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प्रकाश जावड़ेकर सरकार की आंख और कान यानी सूचना व प्रसारण मंत्री हैं। मगर इसके साथ ही वह उस मंत्रालय के भी मुखिया हैं जो नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में शुमार रहा है, वन, पर्यावरण मंत्रालय। रविशंकर प्रसाद के साथ सरकार की ओर से संवाद का काम भी जावड़ेकर के जिम्मे है। वह संसदीय कार्य राज्यमंत्री भी हैं। उनका दावा है कि जहां अलग-अलग मंत्रालयों के कामकाज और पहल की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त गिनाई जा सकती है वहीं इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है सरकारी तंत्र में नैराश्य को दूर कर सकारात्मकता का वातावरण लाना। जिसका असर अब हर ओर दिखने लगा है। प्रस्तुत हैं प्रकाश जावड़ेकर से पाञ्चजन्य की विशेष बातचीत के अंश-
ल्ल हर तरफ यह सवाल पूछा जा रहा है कि सौ दिन हो चुके पर अच्छे दिन कब आएंगे?
जो लोग यह सवाल कर रहे हैं उन्हें मुझे यह बताने में खुशी है कि अच्छे दिन आ गए हैं। लंबे अंतराल के बाद सरकार में प्रामाणिकता है। लूट बंद हो गई है। हर ओर एक सकारात्मकता का संचार हुआ जिसका असर अब सरकारी तंत्र के बाहर भी दिखने लगा है। इसकी वजह क्या है? वजह यह है कि प्रधानमंत्री उससे ज्यादा मेहनत कर रहे हैं जितनी वह औरों से करने को कहते हैं। यह देखकर अफसरों को प्रेरणा मिलना स्वाभाविक है। सिर्फ पे्ररणा ही नहीं बल्कि नौकरशाही में सरकार के कामकाज को आगे बढ़ाने के लिए जो आत्मविश्वास दिलाने की जरूरत है उसमें भी प्रधानमंत्री ने पहल की है। जो दो स्पष्ट चीजें सामने हैं उनमें प्रमुख है कोई आरोप-प्रत्यारोप न होना और बदले की कार्रवाई न होना।
ल्ल राज्यपालों की बहाली को लेकर यह सवाल उठाया गया है कि आप राजनीतिक दुर्भावना से काम कर रहे हैं, इस पर आपका क्या कहना है?
राज्यपाल राजनीतिक नियुक्तियां हैं। मैं राजनीतिक नियुक्ति को इससे अलग मानता हूं। राजनीतिक नियुक्ति राजनीतिक पृष्ठभूमि पर होती है। मेरा यह व्यक्तिगत मानना है कि राजनीतिक पदों पर आसीन लोगांे को राजनीतिक सत्ता बदलने पर खुद त्यागपत्र दे देना चाहिए। मैं महाराष्ट्र में राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष था और मैंने भाजपा-शिव सेना सरकार के चुनाव हारते ही तत्काल अपना इस्तीफा भेज दिया था।
ल्ल चर्चा है कि नौकरशाही और तमाम मंत्री काफी दबाव में हैं?
इन सौ दिनों के अनुभव के बाद यह साफ समझ आने लगा है कि नौकरशाही नरेंद्र मोदी के साथ केवल इसीलिए नहीं है कि वह चढ़ते सूरज को प्रणाम कर रही है, बल्कि इसलिए साथ है कि प्रधानमंत्री ने उन्हें काम करने का मूल मंत्र दिया है। काम ही इस सरकार का मंत्र है। जहां तक मंत्रियों का सवाल है कोई दबाव में नहीं है। सभी उत्साह के साथ अपने मंत्रालय के लक्ष्यों को पाने में जुटे हुए हैं। काम टालने के बजाय मंत्रालयों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा चल रही है। हमारे विरोधी मोदी जी पर उंगली उठाने का कोई बहाना नहीं ढूंढ पा रहे तो व्यक्तिगत आरोपों से अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह कोशिश कामयाब नहीं होगी। ल्ल
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