|
कोलकाता। प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार एवं राष्ट्रवादी चेतना के लोकप्रिय कवि डॉ. अरुण प्रकाश अवस्थी के जन्मदिवस पर श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में एक काव्य-गोष्ठी पुस्तकालय कक्ष में संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता की पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने।
कार्यक्रम में कवि अवस्थी जी की सहृदयता, आत्मीयता तथा उनकी समाज सचेतनता की पुस्तकालय के मंत्री महावीर बजाज ने चर्चा की। श्री शंकरबख्श सिंह एवं अवस्थी जी के पौत्र देवांशु अवस्थी ने उनके आत्मीय व्यक्तित्व की चर्चा की। उनके काव्य तथा लेखन की प्रभविष्णुता का भी वक्ताओं ने उल्लेख किया।
उपस्थित कवियों में सर्वश्री योगेन्द्र शुक्ल 'सुमन' ने जगत है परिवर्तनशील, नंदलाल रोशन-ऐसा ही उसका प्यार था, जाने भी दीजिए, आलोक शर्मा- कुछ मरने के बाद भी जिन्दा रहते हैं, डॉ. करुणा पाण्डेय- आंसू को प्यारे बचाकर रखो, राज मिठौलिया- तुलसीदास के प्रति रुबाइयां, विशन सिखवाल- कृष्ण केन्द्रित रचना, जयकुमार रुसवा- गीत मैं गुनगुनाता चला, रविप्रताप सिंह- मैं कहूं कविता या कहूं कोई गजल और गिरिधर राय ने सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्य, प्रस्तुत किया। सुरेश चौधरी, वरिष्ठ कवि नवल ने डॉ. अवस्थी के साहित्यिक अवदान की चर्चा की तथा काव्यांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन किया डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया श्री वंशीधर शर्मा ने।
कार्यक्रम में सर्वश्री श्रीराम तिवारी, प्रवीण त्रिपाठी, तारकदत्त सिंह, जयप्रकाश सिंह, राधेश्याम महावर, राजाराम बिहानी, जगेश तिवारी, श्रीमती सरोज शुक्ल, सुश्री शचि शुक्ल, श्रीमती रमा अवस्थी, श्रीनिवास शर्मा, ओमप्रकाश मिश्र एवं कामेश्वर पाण्डेय ने डॉ. अवस्थी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