|
स्वतंत्रता सेनानी रानी मां गाइदिन्ल्यू का जन्मशताब्दी वर्ष का समापन समारोह 24, 25 एवं 26 जनवरी को असम के दिमासा जिले के बड़ा हांफलांग गांव में आयोजित हुआ। इसमें दिमासा जिले के 53 गांवों के 4000 लेमी नागाओं, कछार जिले के 3 गांवों के 115 रांगाई नागाओं, नागालैण्ड के 16 गांवों के 400 लेमी और लियांगमई नागाओं सहित कुल 5 हजार लोगों ने भाग लिया। समारोह का उद्घाटन नागालैण्ड, त्रिपुरा और असम के राज्यपाल श्री पद्मनाभ आचार्य ने ध्वजारोहण और दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर श्री आचार्य ने कहा कि रानी मां गाइदिन्ल्यू ने मात्र 15 वर्ष की उम्र में ही अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन शुरू किया और 1947 तक वह 15 वर्ष तक जेल में रहीं। वह स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने नागा समाज में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन किया और हरक्का समाज को आगे बढ़ाया। समारोह के दूसरे दिन के मुख्य अतिथि थे दिमासा स्वायत्त जिले के मुख्य कार्यकारी सदस्य श्री देवजीत थाउसान। उन्होंने रानी मां गाइदिन्ल्यू को भारत माता की सच्ची पुत्री बताते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनकी जो भूमिका रही है वह भारत के लिए अमूल्य निधि है। विश्व हिन्दू परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री दिनेश चन्द्र ने ईसाई मिशनरियों द्वारा मतान्तरण के लिए अपनाए जा रहे कुचक्रों की चर्चा करते हुए कहा कि भोले-भाले लोगों को धोखे से मतान्तरित किया जा रहा है। उन्होंने ईसाई तत्वों के आतंकवाद और चर्च प्रेरित नरसंहार की भी आलोचना की। समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव। उन्होंने कहा कि रानी मां का पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। वह मतान्तरण के विरुद्ध थीं। वह कहती थीं कि यदि धर्म बदलोगे तो अपनी वर्षों पुरानी संस्कृति समाप्त हो जाएगी और जब संस्कृति समाप्त होती है तो समाज की पहचान मिट जाती है। सभा को राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता अक्का, विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोविन्द, राष्ट्रीय सेवा भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुन्दर लक्ष्मण, विहिप पूर्वोत्तर के संगठन मंत्री श्री दिनेश उपाध्याय आदि ने भी सम्बोधित किया। अन्तिम दिन हाफलांग नगर में एक किलोमीटर लम्बी शोभा यात्रा निकाली गई। ल्ल जगदम्बा मल्ल
गई विषमता, आई समता
'समरस समाज ही सम्पन्नता और समृद्धि को प्राप्त करता है और समरसता सनातन परम्परा की जड़ों में है। इसके बाद भी सामाजिक विषमता का भाव विद्यमान है तो यह मानवता और सनातन परम्परा के विरुद्ध है।'
ये विचार हैं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनाइक के। वे गत दिनों वाराणसी में 'राष्ट्रीय एकता के प्रतीक संत रविदास' विषय पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संत रविदास बाह्य और आन्तरिक शुद्धता के जीवन्त प्रतीक थे। उनके विचारों को आत्मसात करके ही हम देश को सभी प्रकार से मजबूत कर सकते हैं, क्योंकि आडम्बर और रूढि़वादिता से सामाजिक विषमता को बल मिलता है। इसलिए संत रविदास जी ने कहा 'मन चंगा तो कठौती में गंगा।'
विशिष्ट वक्ता श्री महिरध्वज सिंह ने कहा कि संत रविदास जी के जरिए अनेक चुनौतियों और कुरीतियों का सामना कर रहे समाज को एक नई दिशा मिली है। इसके लिए देश संत रविदास जी का सदैव ऋणी रहेगा।
