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कुछ लोग कहेंगे कि यदि हमने अपना हिंदूराष्ट्र का विचार कहा,तो सभी लोग उसे नहीं मानेंगे। परंतु इस सत्य की उद्घोषणा को कु छ लोग माने या न मानें,उससे कुछ बिगड़ता नहीं है। हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट हो और उसके संबंध में अपने मन का पूर्ण विश्वास हो,तो आग्रहपूर्वक प्रतिपादन करने पर सच बात को लोग मानने लग जाएंगे। हम सभी का अनुभव है और मुझे भी ऐसा विश्वास है कि लोग मानते हैं।
यदि कोई कहे कि मैं इस विश्वास को मानने के लिए तैयार नहीं हूं,तो यह उसकी दुर्बलता है। अपने-अपने क्षेत्र में, विशेषत: अपना सुस्पष्ट भाव अधिकाधिक मात्रा में लोगों को समझाएं,तो नए-नए लोग अपने साथ आकर खड़े होंगे।
-श्री गुरुजी समग्र: खण्ड 3,पृष्ठ 87
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