं। इस पूरी घटना पर न तो कोई मीडिया में होहल्ला हुआ और न किसी सेकुलर की इस बात पर जुबान खुली। तथाकथित मीडिया से सवाल है कि क्या हिन्दुओं के प्रति अत्याचार उन्हें दिखाई नहीं देता?
—प्रकाश चन्द
क्यू-70, उत्तम नगर (नई दिल्ली)
इनसे सावधान !
आज यह देखने में आता है कि कुछ लोग नेता बनने के चक्कर में सनातन धर्म पर निरर्थक टिप्पणी करते हैं। असल में ऐसे लोग थोड़े से लालच में आकर पिछला सब भूल जाते हैं। जो अपने को इस प्रकार के कथित नेता बतातेे हैं उन्हें पहले राजनीति को अच्छी तरह से समझना चाहिए। क्योंकि उन जैसे लोगों के दुराग्रह के चक्कर व लालच ने इस देश को हजार वर्ष तक गुलाम रखा है। ऐसे स्वार्थी नेता हिन्दुओं के सबसे बड़े शत्रु हैं और इन नेताओं से समाज को सावधान रहना होगा।
—शान्ति स्वरूप सूरी
नेहरू मार्ग, झांसी (उ.प्र.)
पहले इसका हिसाब दें ?
आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे समाज में इतनी कुरीतियां और विकृतियां हैं जिनको अभी तक दूर नहीं किया जा सका है। देश की सीमाओं पर हमारे सैनिकों का नित्य प्रति खून बहता है और हमारी सरकारें उन बलिदानियों के बलिदान को पैसे से तोल देती हैं। देश में अब भी बच्चों को उचित इलाज न मिलने के चलते मौत की नींद सोना पड़ता है। शिक्षा का बुरा हाल है। देश के अंदर ही देश के दुश्मन घात लगाये बैठे हैं। लाखों-करोड़ों लोग बेराजगारी से व्यथित हैं। सवाल है कि जिन दलों ने 60 साल तक इस देश पर राज किया उन्होंने देश को क्या दिया? किस मुंह से वे नौ महीने पहले बनी मोदी सरकार से हिसाब मांग रहे हैं? जो भी इन नौ महीनों का हिसाब मांग रहे हैं वे पहले 60 वर्ष का हिसाब दें और जनता को बताएं कि कैसे इस दौरान देशद्रोहियों ने देश को घुन की तरह खाया है।
—वशिष्ठ चन्द्रभान
भिवानी (हरियाणा)
विकृति दूर हो
आज उत्तर प्रदेश, बिहार ही नहीं अपितु देश के सभी स्थानों पर जातिगत कुरीति देखने को मिल जायेगी। इस कुरीति ने देश और समाज को बिल्कुल खोखला कर दिया है। अपनी राजनीति को चमकाने के लिए नेता समाज में ऐसा बीज बोते हैं जिसका एक-एक दाना जहर होता है। लोग एक दूसरे के इतने विरोधी हो जाते हैं कि सोचा भी नहीं जा सकता। देश में अगर हिन्दुओं को एकजुट और सबल बनना है तो सबसे पहले जाति के नाम पर जो रूढि़या और भेदभाव चले आ रहे हैं उनको तत्काल रूप से दूर करना होगा। क्योंकि यह भेदभाव दिनोंदिन इतना बड़ा रूप लेता जा रहा है कि अगर इसको समय रहते नहीं रोका गया तो भारत का जो सांस्कृतिक ताना-बाना है वह टूट जायेगा और शायद फिर से विखंडन की स्थिति देखनी पड़ सकती है।
—डॉ. सुशील गुप्ता
बेहट बस स्टैण्ड, सहारनपुर (उ.प्र.)
आआपा की राजनीति
दिल्ली की जनता ऐसे राजनीतिज्ञों के चक्कर में आ गई जिनका उद्देश्य जनता की सेवा नहीं बल्कि इसकी आड़ में कुछ और ही है। जनता अरविन्द और आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मंशा को समझने में नाकाम रही,जिसका परिणाम यह हुआ कि आआपा की जीत हुई। मुफ्त बिजली, पानी एवं अन्य चीजों की चाह ने एक ऐसी राजनीति को जन्म दिया है जो देश व समाज के लिए बड़ी ही खतरनाक है। आआपा की राजनीति का खामियाजा आने वाले दिनों में दिल्ली की जनता भुगत सकती है।
—राजू मेहता
गुलाब नगर,जोधपुर (राजस्थान)

बढ़ती इस्लामी छाया
इस्लामी आतंकवाद वैश्विक आतंकवाद के रूप में अपनी जड़ों को मजबूत कर चुका है, जिसका जीता-जागता प्रमाण पेरिस का नरसंहार है। कैसे एक व्यंग्य चित्र छपने के बाद 'इस्लाम खतरे में' पड़ता है और फिर उसके बाद कैसे वे 'शान्ति का संदेश' देते हैं वह आज पेरिस सहित पूरा विश्व भलीभांति जान चुका है। इस्लामी आतंकवाद अपने पैर पसारता जा रहा है। कुछ देश तो इस कार्य से अनभिज्ञ हैं लेकिन कुछ देश इसकी सचाई जानकर भी आंखें बंद किए हुए हैं। कुछ भी हो, इनकी हकीकत है कि इस्लाम ने जहां-जहां भी पैर पसारे वहां आतंक ही पनपा है। इस सत्य को झूठलाया नहीं जा सकता। अमरीका, इग्लैंड, पेरिस सभी इनके कुकृत्यों से परिचित हैं।
इस्लाम का अपना एक सिद्धांत है और वह इस सिद्धांत को बड़े ही अच्छे तरीके से प्रयोग में लाता है। जिन स्थानों पर जब इस्लामवादी अल्पसंख्यक होते हैं तो वहां कहते हैं कि बहुसंख्यकों का कर्तव्य है कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षा करें, लेकिन जैसे ही मुसलमान बहुसंख्यक होते हंै तो कहते हैं कि इस्लाम में किसी अन्य मत-पंथ को जगह ही नहीं है। आज यूरोपीय देशों में इनका संख्याबल लगातार बढ़ता जा रहा है और इसके साथ ही इनकी आतंकी गतिविधियों और इनकी अनैतिक मांगों में भी बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन फिर भी कुछ देश इस खतरे को जान-बूझकर पालने-पोषने में लगे हुए हैं और उनकी तरफदारी कर उनकी पीठ ठोकने का काम करते हैं। भारत को इस विषय पर जागरूक होना होगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, दिल्ली, मुंबई, आंध्र प्रदेश व पूर्वोत्तर के अधिकतर प्रदेशों में इनका संख्याबल अत्यधिक हो गया है जिसके कारण इनका आतंक भी शुरू हो चुका है। अगर इस आतंक से बचना है तो इन पर लगाम कसनी जरूरी है।
—डॉ.चाणक्य शर्मा
सेक्टर-1, दीनदयाल उपाध्याय नगर
रायपुर (छ.ग.)
अद्भुत संयोग
उत्तर-दक्षिण ध्रुव मिले, हुआ खूब संवाद
बर्फ पिघलने तब लगी, तीन महीने बाद।
तीन महीने बाद, किया जनता ने जैसा
पहले कभी न देखा-सुना किसी ने वैसा।
कह 'प्रशांत' यह मिलन बने शुभ मंगलकारी
हिम किरीट भारत के, शुभकामना हमारी॥
—प्रशांत

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