कार्यक्रम में श्री रामनाइक ने मंजू द्विवेदी द्वारा लिखी गई पुस्तक 'संत रविदास एक विचार' और पत्रकारपुरम् की वार्षिक डायरी का लोकार्पण भी किया। गोष्ठी का आयोजन 'राष्ट्रीय महापुरुष जयन्ती समारोह समिति' एवं जगतपुर पी. जी. कॉलेज, वाराणसी ने किया था। ल्ल प्रतिनिधि
'शौर्य, शक्ति, साधना से सधेगा राष्ट्र'
नई दिल्ली के हौजखास स्थित पी.एच.डी. हाउस में 8 फरवरी को हिन्दुत्व अभियान के अन्तर्गत 'गुरु गोविन्द सिंह जी के तत्व दर्शन और समर्थ गुरु रामदास के तत्व बोध' पर प्रवचन हुआ। प्रवचनकर्ता थे हिन्दुत्व अभियान के प्रणेता श्री लाहिरी गुरु जी। उन्होंने कहा कि गुरु गोविन्द सिह जी ने श्रेष्ठतम शौर्य शक्ति और संगठन साधना के माध्यम से धर्म रक्षा हेतु एक जाग्रत एवं सशस्त्र समाज का निर्माण किया। भारतवर्ष की प्राचीनतम आध्यात्मिकता की रक्षा साधना में उन्होंने स्वयं का और अपने पुत्रों का भी बलिदान दे दिया। इसी तरह समर्थ गुरु रामदास ने समाज के युवा वर्ग को अवगत कराया कि राष्ट्र की उन्नति तभी हो सकती है जब हम शौर्य, शक्ति और साधना करें। इस हेतु उन्होंने सम्पूर्ण भारतवर्ष का भ्रमण कर गांव-गांव में हनुमान मन्दिर बनवाए और उन मन्दिरों को केन्द्र बनाकर युवाओं को जगाया। उन्हीं युवाओं में से उन्होंने एक शिवाजी तैयार किया और हिन्दूपद पादशाही की स्थापना करवाने में महती भूमिका निभाई। उन्होंने यह भी कहा कि अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए हम सबको 'मैं' की मानसिकता से ऊपर उठना होगा। कोई कार्य करते समय यह न सोचें कि इससे मेरा क्या लाभ होगा, बल्कि यह सोचें कि इससे हमारे देश को क्या लाभ होगा। जब देश को लाभ होगा तब हम सबको भी लाभ होगा। कार्यक्रम के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तर क्षेत्र के संघचालक डॉ. बजरंगलाल गुप्त ने कहा कि भारतीय संस्कृति सबके कल्याण की कामना करती है। इसलिए इसकी रक्षा करना हम सब का कर्तव्य होना चाहिए। ल्ल प्रतिनिधि
सेवा भारती ने मनाया सेवा सप्ताह
राजस्थान में पिछले सप्ताह सेवा भारती ने सेवा सप्ताह मनाया। इसके तहत सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने ठंड से निजात दिलाने के लिए निर्धन एवं घुमक्कड़ लोगों को गर्म वस्त्र वितरित किए। सेवा भारती के विभाग संगठन मंत्री अनिल शुक्ला ने बताया कि इस कड़ाके की ठंड से निजात दिलाने के लिए राज्य के कई स्थानों पर सेवा भारती के बाल संस्कार केन्द्रों, बाल वाडि़यों, सिलाई और कम्प्यूटर केन्द्रों में पढ़ रहे निर्धन वर्ग के बच्चों और महिलाओं को ऊनी वस्त्र, गर्म कपड़े और कंबल वितरित किए गए। बस्सी, बांसखो, सांगानेर, दौसा, लालसोट, टोड़ारायसिंह, मालपुरा, टोंक, रामगढ़, पचावर के गादिया लोहारों और जयपुर महानगर की सेवा बस्तियों (करधनी, गालवनगर, गोविंद नगर, गिरधारीपुरा, नागतलाई) में रह रहे लोगों को इससे लाभ मिला।
वितरण कार्य में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया गया। गौरतलब है कि सेवा भारती द्वारा राजस्थान में 800 से अधिक सेवा कार्य संचालित हो रहे हैं। ल्ल प्रतिनिधि
बगुलामुखी सिद्धपीठ में महारुद्राभिषेक
