साहित्य के कंधे पर राजनीति की बंदूक
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

साहित्य के कंधे पर राजनीति की बंदूक

by
Oct 26, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 26 Oct 2015 14:04:02

देशभर में साहित्यकारों के द्वारा दादरी घटना को आधार बना कर साहित्य अकादमी से मिले अपने पुरस्कार वापस करने के मामले को लेकर अब मध्य प्रदेश के अनेक साहित्यकार उनके विरोध में उठ खड़े हुए हैं। उन्हें लगता है कि जो लोग अपने पुरस्कार वापस कर रहे हैं, वे दादरी घटना से आहत नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक मंसूबों के चलते ऐसा कर रहे हैं, जिसका कि वे विरोध करते हैं।
18 अक्तूबर को भोपाल में इस मुद्दे को लेकर साहित्यकारों ने सामूहिक निंदा प्रस्ताव पारित किया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेन्द्र दीपक ने प्रस्ताव के बारे में बताया कि वामपंथी शिविर द्वारा असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहराते संकट के नाम पर कतिपय साहित्यकारों का साहित्य अकादमी के पुरस्कार वापस करने का सुनियोजित निर्णय अनेक शंकाओं को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे कतिपय निहित तत्व साहित्य के कंधे पर राजनीति की बंदूक रखने का षड्यंत्र रच रहे हैं। निंदा प्रस्ताव में कहा गया है कि जनता की दृष्टि से पुरस्कार, सम्मान लौटाने वाले साहित्यकारों की जननिष्ठा, साहित्यनिष्ठा और सत्यनिष्ठा संदिग्ध है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकार दादरी काण्ड पर तो चिल्लाते हैं, लेकिन पूरे देश में लम्बे समय से चली आ रही नक्सली हिंसा पर चुप्पी साध लेते हैं। आतंकवाद और कश्मीर से भगाए गए हिन्दुओं की पीड़ा पर उनकी कलम नहीं चलती। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आज कोई प्रतिबंध नहीं है। आज जो तत्व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन की बात करते हैं, उनमें से अनेक ऐसे भी हैं जो आपातकाल के समर्थन में शहनाई बजा रहे थे। ऐसे दोहरे मापदण्ड अपनाने वाले साहित्यकारों की हम निंदा करते हैं। निंदा प्रस्ताव को समर्थन देने वाले साहित्यकारों में डॉ. देवेन्द्र दीपक, डॉ. प्रेम भारती, ड़ॉ. प्रकाश बरतूनिया, ओमप्रकाश गुप्ता, भागीरथ कुमरावत, उमेश कुमार सिंह, रमेश शर्मा, लाजपत आहूजा, राजेन्द्र शर्मा अक्षर, कुसुम गुप्ता, डॉ. मालती बसंत, डॉ. राजश्री रावत राज, डॉ.  विनीता राहुरीकर, मंजू जैन, विश्वनाथ शर्मा विमल, श्याम बिहारी सक्सेना, अभय तिवारी 'व्यथित', ड़ॉ. रमन मालवीय, गोकुल सोनी, ए़ के़ तिवारी, डॉ. विमल शर्मा, प्रमोद पुष्कर, यतीन्द्र नाथ राही, डॉ. साधना बलवटे आदि शामिल हैं।    
ल्ल  हिन्दुस्थान समाचार, भोपाल

विहिप ने किया न्यायालय के निर्णय का स्वागत
हाल ही में हिमाचल उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि गोवंश की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाया जाए। न्यायालय के इस आदेश का विश्व हिन्दू परिषद् ने स्वागत किया है। 16 अक्तूबर को नई दिल्ली से जारी एक विज्ञप्ति में विहिप के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव डॉ़  सुरेन्द्र जैन ने न्यायालय के इस आदेश का सम्मान करते हुए विश्वास व्यक्त किया है कि सभी संबंधित पक्ष इसके अनुपालनार्थ आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को अपने संकल्प, जनभावना और इस आदेश का सम्मान करते हुए अब इस कार्य में विलम्ब नहीं करना चाहिए। डॉ. जैन ने यह भी कहा कि कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों को भी इस विषय पर अब राजनीति छोड़, गो-वंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए आगे आना चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि भारत के कई राज्यों में कांग्रेस सरकारों ने भी गो-वंश हत्या पर प्रतिबंध लगाए थे।
उन्होंने बताया कि गो-वंश हत्या पर प्रतिबंधों को लेकर हिन्दू आस्थाओं का मजाक बनाने वाले कथित बुद्धिजीवी अपने निहित स्वाथोंर् के लिए हिन्दू जनभावनाओं का निरंतर अपमान तो करते रहे हैं, किन्तु वे न्यायपालिका के सम्मान की बात भी करते रहे हैं। आशा है न्यायपालिका के इस स्पष्ट आदेश के बाद वे भी अब इसे लागू करवाने में अपना सहयोग देंगे और हर मुद्दे पर केन्द्र सरकार को बदनाम करने की अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेंगे।              ल्ल  प्रतिनिधि   

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies