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देशभर में साहित्यकारों के द्वारा दादरी घटना को आधार बना कर साहित्य अकादमी से मिले अपने पुरस्कार वापस करने के मामले को लेकर अब मध्य प्रदेश के अनेक साहित्यकार उनके विरोध में उठ खड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि जो लोग अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, वे दादरी घटना से आहत नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक मंसूबों के चलते ऐसा कर रहे हैं, जिसका कि वे विरोध करते हैं।
18 अक्तूबर को भोपाल में इस मुद्दे को लेकर साहित्यकारों ने सामूहिक निंदा प्रस्ताव पारित किया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक ने प्रस्ताव के बारे में बताया कि वामपंथी शिविर द्वारा असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहराते संकट के नाम पर कतिपय साहित्यकारों का साहित्य अकादमी के पुरस्कार वापस करने का सुनियोजित निर्णय अनेक शंकाओं को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे कतिपय निहित तत्व साहित्य के कंधे पर राजनीति की बंदूक रखने का षड्यंत्र रच रहे हैं। निंदा प्रस्ताव में कहा गया है कि जनता की दृष्टि से पुरस्कार, सम्मान लौटाने वाले साहित्यकारों की जननिष्ठा, साहित्यनिष्ठा और सत्यनिष्ठा संदिग्ध है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार दादरी काण्ड पर तो चिल्लाते हैं, लेकिन पूरे देश में लम्बे समय से चली आ रही नक्सली हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। आतंकवाद और कश्मीर से भगाए गए हिन्दुओं की पीड़ा पर उनकी कलम नहीं चलती। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आज कोई प्रतिबंध नहीं है। आज जो तत्व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन की बात करते हैं, उनमें से अनेक ऐसे भी हैं जो आपातकाल के समर्थन में शहनाई बजा रहे थे। ऐसे दोहरे मापदण्ड अपनाने वाले साहित्यकारों की हम निंदा करते हैं। निंदा प्रस्ताव को समर्थन देने वाले साहित्यकारों में डॉ. देवेन्द्र दीपक, डॉ. प्रेम भारती, ड़ॉ. प्रकाश बरतूनिया, ओमप्रकाश गुप्ता, भागीरथ कुमरावत, उमेश कुमार सिंह, रमेश शर्मा, लाजपत आहूजा, राजेन्द्र शर्मा अक्षर, कुसुम गुप्ता, डॉ. मालती बसंत, डॉ. राजश्री रावत राज, डॉ. विनीता राहुरीकर, मंजू जैन, विश्वनाथ शर्मा विमल, श्याम बिहारी सक्सेना, अभय तिवारी 'व्यथित', ड़ॉ. रमन मालवीय, गोकुल सोनी, ए़ के़ तिवारी, डॉ. विमल शर्मा, प्रमोद पुष्कर, यतीन्द्र नाथ राही, डॉ. साधना बलवटे आदि शामिल हैं।
ल्ल हिन्दुस्थान समाचार, भोपाल
विहिप ने किया न्यायालय के निर्णय का स्वागत
हाल ही में हिमाचल उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि गोवंश की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जाए। न्यायालय के इस आदेश का विश्व हिन्दू परिषद् ने स्वागत किया है। 16 अक्तूबर को नई दिल्ली से जारी एक विज्ञप्ति में विहिप के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव डॉ़ सुरेन्द्र जैन ने न्यायालय के इस आदेश का सम्मान करते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि सभी संबंधित पक्ष इसके अनुपालनार्थ आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपने संकल्प, जनभावना और इस आदेश का सम्मान करते हुए अब इस कार्य में विलम्ब नहीं करना चाहिए। डॉ. जैन ने यह भी कहा कि कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों को भी इस विषय पर अब राजनीति छोड़, गो-वंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आगे आना चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि भारत के कई राज्यों में कांग्रेस सरकारों ने भी गो-वंश हत्या पर प्रतिबंध लगाए थे।
उन्होंने बताया कि गो-वंश हत्या पर प्रतिबंधों को लेकर हिन्दू आस्थाओं का मजाक बनाने वाले कथित बुद्धिजीवी अपने निहित स्वाथोंर् के लिए हिन्दू जनभावनाओं का निरंतर अपमान तो करते रहे हैं, किन्तु वे न्यायपालिका के सम्मान की बात भी करते रहे हैं। आशा है न्यायपालिका के इस स्पष्ट आदेश के बाद वे भी अब इसे लागू करवाने में अपना सहयोग देंगे और हर मुद्दे पर केन्द्र सरकार को बदनाम करने की अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे। ल्ल प्रतिनिधि
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