उत्तराखण्ड में भिलंगना घाटी की प्राचीन बगुलामुखी सिद्धपीठ में 8 फरवरी को 11 दिवसीय शतचण्डी और महारुद्राभिषेक सम्पन्न हुआ। यह स्थली बुगीलाधार नामक जगह में है और यहां भगवती जगदम्बा विराजमान हैं। प्रथम दिन देवलिंग स्थित भिलंगना के मुहाने से पावन कलश यात्रा निकली। इसमें घाटी के लगभग 25 गांवों के स्त्री-पुरुषों ने भाग लिया। 27 आचार्यों ने दुर्गा सप्तशती एवं रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया। प्रधान आचार्य थे भागवतकार पंडित नत्थीलाल शास्त्री। जगदम्बा समिति के पदाधिकारियों कमल नयन सेमल्टी एवं मदन सिंह पवार सहित टिहरी के जिला पंचायत प्रमुख विजय गुनसोला और पंचायत सदस्य केदार सिंह बर्तवाल ने आयोजन को सफल बनाने में विशेष सहयोग किया। ल्ल प्रतिनिधि
वरिष्ठ प्रचारक नरेन्द्र जी नहीं रहे
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पूर्व सैनिक सेवा परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री नरेन्द्र कुमार सिंह का गत दिनों पटना में निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। बचपन से ही कुश्ती के शौकीन नरेन्द्र जी ने संघ के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया था। बी़ एससी. एवं कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 1975 में मातृभूमि की सेवा के लिए संघ के प्रचारक बने। आपातकाल के समय वे सिवान के जिला प्रचारक थे। इसके बाद मुजफ्फरपुर के जिला प्रचारक बने। 1980 में दरभंगा के विभाग प्रचारक तथा 1989 में उत्तर बिहार के सह प्रांत प्रचारक बनाए गए। 1990 में उन्हें प्रांत प्रचारक का दायित्व दिया गया। 1990 से 1994 तक वे उत्तर बिहार के प्रांत प्रचारक रहे। 1994 मंे जब संघ की योजनानुसार बिहार के तीन हिस्से हुए तब वे दक्षिण बिहार प्रांत प्रचारक नियुक्त हुए। 1999 तक उन्होंने दक्षिण बिहार प्रांत प्रचारक का दायित्व निर्वहन किया। संघ की मीडिया के क्षेत्र में बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए 1999 में उन्हें क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख बनाया गया। 2001 में वे अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री बने। बाद में उन्हें पूर्व सैनिक सेवा परिषद् का दायित्व दिया गया। दो भाइयों में ज्येष्ठ नरेन्द्र जी सिवान जिलान्तर्गत सिसवन प्रखंड के रामगढ़ गांव के निवासी थे। ल्ल प्रतिनिधि
लोक कल्याण ही साहित्य का उद्देश्य
'वर्तमान समय में साहित्य के सामने अनेक चुनौतियां हैं। इनका सामना उद्देश्यपूर्ण साहित्य सृजन से ही किया जा सकता है। साहित्य का उद्देश्य ही लोक कल्याण है।' यह कहना है वरिष्ठ साहित्यकार एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री रवीन्द्र शुक्ल का। वे 10 फरवरी को भोपाल में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के अलंकरण समारोह में बोल रहे थे। कार्यक्रम में समाजसेवी एवं शिक्षाविद् श्री श्रीधर पराड़कर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। जबकि सारस्वत अतिथि के रूप में डॉ. मीरा गौतम मौजूद थीं। श्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि हमें साहित्य के प्रति गंभीरता बरतनी पड़ेगी। साथ ही यह भी देखना होगा कि हिन्दी में अंगे्रजी का कितना उपयोग हो रहा है। कई बार ऐसा होता है कि अंगे्रजी शब्दों के उपयोग से हिन्दी के मूल शब्द का भाव ही नष्ट हो जाता है। कार्यक्रम को डॉ. देवेन्द्र दीपक ने भी संबोधित किया। -प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