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नाम : एण्ड्री (कालीचरण)
मास्को, रूस
क्या हैं : मनोवैज्ञानिक
संस्कृति सूत्र : मंत्र का महत्व समझा
परिवर्तन का क्षण : ईसाइयत से मोहभंग
मनोवैज्ञानिक एण्ड्री (कालीचरण) मास्को में रहते हैं। उनके पास तरह-तरह की समस्याओं से परेशान अनेक लोग रोजाना आते हैं। वे उनकी समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद उनके मन में यह सवाल उठता रहता था कि समस्याओं का ठोस हल क्या है? इस हल को खोजने के लिए वे अपने मत (ईसाई) के कुछ जानकारों से मिले, लेकिन वे लोग उनकी जिज्ञासा शान्त नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने रूस आने वाले हिन्दू धर्माचार्यों से मिले। वे कहते हैं, 'मैं इस धरती पर एक ईसाई परिवार के माध्यम से आया, लेकिन भारतीयता के प्रति लगाव ने मुझे हिन्दुत्व की ओर धकेल दिया। पहले मेरा नाम एण्ड्री था। अब मैं कालीचरण के नाम से जाना जाता हूं। मंत्रों की प्रभावोत्पादकता और तंत्र के गूढ़ तार्किक आधारों में उनकी गहरी रुचि और आस्था है। वे कहते हैं, 'जब से भारतीय संस्कृति के सम्पर्क में आया हंू तब से मेरे जीवन में आशावादिता बढ़ी है। मैंने यह अनुभव किया है कि सनातन संस्कृति के अनुसार आचरण किया जाए तो जीवन में शान्ति और सफलता मिलती है। स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। मंत्रों के जाप से मैं अपने अन्दर अभूतपूर्व शक्ति एवं ऊर्जा का संचार अनुभव करता हूं।' यूं तो कालीचरण मास्को के एक महाविद्यालय में मनोविज्ञान पढ़ाते हैं। लेकिन अध्यापन के बाद उनका पूरा समय सनातन धर्म के विस्तार में लगता है। उन्होंने अपने घर में एक केन्द्र बना रखा है। इसमें आने वाले लोागों के साथ वे हवन-यज्ञ करते हैं। इसके साथ वे उन्हें सलाह देते हैं कि भारतीय जीवन-पद्धति को अपनाओ, सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। वे प्रत्येक शनिवार और रविवार को अपने घर में लोगों को ध्यान करने की विधि और योग क्रियाएं भी बताते हैं।
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