पाक-झंडे के साथ ताजियों का जुलूस
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वर्ष: 9 अंक: 10
12 सितम्बर,1955
उ.प्र. में मुस्लिम साम्प्रदायिकता फिर से सिर उठाने लगी
पाक-झंडे के साथ ताजियों का जुलूस
श्री अंसारी द्वारा उर्दू के प्रश्न पर जेहाद छेड़ने की धमकी
बलिया। गत एक वर्ष से बलिया जिले के स्थान-स्थान से मुसलमानों के अराष्ट्रीय एवं पंचमंागी कायोंर् के समाचार प्राप्त हो रहे हैं। गत वर्ष करबला नये स्थान पर ले जाने के लिए बलिया नगर में मुसलमानों ने काफी प्रयत्न किया था। उन्हें एक हिंदू मुहल्ले में स्थानीय कलक्टर श्री महमूद की आज्ञा से एक वर्ष के लिए करबला बनाने की अनुमति भी प्राप्त हो गई थी।
बलिया शहर के पास बहेरी में एक हिंदू स्त्री को भगाने के कारण काफी तना- तनी थी,जिसका मुकदमा स्थानीय कोर्ट में चल चुका है। इसी प्रकार सिकन्दरपुर में भी गत वर्ष मुहर्रम के समय काफी तना-तनी हो गयी थी।
ताजा समाचार है कि दिनांक 30 अगस्त को बलिया कोतवाली के अन्तर्गत स्थित मिढ्ढा बाजार से ताजिया ले जाते समय मुसलमानों ने पाकिस्तानी झण्डों के साथ एक जोरदार जुलूस निकाला। पाकिस्तानी झण्डा देखकर स्थानीय प्रमुख व्यक्तियों ने, जिनमें कई काग्रेसी एवं जनसंघ आदि अन्य दलों के कार्यकर्ता भी थे, झण्डा उतार देने का आग्रह भी किया एवं यह बताया कि यह पाकिस्तान राज्य का झण्डा है। यदि लगाना ही हो तो केवल मुसलमानों का हरे रंग का झण्डा लगाया जा सकता है। इस बात पर मुसलमानों ने मारपीट की धमकी दी एवं नारा लगाया 'मैदाने जंग में कूद पड़ो।'कहा जाता है कि एक विद्यार्थी ने तिरंगा झण्डा फहरा दिया तो मुसलमानों ने उसे खींचकर फाड़ दिया। … समाचार है कि झण्डों तथा अन्य मौकों पर फहराये पाक झण्डों को बनाने वाला मिढ्ढा का जमाल उद्दीन नामक मुसलमान है। जंग मुहम्मद अन्सारी एवं शेख मशहूद अहमद के कहने पर ही उसने यह झण्डा बनाया तथा ताजियों पर लगाया,ऐसी उस क्षेत्र में आम चर्चा है। झण्डा लेकर जो व्यक्ति आगे-आगे चल रहा था, उसका नाम हाशिम बताया जा रहा है।
कांग्रेस का गोआ सम्बंधी प्रस्ताव
गोआ मुक्ति-आंदोलन पर भीषण आघात
श्री उपाध्याय की स्पष्टोक्ति
नागपुर। 'अ.भा.कांग्रेस समिति ने दिल्ली के अपने अनौपचारिक अधिवेशन में जो प्रस्ताव स्वीकृत किया वह भारत स्थित पुर्तगाली बस्तियों के मुक्ति आंदोलन पर न केवल महान प्रहार है वरण् उसे विध्वंस करने का प्रयत्न भी है।'ये शब्द अ.भा. जनसंघ के महामंत्री पं. दीनदयाल उपाघ्याय ने अ.भा. कांग्रेस समिति द्वारा हाल में पारित गोआ संबन्धी प्रस्ताव की आलोचना करते हुए एक वक्तव्य में कहे ।
महामिथ्या को जीवन दान
'कांग्रेस नेता बहुत पहले से एक असत्य,मिथ्या को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। वह मिथ्या है कि गोआनी जनता भारत से अलग है। कांग्रेस नेता क्या इसी तरह दमन व दीव की जनता के अस्तित्व पर भी विश्वास करते हैं और क्या वे विश्वास करते हैं कि स्वतंत्रता का सग्रांम इनमें से प्रत्येक जनता पृथक-पृथक करे? वास्तव में गोआ,दमन व दीव में रहने वाली जनता हमारे देश का अक्षुण्ण अंग है, सब भारतीय हैं और वर्तमान संग्राम हमारे स्वाधीनता-संग्राम का भाग है। '
'राष्ट्रीय कांग्रेस में राष्ट्र की समुचित अनुभूति का जो अभाव है उसी ने गोआ की समस्या को जटिल बनाया है और कांग्रेस तथा सरकार द्वारा उसके प्रति प्रदर्शित अधमनेपन के लिए वही उत्तरदायी है।'
प्रधानमंत्री की कर्त्तव्य-अवहेलना
'अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने बांडुंग राष्ट्रों से मुक्ति आंदोलन का समर्थन करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री जब बांडुंग के लिए प्रस्थान कर रहे थे जन-जन ने उनसे अनुरोध किया था कि बांडुंग परिषद् में गोआ का प्रश्न उपस्थित करें। प्रधानमंत्री ने उस समय हमारे परामर्श की उपेक्षा की।'
'अखिल भारतीय कांग्रेस में इतना साहस होना चाहिए था कि वह प्रधानमंत्री को इस अवहेलना के लिए फटकारती।'
भारतीय जनसंघ की मांग
'भारतीय जनसंघ का सुनिश्चित मत है कि गोआ की समस्या का हल पुलिस कार्यवाही से हो सकता है और यह तय करनी चाहिए। सत्याग्रह का अवलम्बन केवल लोकमत जाग्रत करने तथा सरकार पर अपने उत्तरदायित्व का दबाव डालने के लिए किया गया था। गोआ सीमांत भारत सरकार द्वारा बंद कर दिये जाने के उपरांत अनिवार्य हो गया है कि वर्तमान सत्याग्रह का स्थान व उसकी शैली परिवर्तित की जाय। वर्तमान संग्राम चालू रखने वाले समस्त दलों से मेरा अनुरोध है कि इस बारे में एक राष्ट्रीय नीति निर्धारित करें। '
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