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सेवा भारती, दिल्ली के कार्यकर्ताओं ने 22 अक्तूबर को हरिनगर स्थित मोहन मन्दिर में सामूहिक कन्या-पूजन का आयोजन किया। इस अवसर पर 200 कन्याओं का पूजन किया गया। ये कन्याएं दो सेवा बस्तियों (प्रयोग विहार और केशव विहार) की थीं। मन्दिर की ओर से इन बच्चियों को माता की चुनरी, प्रसाद की थाली और दक्षिणा दी गई। इस पूजन का उद्देश्य था सामाजिक समरसता लाना और सेवा बस्तियों के निवासियों में यह भाव जगाना कि उनके पीछे पूरा समाज खड़ा है। उल्लेखनीय है कि इन दोनों सेवा बस्तियों में सेवा भारती के तत्वावधान में सिलाई और कम्प्यूटर के प्रशिक्षण के लिए केन्द्र चलाए जाते हैं। इन केन्द्रों में बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं और बच्चे स्वावलंबी हो रहे हैं। इसी मन्दिर में 26 अक्तूबर को भजन प्रतियोगिता भी हुई। इसमें चार भजन मण्डलियों ने भाग लिया। इन भजन मण्डलियांे से सेवा बस्तियों की बहनें जुड़ी हुई हैं। बता दें कि सेवा भारती ने सेवा बस्तियों में भजन मण्डलियों का गठन किया है। इन मण्डलियों के जरिए सेवा बस्तियों में पाक्षिक और मासिक कीर्तन होतेे हैं। इससे उन बस्तियों में धार्मिक माहौल बना रहता है। – प्रतिनिधि
दिल्ली में उद्योग लाइसेंस समाप्त
लघु उद्योग भारती, दिल्ली प्रदेश के प्रयासों से दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने उद्योग लाइसेंस समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर आगे की कार्रवाई के लिए सरकार के पास भेज दिया है। लघु उद्योग भारती, दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष सम्पत तोषनीवाल के अनुसार यह दिल्ली के उद्योग जगत के लिए बड़ी राहत है और देश की राजधानी में व्यवसाय की सुगमता बढ़ाने के लिए एक अत्यन्त सकारात्मक कदम है। दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार दिल्ली में प्रत्येक उद्योग को 1957 से निगम से उद्योग लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य था। उस समय यह नियम प्रासांगिक था, क्योंकि तब दिल्ली में कोई भी पृथक एवं अधिकृत औद्योगिक क्षेत्र नहीं था और पानी एवं बिजली का नियंत्रण भी निगम के पास था। कालान्तर में उद्योगों के नियम, कानून एवं परिदृश्य पूर्णतया बदल जाने से यह व्यवस्था बिल्कुल अप्रासंगिक हो गई थी। उल्लेखनीय है कि दिल्ली में इस समय डेढ़ लाख से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं, लेकिन निगम गत 58 वर्ष में मात्र 21, 321 उद्योगों को ही लाइसेंस दे सका और इनमें से भी अब तक मात्र 4,484 का ही नवीनीकरण हो सका है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में तीनों निगमों की उद्योग लाइसेंस से कुल आय 2़ 05 करोड़ रुपए थी, जबकि लाइसेंसिंग विभाग का खर्चा इसके दस गुणा से भी अधिक था। -प्रतिनिधि
135 प्रतिभाशाली छात्र सम्मानित
धरमपुर (देहरादून) स्थित गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज परिसर में 25 अक्तूबर को विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, उत्तराखंड द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। समारोह में प्रदेशभर के उच्च विद्यालयों के 76 और इंटरमीडिएट के 59 प्रतिभाशाली छात्रों को प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि थे केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ़ रामशंकर कठेरिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज की ऐसी व्यवस्था है जो राष्ट्र जीवन की दिशा और दशा को तय करती है। विद्या भारती, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली राम ने कहा कि शिक्षा यदि संस्कारयुक्त होती है तो अब्दुल कलाम जैसे लोग पैदा होते हैं और यही शिक्षा जब संस्कारविहीन होती है तो ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादी पैदा होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री प्रसाद नैथानी ने की। – प्रतिनिधि
साहित्य अकादमी के सामने साहित्यकारों ने किया प्रदर्शन
नई दिल्ली में 23 अक्तूबर को राष्ट्रीय चेतना संपन्न साहित्यकारों और पत्रकारों ने साहित्य अकादमी परिसर में प्रदर्शन किया और अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ त्रिपाठी को ज्ञापन सौंपा। यह प्रदर्शन कुछ वामपंथी साहित्यकारों द्वारा साहित्य अकादमी के पुरस्कार वापसी के मुद्दे पर किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ़ नरेंद्र कोहली ने कहा कि कश्मीर में हिन्दुओं के वध और निष्कासन, पंजाब के आतंकवादी दौर में सामान्य जन और पंजाब केसरी के संपादकों की हत्या, दिल्ली में 1984 के सिख कत्लेआम के समय किसी साहित्यकार ने अपना सम्मान नहीं लौटाया। अपने ही उचित-अनुचित प्रयत्नों से प्राप्त साहित्य अकादमी के सम्मान को लौटाने का कृत्य केंद्र सरकार को कलंकित कर उसे दुर्बल करने के लिए की जा रही है जो विरोधी दलों की राजनीति है। डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि वामपंथी लेखकों का पुरस्कार लौटाना लोकतंत्र की मान्यताओं के अनुकूल नहीं है। पद्मश्री श्याम सिंह शशि ने कहा कि साहित्य का सम्मान लौटाना साहित्य का अपमान करना है। लगता है कि ये लोग बदलते दौर में अपनी दमित आकांक्षाओं को पूरी नहीं कर पाने के बाद सुर्खियां बटोरना चाहते हैं। – प्रतिनिधि
अमलदार सिंह नहीं रहे
भारतीय रेलवे मजदूर संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे अमलदार सिंह का 20 अक्तूबर को उनके पैतृक गांव हैदरपुर (जौनपुर) में निधन हो गया। कार्यकर्ताओं के बीच वे 'बाबू जी' के नाम से जाने जाते थे। इनका पूरा परिवार राष्ट्रभक्त रहा है। अमलदार जी 5 सितम्बर, 1945 को तत्कालीन जी.आर.पी. रेलवे के परेल (मुम्बई) कारखाने में लिपिक के पद पर नियुक्त हुए थे। वहीं उनका परिचय भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक श्री दत्तोपंत ठेंगडी से हुआ। इसके बाद ठेंगडी जी के आग्रह पर वे मध्य रेलवे कर्मचारी संघ के प्रथम महामंत्री बने। उन्होंने अनेक कर्मचारी आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लिखित पुस्तक 'भारतीय रेलवे: मजदूर आन्दोलन और भारतीय रेलवे मजदूर संघ का अभ्युदय' रेल मजदूरों की अनोखी धरोहर है। -प्रतिनिधि
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